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नये साल की फ़ुलझाडियां

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आईये नये साल की शुरुआत मुस्कुरा कर करे,
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!
नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,
ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद

पति... चलो तुम से शादी कर के मुझे एक बहुत बडा लाभ हुआ .
बीबी... खुश हो कर, अच्छा बताईये कोन सा लाभ ?
पति... मुझे मेरे गुनाहॊ की सजा इसी जम मै मिल गई
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पति.... आज सुबह पता नही किस मनहुस की शकल देखी की सारा दिन मुझे खाना ही नसीब नही हुया.
बीबी....मेरी माने तो जी अपने सोने वाले कमरे मै लगे आईने को हटा दे, वरना आप को रोजाना यही शिकायत रहेगी.
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पति.... जान चलो आज चाय बाहर जा कर पी जाये?
बीबी....क्यो ?क्या तुम्हे लगता है कि मै घर का काम कर के थक जाती हू, ( खुश हो कर )
पति... अरे नही , दर असल मै न कप पलेट धोते धोते तंग आ गया हुं.
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बीबी.... हाय हाय !! मेरे तो कर्म ही फ़ुटे गये, जो तुम्हारे पल्ले बंध गई, वरना मुझे तो एक से बढ कर एक योग्य वर मिल रहे थे??
पति....( दुखी मन से ) हां सच मै वह सब योग्य ही थे, जो तुमहारे जाल मै नही फ़ंसे
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एक दोस्त... यार लड्कियो को * मै तुम से प्यार करता हू* कहने की सब से अच्छी जगह कोन सी है?
दुसरा दोस्त.. मन्दिर ?
पहला दोस्त... वो क्यो ?
दुसरा दोस्त.... यार वहां इन लडकियो के पाव मै चप्पल जो नही होती.
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किस पेर को पहले धोऎ???

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अरे मेरा सर कहां गया भाई? जरा ढुढ के लाओ, मुझे उस की सख्त जरुरत है

ताऊ के गोल गप्पे

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ताऊ... कॊई दो चीजो के नाम बताऒ जो हम नाशते मै नही खा सकते.
तिवारी साहब जी..वेरी सिम्पल यार....लंच ओर डिनर कॊ हम नाश्ते मै नही खा सकते.
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तिवारी साहब जी... अरे ताऊ सुबह सुबह क्या कर रहै हो??
ताऊ... तिवारी साहब जी मे डिनर कर रहा हूं ??
तिवारी सहाब जी... अरे ताऊ सुबह के खाने को नाशता कहते है.
ताऊ... हां हां मुझे मालुम है, लेकिन मै तो कल रात का बचा खाना खा रहा हू.
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ताऊ... आओ आओ तिवारी साहब जी अरे आप भाभी को साथ नही लाये ???
तिवारी साहब.. ताऊ भाई आप की भाभी तो आने को तेयार थी, लेकिन मेट्रो मे विस्फ़ोटक चीजे साथ लाना मना जो है??
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एक जगह शराब के बिरोध मै भाषण चल रहा था, तो भाषण देने वाला बोला..अब आप बाताये की अगर मै यहां एक बालटी पानी की ओर एक बाल्टी देसी शराब की मंगावाऊ, ओर एक गधे को पीने के लिये दी जाये तो वो गधा किस चीज को पीयेगा, एक आदमी ने कहा कि पानी, तो उस भाषाण देने वाले ने पुछा कि क्यो, तो उस आदमी ने कहा गधा जो ठहरा.
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हंसाना सख्त मना है?? अरे आप हंसे जा रहे है..

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किने किने जाना बिल्लो दे घर

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किस किस ने बिल्लो के घर जाना है, वो पहले लाईन मै आये, फ़िर टिकट कटाये... ओर इस गाडी मे सवार हो जाये......

ताउ की बाते

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एक बार ताऊ फ़ोज मै भरती हो गया, खाये पीये ओर खुब मोज करे, एक दिन ताऊ का मन उदास हो गया, घर जाने के लिये. अब उसने दोस्तो से सलाह की की भाई फ़ोज मै अगर छुट्टी लेनी हो तो क्या करू, ताऊ के दोस्तो ने सारी बात समझा दी, ताऊ गया अपने बोस के पास ओर बोला भाई मुझे १५ दिनो की छुट्टी चाहिये, बोस ने पुछा क्यो भाई?? ताऊ बोला मेरी लुगाई (बीबी) की तबियत खराब है,बोस बोला ठीक है मै फ़ोन कर के पहले तेरी बीबी से बात कर लू, उस के बाद सोचुगा...

दुसरे दिन ताऊ गया बोस के पास ओर बोला साह्ब जी आप ने बात की, तो बोस बोला भाई आज सुबह मेने तुम्हारे घर पर तुम्हारी बीबी से बात की... ओर इतना सुन के ताऊ जोर जोर से हंसने लगा, ओफ़िसर को गुस्सा आया, ओर कडक के बोला अरे ताऊ क्यो हंस रहै हो??? ताऊ बोला जी साह्ब जी मै तो झुठा था आप मेरे से भी बडे झुठे??? ओफ़िसर बोला वो केसे ? ताऊ बोला अरे साहब अभी तो तेरे फ़ुफ़ा का व्याह ही नही हुया तेने किस से बात कर ली.. झुठे

बीबी हो तो ऎसी हो दमदार

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ताऊ की बाते

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भाईयो बात बडी पुरानी है जब ताऊ स्कुल जाया करता था तब की.
एक दिन मास्टर जी नै ताऊ से पुछा बता भाई कपडा किसे कहते है?
ताऊ भी बहुत सयाना था, झट से बोला पता नही,
मास्टर फ़िर से पुछा तो बता पेन्ट किस चीज से बनती है?
ताऊ बोला मेरे बाबु की पुरानी पेन्ट से???
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यह बात भी उस समय की है जब हमारा ताऊ गाव के सकुल मे जाया करता था, एक बार सारी रात बरसात होती रही, ओर स्कुल की छत नीचे गिर गई, अब सभी बच्चे बहुत खुश, चेहरे गुलाब के फ़ुलो की तरह से खिले हुये, ओर मन ही मन सोच रहे थे चलो अब कुछ दिन स्कुल से ओर पढाई से छुट्टी,एक तरफ़ सभी मास्टर ओर हेडमास्टर खडे सोच रही थे, तभी हेड मास्टर साहब जी की नजर ताऊ पर पडी,ताऊ खुब जोर जोर से रो रहा था, ओर चेहरे से बहुत ही दुखी लग रहा था, ताऊ को सभी पलटू कह कर बुलाते थे, तो हेडमास्टर साहब पलटू के पास गये ओर उस के सर पर हाथ रख कर बोले बेटा पलटू, तु सब बच्चो से सयाना निकला इसी लिये रो रहा है ना की स्कुल ना नुकसान हो गया, बेटा अब चुप हो जा मै जल्दी ही स्कुल की छत बनबा दुगां , ताकि तेरी पढाई का नुकसान ना हॊ, ताऊ बीच मै ही बोल पडा, ओर रोते रोते बोला हेडमास्टर जी आप इतनी जल्दी मत बनबाये, मै तो इस लिये रो रहा हू कि कितनी मुस्किल से हमारे सकुल की छत गिरी लेकिन ऎक भी मास्टर नीचे आ कर नही मरा.
*************************************************************************************मास्टर जी ने ताऊ से पुछा?? हां भाई पलटू एक सवाल का जबाब दे??
ताऊ बोला पुछो मास्टर जी कया पुछना है?
मास्टर जी ने पुछा भाई पलटू जरा सोच कर बता कि दुर्घटना ओर बदकिस्मती मै क्या फ़र्क है???
ताऊ बोलाया मास्टर जी सोचना क्या एक दम सीधा सा फ़र्क है, समझो सकुल मै आग लग गई यह दुर्घटना हुयी, ओर गाव वालो ने आप को आग से बचा लिया यह बदकिस्मती हुयी हम सब की
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तलत महमुद जी भाग ३

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कुछ ऎसे भुले बिसरे गीत, जिन्हे आप बार बार सुनना चाहेगे,बहुत ही सुंदर गीत, अजी गीत क्या इन्हे तो दिल की आवाज ही कहले, तो सुनिये मेरी अपनी पंसद के गीत, कुछ मेरी नजर के हिट गीत, जिन्हे मै कभी नही भुल सकता....

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खुशी कुछ ऎसे भी

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क्या बात है ? पागल हो गया है/गई है ? या किसी मुसिबत से दो चार हो कर जान छुडा कर आ रहा है/आ रही है ?? कुछ भी हो लगता/लगती बहुत खुश है

पांच सॊ का नोट ?

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इस विडियो को देखने से पहले आप से एक सवाल है,अगर आप को कही से एक पांच सॊ का नोट मिल जाये तो आप उस नोट का कया करेगे? अब आप इस विडियो को देख कर अलग अलग लोगो के विचार जानिये

हम कुछ नही बोलेगे???

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भगवान न करे मेरे देश को कोई भी ऎसा नेता मिले, जो आप तो डुबे जनता को भी ले डुबे....











































मां ओर बच्चे

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मेरी प्यारी मां.


चलो घुमने चले..... मां संग


रे आज तो पापा भी हमारे साथ चल रहे है
चलो अब घर चले शाम होगई है, ओर हम सब थक भी गये है

है राम कोई मेरी मदद तो करो

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अरे इस को अब अकल आई सारे बच्चो को खो कर!!! यार कोई तो मदद करो इस गरीव वत्तख की बेचारी अब सोच रही है.ओर छोटा सा बच्चा सहम के खडा है.


कुंदन लाल सहगल भाग ४

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अगले दस गीतो के साथ फ़िर से हाजिर हुं, उन गीतो को ले कर जिन्हे हम सब भुल से गये है, ओर वेसे गीत ओर वेसे कला कार ना तो दुवारा आयेगे ओर ना ही ऎसे गीत फ़िर हमे सुनने को मिलेगे.... तो लिजिये इन सदाबाहार १० गीतो के फ़ुलो का गुलदस्ता आप के नाम.....

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आक्रोश,नफ़रत???

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इस दुख की घडी मे मै अपनो से बहुत दुर बेठा हूं, ओर यह सारी घटनाये हम ब्लांग पर ,इन्ट्रनेट के जरिये भारतीय आखबरो से या फ़िर जर्मन टी वी ओर अन्य टीवी के साधनो से पता कर पाते है, ओर यह साधन ( टी वी ओर न्युज पेपर) कितने सच्चे है पता नही, लेकिन इन पर विशवास करने के सिवा कोई चारा भी नही, आज जर्मन टी वी पर बता रहे थे की आतंकी होटलो मे पहले से ही किसी न किसी रुप मे थे, कई गेस्ट के रुप मे तो कोई कर्मचारी के रुप मे थे, यानि वहां बहुत लोग थे हमला करने वाले, ओर यह न्युज देख कर मेरे मन मे एक खयाल आया. कि अगर ऎसा था तो आईंदा लोग नोकरी देने से पहले , होटल मे कमरा देने से पहले, घरो मे किराये पर मकान देने से पहले सॊ बार सोचेगें.

वेसे ऎसा हमारे यहां काफ़ी समय से है, अगर आप भारतीया है तो कोई प्रोबलम नही,(आप के नाम के साथ भारत लगा है, आप का धर्म कोई भी हो आप नेक इंसान है) आप को सब जगह स्वागत है, आप को नोकरी, माकन लेने मे कोई कठिनाई नही, लेकिन अगर आप पाकिस्तानी है तो ..... लेकिन अब इस हादसे( मुंबई) के बाद लगता है यह युरोपियन लोग भारतीया होने के साथ साथ अब हमारा धर्म भी ना पुछने लगे.
क्योकि यह मुंबई हादसे ने लोगो को(विश्व) को झंकोर के रख दिया है ,भारतीया लोग एक दम से सहम से गये है, क्यो कि हम कितना भी विदेश मे रह ले हमारी सोच, हमारा मन , हमारा दिल तो भारत मै ही है, हमारी पहचान भारत है, जब भारत मै कुछ अच्छा होता है हम सीना फ़ुला कर चलते है, ओर पुरे युरोप मै भारतीयो का ओर भारत का बहुत मान है, यह लोग हमारी संस्कृति को बहुत समान से देखते है ओर भारत को एक महान द्रिश्ति से देखते है.ओर भारत को एक शांति वाला देश समझते है,

कुछ खबरे मेरे भारत के वीर जवानो की जिन पर हमे मान होना चाहिये

'डर के आगे जीत है...' ,नेता लोगों को तो अपने काम से काम है, ये भीख मांगने आते हैं वोटों की और उसके बाद लोगों को भूल जाते हैं,
'यह किसी के लिए भगवान होने जैसा था'

हार्दिक श्रद्धांजली

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हार्दिक श्रद्धांजली मेरे उन शहीद भाईयो के लिये जो हमारी ओर हमारे देश की आबरु की रक्षा करते शहीद हो गये।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकाम्मी सरकार के लिये

तलत महमुद जी भाग २

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आईये कुछ भुले बिसरे, लेकिन सदा बहार गीत तलत महमुद जी की आवाज मै सुने , ओर इन गीतो को अगर आप झुम ना उठे तो कहिये...

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कुंदन लाल सहगल भाग ३

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सहगल जी के गीत मै बचपन से ही सुन्ता आ रहा हु, जब पिता जी इन्हे विविध भारती पर सुना करते थे, तो बरबस हमे भी सुननए पडते थे, लेकिन उस समय इन गीतो का अर्थ समझ मै नही आता है, लेकिन साथ साथ मे गुन गुनाते थे, अब जब खुब समझ मै आते है तो मिलते नही, ओर एक ख़जाना हाथ लगा तो सोचा आप सब से बांट लू... तो चलिये अगले १० गीतो रुपी फ़ुलो का गुलदस्ता लेकर हाजिर हुआ हुं
पसंद आये तो होसल्ला जरूर बढ्ये।

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तलत महमुद जी भाग १

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आईये आप को तलत महमुद जी के कुछ गीत ओर गजल सुनाये, भुली बिसरी यादो के साथ, हर सेट मे मेने इस बार भी १० गीत ही रखे है, सुनिये ओर बातये आप को केसे लगे?

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ताऊ के काम

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ताऊ चला दिल्ली की ओर....

एक बार ताऊ रोहतक से दिल्ली जा रह था, सापले आते ही टी टी चढ गया बस मै, ओर सब की टिकट चेक करने लगा, ओर थोडी देर बाद ताऊ के पास भी आ गया, ओर बोला भाई चोधरी साहब टिकट दिखायो, ताऊ ने अपना झोला खोला, फ़िर उस मै से एक पलास्टिक की एक थेली निकाली, फ़िर उस मै से एक कपडे की एक छोटी सी गांठ निकली, फ़िर उस मै से एक रोटी बांध रखी थी, ओर उन रोटीयो के बीच मै देसी घी का चुरमा रखा हुया था, फ़िर ताऊ ने उस चुरमे मै ऊंगली से टिकट ढुढा, ओर फ़िर टिकट निकाल कर टी टी को दिखाया।
टिकट तो घी के चुरमे के कारण पुरी तरह से चिकनी हो गई थी, तो टी टी ने कहा, अरे अच्छे आदमी तुम्हे कोई ओर जगह नही मिली इस टिकट को रखने के लिये ?? ताऊ बोला मै बुढढा आदमी इसे से अच्छी जगह ओर कहा होगी, कही ओर रख के भूल गया तो... ओत टी टी भुन भुनाता आगे निकल गया, साथ मे तिवारी साहब जी बेठे थे, तिवारी साहब बोले , अरे बाउली बुच( पगले) तुझे टिकट रखने की कोई दुसरी जगह नही मिली क्या????बाबले चुरमा टिकट रखने के लिये थोडे है ??? ताऊ बोला तिवारी मै इतना भी बाब्ली बुच (पागल ) नही इस टिकट पर पिछले ४ साल से यात्रा कर रहा हुं.
जय बोलो ताऊ की

कुंदन लाल सहगल भाग २

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इक बंगला बने न्यारा.....
आईये आप को कुंदन लाल सहगल जी के कुछ ओर यादगार गीत सुनाये...... बस इन के गीतो को सुन कर मस्त ना हो जाये तो कहिये.....

तो चलिये आप को अपने न्यारे बंगले मै ले चले...

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दादी मां

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सर्दी की वजह से दादी मां अब कम ही बाहर आती हे, जब कम आती है तो कम बात करती है, लेकिन आज मेने भी दादी मां को घर जा कर बात की, ओर बाताया कि बहुत से लोग इन्त्जार कर रहै है, आप की बातो का तो दादी ने सोच कर यह बात बताई.........
यह बात बहुत पुरानी हे, जब दादी मां जवान थी, हां आप को बता दुं दादी काफ़ी पढी लिखी है, ओर यह एक सच्ची बात है......

आज चार दिन से दादी की आंखो मे सुजन आई हुयी थी, पहले दो दिन तो दादी घर पर ही देसी टोटके करती रही लेकिन आंखो की सुजन ओर दर्द कम नही हुआ, तो दादी मां डा के पास गई, डा साहब ने दादी मां की आंखे चेक की ओर कहा घबराने की कोई बात नही, लगता है आंख मे कुछ पड गया था, ओर आप ने उसे मल दिया, इस लिये यह सुजन आई है, आप यह दवा ले जाये ओर हर दो घण्टे के बाद डालते रहे, ओर आज से तीसरे दिन फ़िर से चेक करवाने आये।

दादी मां ने वो दवा की ट्युब डा साहब से ली, बिल दिया ओ घर आ गई, बडे बेटे को कहा बेटा यह ट्युब मेरी आंखॊ मे डाल दे, बेटे ने आंखो मै डाल दी, ओर फ़िर मां से बोला मां एक बार मै जाने से पहले आप की आंखॊ मै डाल दुगां, फ़िर मेने कालिज जाना है, तीसरी बार छोटे से डलवा लेना।

बडे ने दोनो समय सही वक्त पर मां की आंखो मे दवा डाल दी, मां की आंखे आज ज्यादा ही दुख रही थी, तो बडे ने मां को बताया मां यह आंखो की दवा मै इस ऊपर वाले दराज मे रख रहा हूं, छोटा आया खाना खाया ओर कब आंख बचा कर चला गया मां को पता ही नही चला, थोडी देर मे अलार्म बजा तो मां को याद आया कि बडा इसी लिये अलार्म लगा गया था कि मे दवा ना भुलु, मां ने दो चार बार छोटे को आवाज दी , लेकिन छोटा तो छत पर पतंग उडाने मे मस्त था।

लेकिन मां की आवाज सुन कर माया पडोस की लडकी आ गई ओर बोली मां भाईया तो यहां नही, बोलो क्या काम हे? मां ने कहा बेटी मेरे से तो आंखे भी नही खोली जा रही, वो देख सामने मेज की दराज मे तेरा बडा भाई मेरी आंखो की दवा रख गया हे, तु वो मेरी आंखो मे डाल दे, शायद शाम तक कुछ आराम आ जाये? अब माया उस मेजे के पास गई ओर दराज को खोला वहां कई सारी दवा की ट्युब पडी थी,।माया ने पुछा मां कोन से वाली ? दादी मां ने कहां बेटी हरे रंग वाली ? माया ने दादी का सर अपनी गोद मे रखा ओर एक आंख खोल कर उस मे वो हरी ट्युब वाली दवा डाल दी।

लेकिन यह क्या दवा डालते ही दादी की चीख निकली ओर दादी बुरी तरह से तडपने लगी, माया ने अब ध्यान से टयुब को पढा तो वो टयुब तो पंचर लगाने वाली थी, अब माया घबरा गई ओर जल्दी से अपने घर से अपने पिता जी कॊ ओर उपर से छोटे भाई को बुला लाई, ओर दादी को झट पट डा के पास ले गये ओर माया ने रोते रोते सारी बात बता दी।

डा ने कहा आप जितनी जल्द हो सके इन्हे मेडिकल मे ले जाओ, जल्दी से दादी को मेडिकल ले जाया गया,( साथ मे डा ने यह भी कहा की सारे रास्ते आप इन की आंख को सुखने मत देना इस लिये कोसे कोसे पानी से आंख धोते रहना, या हलके हलके छीटें मारते रहना, ओर आंख को खोले रखे अगर बन्द हो जाये तो जवर्दस्ती मत खोले) अब मेडिकल मे दादी को झटपट दाखिल करवाया गया, ओर डा साहब ने चेक भी किया, कई दवा भी आंखो मे डाल कर आंखो को कई बार धोया।

ओर फ़िर सब घर वालो को कहा कि अभी मै कुछ नही कह सकता, आप सब शाम को आये, मेने इन्हे सोने की दवा देदी है , जिस से यह बार बार आंख को नही मसलेगी , ओर आंख को थोडा आराम मिलेगा, अगर शाम तक सुलोशन (पंचर लगाने वाला ) सूख कर अपने आप बाहर निकल आया तो कोई खतरा नही, वरना अप्रेशन करना पडेगा, लेकिन आंख का पता नही बचे या न बचे लेकिन आप सब दिल छोटा ना करे, मुझे उम्मीद है ऎसा कुछ नही होगा।

माया का रो रो कर बुरा हाल था, उसे यही मलाल था की पढी लिखी हो कर भी उसने यह वेबकुफ़ी केसे कर दी, सब शाम तक वही बेठे रहै, शाम सात बजे डा साहब आये, ओर उन्होने देखा दवा का असर अभी भी हे, दादी शान्ति से सो रही है, डा ने धीरे से पट्टी खोली,आंख के ऊपर से दवा का फ़व्वा हटाय, ओर आंख को खोलने की कोशिश की, लेकिन यह क्या ? डा साहब के हाथ मे एक झिली सी आ गई, डा साहब के उसे ट्रे मे रखा ओर धीरे से फ़िर आंख कॊ खोला ,अब आंख के आगे से सफ़ेद झिली गायब थी, ओर दादी भी थोडी हिली डुली।

डा साहब ने कहा जब तक यह होश मै नही आ जाती तब तक कुछ नही कहा जा सकता, लेकिन लगता है अब कोई खतरा नही,रात नो बजे दादी की आंख खुली। ओर दादी जाग गई, थोडी देर बाद डा साहब की डयुटी बदलने वाली थी, लेकिन समय निकाल कर आये, ओर उस आंख पर पहले पानी से धीरे धीरे छींटे मारे फ़िर बोले आप आंख धीरे धीरे खोले, दादी ने अपनी आंखे धीरे धीरे खोली, फ़िर डा ने दोनो आंखो से बारी बारी दादी मां को देकने को कहां, फ़िर सब को बधाई दी की अब इन्हे कोई खतरा नही, क्योकि सुलोशन डालते ही इस लडकी को अपनी गलती पता चल गई थी, ओर इस ने हिम्मत से काम लिया, अगर यह चुप रहती, या आप लोग लेट आते को .....
आज दादी ९१ साल की हो गई है, लेकिन कभी भी चशमा नही ला, ओर दादी खुद ही कभी कभी मजाक मै कानी हो जाती तो कुछ ऎसे दिखती ओर एक आंख बन्द कर लेती है।

कभी भी बिना पढे कोई भी दवा मत ले, ना किसी को दे, लेकिन हम मे से कई जो पढे लिखे भी है बिना पढे, ओर बिना उस दवा के जाने उसे खाते भी है ओर खिलाते भी है

ताऊ के काम

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भाई ताऊ तो होता ही शरीफ़ है...... तो चलिये ताऊ की शराफ़त का एक नमुना ओर देख ले...

एक बार ताऊ ओर तिवारी साहब जी बस मै बेठ गये, बस थी हरयाणा रोड वेज की, थोडी देर बाद कंडकटर आया ओर बोला साहब जी टिकट, तिवारी साहब सोचने लग गये की पेसे केसे बाचाये जाये? तभी तिवारी साहब जी के दिमाग ने काम किया, ओर तिवारी साहब पेसे बचाने के चक्कर मै बोले... भाई कंडकटर तु यह सोच लियो की बस मे तेरी बुआ बेठ गई थी,बस का कंडकटर शरीफ़ था, इसलिये चुप हो गया, फ़िर ताऊ को देख कर बोला ताऊ ईब तु तो टिकट कटवा ले, अब ताऊ ने देखा की यु तिवारी तो सीधा बच गया, मेरे पेसे लगेगे, ओर सोचने लग गया?????? ताऊ ने भी दिमाग दोडाया ओर बोला भाई कडकटर तु यह सोच ले की बुआ संग तेरा फ़ुफ़ा भी बस मै बेठा है.

थोडा बच कर...

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यह सुचना आप सब के लिये है....
हमारे यहां कई लोगो को ई मेल मिला की आप का धन्यवाद आप ने ओबामा की जीत मे खुशी दिखाई, हम आप सब का धन्यवाद करते है...... ओर आप जब इस ई मेल को खोलेगे तो आप के यहां नया विरुस,( वायरस) आ चुका होगा, इस लिये सावधान करना मेरा फ़र्ज है।
इस ओबामा के नाम से जितने भी ई मेल आये समझिये सब मै कुछ गडबड है,

ताऊ के काम

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भाईयो हमारा ताऊ ऎसा वेसा नही, बहुत ही सीधा साधा शरीफ़ आदमी है, अगर किसी को शक हो तो भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन पर जा कर उन महा आदमी की फ़ोटो देख सकते है, अरे आप गलत समझ रहै है, अरे महात्मा गांधी की फ़ोटो भी तो पुलिस स्टेशन पर लगी होती है... तो क्या ........ सच मै हमारा ताऊ बहुत शरीफ़ है, यकीन नही होता ??? तो नीचे खुद पढ ले....

भाई ताऊ के बडे लडके का रिश्ता पक्का होगया, अब ताऊ हमारा बहुत शरीफ़, लडकी वाले पक्के चालू ओर कंजुस मक्खी चुस, अब जब ताऊ ने शादी की तारीख निकलवा ली तो लडकी का वाप बोला चोधरी साहब बात यह है कि तुम बारात थोडी छोटी लाना, बस १०,१५ आदमी ही।

अब ताऊ था दिल का राजा, उस की जान पहाचान बांलाग मै ही इतनी है २,३ सो तो बांलग्रिये ही इक्कट्टॆ हो जाये, फ़िर गाव के , रिश्ते दार सब मिला के १५०० लोग, ताऊ ने एक दो बार समझाया, लेकिन लडकी का वाप था पक्का कंजुस, वो नही माना, तो ताऊ ने हां कर दी, ओर भाईयो रोकते रोकते भी २७ आदमी हो गये,

बारात पहुची लडकी वालो के घर मै, ओर लडकी के बाप ने जब देखा की बाराती तो बहुत ज्यादा है, ओर खाना बनबाया है सिर्फ़ १५ आदमियो का, तो भाईयो लडकी के बाप ने खीर मै, आलू की सब्जी मै ,दाल मै ,चावलो मै, ओर हलवे मै पानी डाल दिया, ओर पानी डालने के कारण सारा खाना वेस्वाद सा हो गया, अब बराती खाने आये तो ताऊ के कारण कुछ नही बोले ओर थोडा बहुत खा कर ऊठ गये, ताऊ भी सारी बात समझ गया।

अब शादी हो गई ओर विदाई का समय आया तो लडकी के बाप ने ताना सा मारा, चोधरी साहब आप बारात तो बहुत छोटी लेकर आये, अब हमारे ताऊ को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मोके की नाजाकत देखर्ते हुये दोनो हाथ जोड कर ताऊ बोला... चोधरी साहब हमारे गाव मै गोवर खाने वाले बस इतने ही लोग थे।
तो हमारा ताऊ हुआ न शरीफ़

कुंदल लाल सहगल भाग १

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आईये आप को कुंदल लाल सहगल के भुले विसरे गीत सुनाऊ.... इन गीतो मे आज का शोर नही , लेकिन इन्हे सुन कर मस्ती सी छा जाती है, पहले पये दान मै मेने दस गीत ही रखै है, आप सुने ओर जरुर बताये केसे लगे.......

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ताऊ का नया काम

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एक बार ताऊ ने नया काम शुरू किया, इस बार उसने गधे पाल लिये, अब रोजाना जंगल मे गधॊ को चराने लेजाता ओर शाम को वापिस आता, ओर उस रास्ते मै एक थाना पडता था, ओर थाने के बिलकुल सामने एक बच्चो का स्कुल था, एक दिन ताऊ गधो को जंगल मे चरने के लिये लेजा रहा था कि एक गधे का बच्चा भाग कर स्कुल मे घुस गया, ओर ताऊ अपन लठ्ठ ले कर गधे के बच्चे के पीछे पीछे स्कुल मै घुस गया, ओर इधर उधर गधे के बच्चे को ढुढने लगा, अब ताऊ को देख कर बच्चे शोर मचाने लगे, तो मास्टर जी ने ताऊ को कहा, रे ताऊ भाग यहां से बच्चो को पढने दे, ताऊ वहा से चला आया ओर बोला ऎ मास्टर तु ही समभाल ले इब इस गधे के बच्चे को.
एक महीने के बाद ताऊ फ़िर स्कुल के सामने से गुजरा, ओर उसे अपना गधे का बच्चा याद आ गया, ओर ताऊ सीधा मास्टर के पास गया ओर बोला मास्टर जी मास्टर जी मेरा गधे का बच्चा कहां है, मास्टर जी किसी बात से पहले ही भरे बेठे थे, ताऊ को देख कर बोले वो सामने कुर्सी पे बेठा है तेरा गधे का बच्चा, ताउ ने उस तरफ़ देखा, वहां थाने दार अपनी वर्दी मे बेठा था,ताऊ तो बडा खुश हुआ ओर सीधा थाने दार के पास पहुच गया, ओर थाने दार के सर पर हाथ फ़ेर कर बोला , ओये मेरा गधे का बच्चा अब तो तु थाने दार बन गया, बस फ़िर क्या था, थाने दार उठा ओर ताऊ के दो तांगे मारी, तो ताऊ बोलेया रे गधे के बच्चे तु आदमी तो बन गया लेकिन लाट मारने की आदत नही छुटी.....

एक पहेली ???

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यह है इस पहेली का सही जवाव जो समीर जी ने दिया है , इस फ़ुल का
नाम पोपाये(poppy ) है भारत मै यह हिमाल्य ओर उस के आसपास मिलता है, धन्यवाद

बुझो तो जाने???? बताईये यह क्या है ? एक फ़ल?? या एक अधखिला फ़ुल?? या कुछ ओर , ओर इस का नाम क्या है????


दादी मां

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आप सब के साथ शायद ऎसा ना होता हो, लेकिन हमारी जगत दादी माँ के साथ हमेशा कुछ ना कुछ होता है, आज फ़िर से ऎसा ही कुछ हुआ, लेकिन पढने से पहले इस कहानी से कुछ शिक्षा भी मिलती है, उस पर जरुर धयान देवें


कल दिपावली है, ओर गाव मै दादी के पास सारा परिवार आया हुआ था, सभी घर की साफ़ सफ़ाई मै लगे हुये थे, तीन दिन से यही चल रहा था, ओर घर की ओरते भी घर मै आज सुबह से ही मिठाईयां बनाने पर लगी थी, कल के लिये सभी के नये कपडे आये हुये थै, दोनो भाईयो के , उन की पत्नियो के ओर सभी बच्चो के लिये तीनो ननद के लिये भाभियां शहर से ही नयी साडियां ले कर आई थी.दादी मां ओर दादा जी के लिये भी नये कपडे छोटा बनबा लाया था, दादी मां के कपडे तो सही नाप के बने थे, लेकिन दादा जी का पेजामा थोडा लम्बा बना था.

दादी ने बडी बहुं को आवाज दे कर कहां बहु , बेटा अपने ससुर का पेजामा नीचे से दो उंगल काट कर छोटा कर देना, ताकि कल जब पहने तो नाप सही आये,तो बडी बहुं ने वही से जवाव दिया मां मेरे पास समय नही अभी मै मिठाई बना रही हूं, तो दादी ने छोटी बहू को आवाज दी, ..... छोटी बहुं ने भी कहा मां मै तो गुजिया बना रही हुं मेरे पास भी समय नही,फ़िर दादी ने बडी बेटी को आवाज मार कर कहा बेटी अपने बाप का पेजामा दो उंगल काट कर छोटा कर देना, बडी ने कहा मां मै तो छत साफ़ कर रही हुं मेरे पास तो बिलकुल भी समय नही, फ़िर छोटी बेटी ओर दोनो पोतियो ने भी जवाव दे दिया,
यह सब बाते दादा ने भी सुनी, ओर अपना पेजामा ले कर दर्जी से छोटा करवा कर दुवारा कील पर टांग दिया, शाम को दादी ने सोचा बच्चे थक गये है, सो किसी तरह से उठ कर खुदी ही दादा का पेजामा काट कर ठीक कर दिया, ओर फ़िर वही रख दिया थोडी देर बाद बडी बहु जब काम खत्म कर के हटी तो सोचा सुबह बाबुजी ने पेजामा पहनाना है लम्बा पेजामा ठीक नही लगेगा, सो उन्होने भी २ उंगल नाप कर काट दिया, इसी तरह से सब ने बिना एक दुसरे को पुछे अपना अपना फ़र्ज पुरा कर दिया.

सुबह जब दादा नहा कर निकले तो अपना पेजामा ढ्ढने लगे , दादी ने कहा अरे मेने यही तो रखा था उसे ठीक कर के, दादा बोले अरे किसे ठीक कर के वह तो मै खुद ही ठीक करवा लाया था, इन की बात सुन कर बडी बहु ने कहा मेने भी ठीक कर दिया था, ओर इस के साथ ही सब ओरते हम ने भी हम ने भी ठीक कर दिया था, ओर दादा जी की समझ मे अब सारी कहानी आ गई की जो नया लम्बा कच्छा उन्होने पहना है, असल मे वो तो उन का पेजामा था, ओर सब बात पता चलने पर खुब ठहके मार मार कर हंसने लगे, ओर फ़िर जल्दी से दाद जी के लिये नया पेजामा ले कर आये... ओर फ़िर सब ने मिल कर वह दिपावली खुशी खुशी मानई

हम सब को अपनी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिये, ओर एक बार इन्कार करने के बाद दुवारा काम शुरु करने से पहले उसे बता देना चाहिये जिसे हम एक बार इन्कार कर चुके है

भगवान विष्णु जी ओर माता लक्ष्मी जी की एक कहानी.

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कहानियां कथा हमे शिक्षा देने के लिये ही होती है, इस लिये हमे इस बहस मै नही पडना चाहिये कि ऎसा नही हो सकता या यह बस एक कल्पना है, या यह एक अंध विश्च्वास है, जेसे बाजर मै जा कर हम अपनी पसंद का ही समान लेते है वेसे ही हमे भी इन कहानियो ओर कथाओ से अपनी पंसद का ग्याण ले लेना चाहिये।

आज की यह कथा दिपावली पर है ओर आशा करता हुं , आप इस से कुछ ना कुछ जरुर प्राप्त करेगे, ओर इस कथा के साथ साथ मै आप सब को दिपावली की बधाई देता हुं, भगवान से आप सब के लिये शुभकामनाये चाहता हूं आप सब को दिपावली हंसी खुशी आये, ओर दीपो के समान आप सब के जीवन मै से अंधेरा मिटा कर रोशनी करे, आप सब खुश रहै। शुभ दिपावली.

भगवान विष्णु जी ओर माता लक्ष्मी जी की एक कहानी।

एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बेठे बेठे बोर होगये, ओर उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन मै किया, वेसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये, ओर वह अपनी यात्रा की तेयारी मे लग गये, स्वामी को तेयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा !!आज सुबह सुबह कहा जाने कि तेयारी हो रही है?? विष्णु जी ने कहा हे लक्ष्मी मै धरती लोक पर घुमने जा रहा हुं, तो कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मै भी आप के साथ चल सकती हुं???? भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुच कर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल मत देखना, इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने हां कह के अपनी मनवाली।


ओर सुबह सुबह मां लक्ष्मी ओर भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये, अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी, चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी, ओर धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी, ओर मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी, ओर भुल गई कि पति को क्या वचन दे कर आई है?ओर चारो ओर देखती हुयी कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।

उत्तर दिशा मै मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया, ओर उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी,ओर बहुत ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे,यह एक फ़ुलो का खेत था, ओर मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत मे गई ओर एक सुंदर सा फ़ुल तोड लाई, लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो मै आंसु थे, ओर भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये, ओर साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।

मां लक्ष्मी को अपनी भुल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भुल की माफ़ी मागी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने जो भुल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी?? जिस माली के खेत से तुम नए बिना पुछे फ़ुल तोडा है, यह एक प्रकार की चोरी है, इस लिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नोकर बन कर रहॊ, उस के बाद मै तुम्हे बैकुण्ठ मे वपिस बुलाऊंगा, मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी( आज कल की लक्ष्मी थोडे थी?

ओर मां लक्ष्मी एक गरीब ओरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपडा था, ओर मालिक का नाम माधव था, माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी , सभी उस छोटे से खेत मै काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,

मां लक्ष्मी जब एक साधारण ओर गरीब ओरत बन कर जब माधव के झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा बहिन तुम कोन हो?ओर इस समय तुम्हे क्या चाहिये? तब मां लक्ष्मी ने कहा ,मै एक गरीब ओरत हू मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मेने कई दिनो से खाना भी नही खाया मुझे कोई भी काम देदॊ, साथ मै मै तुम्हरे घर का काम भी कर दिया करुगी, बस मुझे अपने घर मै एक कोने मै आसरा देदो? माधाव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मै तो बहुत ही गरीब हुं, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटिया होती तो भी मेने गुजारा करना था, अगर तुम मेरी बेटी बन कर जेसा रुखा सुखा हम खाते है उस मै खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।

माधाव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपडे मए शरण देदी, ओर मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नोकरानी बन कर रही;

जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उस से दुसरे दिन ही माधाव को इतनी आमदनी हुयी फ़ुलो से की शाम को एक गाय खरीद ली,फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खारीद ली, ओर सब ने अच्छे अच्छे कपडे भी बनबा लिये, ओर फ़िर एक बडा पक्का घर भी बनबा लिया, बेटियो ओर बीबी ने गहने भी बनबा लिये, ओर अब मकान भी बहुत बडा बनाबा लिया था।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी, ओर अब २-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर मै ओर खेत मै काम करती थी, एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उस ने अपने घर के सामने दुवार पर एक देवी स्वरुप गहनो से लदी एक ओरात को देखा, ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही ओरत है, ओर पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है.
अब तक माधव का पुरा परिवार बाहर आ गया था, ओर सब हेरान हो कर मां लक्ष्मी को देख रहै थे,माधव बोला है मां हमे माफ़ कर हम ने तेरे से अंजाने मै ही घर ओर खेत मे काम करवाया, है मां यह केसा अपराध होगया, है मां हम सब को माफ़ कर दे

अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली है माधव तुम बहुत ही अच्छे ओर दयालु व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेती की तरह से रखा, अपने परिवार के सदस्या की तरह से, इस के बदले मै तुम्हे वरदान देती हुं कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की ओर धन की कमी नही रहै गी, तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हक दार हो, ओर फ़िर मां अपने स्वामी के दुवारा भेजे रथ मे बेठ कर बेकुण्ठ चली गई

इस कहानी मै मां लक्ष्मी का संदेशा है कि जो लोग दयालु ओर साफ़ दिल के होते है मै वही निवास करती हुं, हमे सभी मानवओ की मदद करनी चाहिये, ओर गरीब से गरीब को भी तुच्छ नही समझना चाहिये।

शिक्षा..... इस कहानि मै लेखक यहि कहना चाहता है कि एक छोटी सी भुल पर भगवान ने मां लक्ष्मी को सजा देदी हम तो बहुत ही तुच्छ है, फ़िर भी भगवान हमे अपनी कृपा मे रखता है, हमे भी हर इन्सान के प्र्ति दयालुता दिखानि ओर बरतनि चाहिये, ओर यह दुख सुख हमारे ही कर्मो का फ़ल है
एक बार फ़िर से आप सब को दिपावली की शुभकामनऎ, आप सब को मां लक्ष्मी का आशिर्वाद मिले आप सब को भगवान विष्णु खुश रखे, बिना जुआ खेले बिना कोई गलत काम किये इस दिपावली को परिवार के साथ मानाये ओर किसी की आंख से एक आंसु पोछे फ़िर देखे कितना मजा आता है इस दिपावली का
धन्यवाद

भारत की प्रसिद्ध मस्जिदो की सुची

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मुझे मेरे एक लेख पर दो टिपण्णीयां मिली थी, जिन का जबाब मै जल्द ना दे सका, माफ़ी चाहता हूं पहली टिपण्णी श्री मान दिलीप कवठेकर जी की थी, ओर इन की टिपण्णी से सहमत थे श्रीमान पलिअकरा जी, आज समय मिला , ओर मेने फ़िर से अध्यन कर के यह सब खोजा ...पहले आप की टिपण्णी फ़िर उन का जबाब.

दिलीप कवठेकर जी ,जहाँ तक मेरी जानकारी है, भोपाल की ताज-उल-मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. नापी नहीं , मगर दोनों विजीट कर चुकां हूँ , अंदाज़ से भी ताज-उल-मस्जिद बड़ी लगती है. कृपया एक बार फ़िर देखें और तसल्ली कर सकते है, क्योंकि हमने अपने बालपन में भोपाल में स्कूल में पढ़ते हुए तो हीसुना था, हो सकता है, सही ना हो.



पलिअकरा जी, दिलीप कवठेकर जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. एक पोस्ट और सही. लिखते रहिए. आभार.

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दिलीप कवठेकर जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद, आप की बात कुछ हद तक सही है, ओर मै पुरी जानकारी फ़िर से दे रहा हुं, कोई गलती हो तो जरुर सुधारे, आप का धन्यवाद

भारत की प्रसिद्ध मस्जिदो की सुची

१,जामा मस्जिद, यह मस्जिद दिल्ली मै स्थित है, ओर भारत की विशालतम( सब से बडी , ऊची नही)मस्जिद है, इस शहजहाम ने बनबाया था,इस मस्जिद को बनबाने मै करीब ६ साल लगे थे, ओर अरबो रुपये का खर्च हुआ था, यह रेतीले ओर सफ़ेद पत्थरो से बनी है, ओर इस के उत्तर ओर दक्षिण की ओर दो दुवार ही इस की विशेषता है,



२. ताज उल मस्जिद...

भारत की सब से ऊंची मस्जिद है ताज उल मस्जिद, भोपाल मै स्थित, इसका प्रवेश दुवार गुलाबी रंग का है, इस दुवार के उपर दो सफ़ेद गुंबद बने हुये है, यह गुंबद ऊपर की ओर है जेसाकी बाकी होते है, लेकिन इन की विशेषता है कि यह माना जाता है कि यह खुदा की ओर जाने का रास्ता है,पेसे के अभाव से काफ़ी समय इस का निर्माण रुका रहा था, लेकिन १९७१ मै यह मस्जिद पुरी तरह से बनी, ओर इस मे बच्चो के लिये मदरसा भी है.




३.कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद...
यह मस्जिद भी दिल्ली मै है,इसे कुतुबद्दीन ऎबक ने ११९२ मे बनवाना आरंभ किया, लेकिन कुतुबद्दीन के बाद इसे इल्तुतमिश नै १२३० मै फ़िर अलाउद्दीन खिलजी ने१३१५ मै पुरा करवाया, यह इस्लामिक कला कारी का बेजोड नमूना है,इस मस्जिद मै राय पिथोडा स्थित कई हिन्दु मंदिरो के स्तंभ लागये गये है, इस कारण इस मस्जिद मै हिन्दु कला की छाप भी मिलती है,

आप जेसे जेसे इस मस्जिद मै प्रवेश करते है, आप का ध्यान बरबस ही इस की गोलाकार छतो पर जाता है, इस के निर्माण मै बढोतरी करते हुये कुतुबद्दीन के दामद ने मस्जिद के तीन मेहराबो को बढा कर पांच कर दिया, जहा नमाज अदा की जाती है,इमाम जमीम सिकंदर लोदी उस समय धर्म गुरु थे मुस्लमानो के, उन का मकबरा भी बहुत हि सुन्दर बना है यहां पर.

४. मोती मस्जिद
सफ़ेद पत्थरो से निर्मित यह मस्जिद १८६० मे सिंकदर जहां बेगम ने बनवाई थी, यह भोपाल मे स्थित है, ओर बहुत ही सुन्दर कारीगरी की गई है.

५. अढाई-दिन का झोपडा...
इस मस्जिद को बनबाने मे कहते है सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, ओर यह मस्जिद अजमेर मै बनी है,इस से कई बातें प्रचलित है, ओर अब अर साल यहा (ढाई) अढाई दिन का मेला लगता , इस का नाम इस के निर्माण के कारण ही अढाई दिन का झोपडा पडा है,यहां पहले बहुत बडा संस्कृत का बिद्धालया था, ११९८ मे मोहम्म्द गोरी ने उस पाठशाला को इस मस्जिद मै बदल दिया, ओर इस का निर्माण थोडा सा फ़िर से करवाया,ओर अबु बकर ने इस का नकशा तेयार किया था, मस्जिद का अन्दर का हिस्सा मस्जिद से अलग किसी मंदिर की तरह से लगता है.

५.जमाली कमाली मकबरा...
इस मस्जिद का निर्माण सिकंद्र लोदी के समय १५२८ ईस्वी मे शुरु हुआ था ओर हुमाऊ के समय१५३६ मै पुरा हुआ,, जमाली एक सुफ़ी संत थे ओर वह सिकंदर के दरवार मै थे, ओर काफ़ी समय बाद वह हुमाऊ के समय मोत को मिलेयह मकबरा मस्जिद के पिछले हिस्से मै बना है,लेकिन इस की दिवारे ओर छत बहुत ही सुन्दर है, ओर इस मस्जिद की मरम्मत अभी हुयी है

६. जामी मस्जिद
यह अजमेर मे है इसे शाहजहां का मस्जिद भी कहते है, यह मस्जिद करीब ४५ मीटर लम्बी है, ओर इस की ११ मेहराबै है ओर इस का पत्थर मकराना से मगंवाये गये थे.


ताऊ की चलाकी

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ताऊ की चालाकी
एक समय की बात है, जब ताऊ जवान हुआ करता था,ताऊ घर पर सोया था, ओर उधर नहर वाले खेत के पास से तीन अजनबी लोग गुजर रहे थे, दोपहर का समय था, ओर आसपास भी कोई नही था,अब तीनो ने सोचा चलो खेत मे चने लगे हे, ओर आसपास भी कॊई नही, ओर हमे भूख भी लगी हे, तो चने खाये जाये, यह तीनो लोग मे से एक ब्राह्मण था, एक क्षत्रिय था, ओर एक नाई, बहुत सोच समझ के बाद तीनो ने चने उखाडे ओर वही बेठ के खाने लगे.

ताऊ घर मे बेठा मक्खी मार रहा था, तभी ताई ने कहा जा जरा खेतो मे देख आ कोई जानवार ना घुस गया हो, बात ताऊ के दिमाग मे आगई, ताऊ लठ्ठ ले कर खेतो की तरफ़ चल पडा, अब ताऊ ने दुर से देखा कि तीन लोग चने के पोधे उखाड उखाड कर फ़सल खराब कर रहे है, खाते कम ओर नुक्सान ज्यादा कर रहे हे, गुस्सा तो ताऊ को बहुत आया, फ़िर ताऊ ने चारो ओर देखा, आसपास कोई नजर भी नही आया, अब ताऊ ने सोचा कि सीधा जाकर अगर मेने लडाई की तो यह तीन है, ओर मै अकेला कही यह भारी ना पड जाये, तो फ़िर ताऊ ने अपनी बुद्धी का प्रयोग किया, केसे??

ताऊ गया उन के पास ओर पहले आदमी से बोला भाई साहब आप कोन, जबाब मे उस ने कहा मे एक ब्राह्मण हुं, तो ताऊ बडा खुश हुआ, बोला महा राज आप ने तो मेरा खेत ही पबित्र कर दिया अरे मुझे हुकम देते मे घर पर छोड आता, खाईये जितना चाहे,ओर हां अगर आप को घर के लिये भी चाहिये तो मे अपनी बेलगाडी से आप के घर पर चार पांच गठरी चनो की छोड आऊगां
फ़िर ताऊ दुसरे आदमी के पास गय, ओर बोला भाई सहाब आप कोन? तो उसने कहा मै क्षत्रिय हुं, इतना सुनते ही ताऊ बोला अरे कुवर जी आप तो हमारे अन्नदाता है, मेरे कितने अच्छॆ भाग्या है मेरे कुवरं साहब पाधारे आप भी खाईये जितना चाहे, अगर घर के लिये भी चाहिये तो हुकम मेरे महाराज कुवर साहव, अब आप खाईयेमै जरा इन से बात कर लू, फ़िर ताऊ तीसरे के पास गये, ओर बोले भाई साहब आप कोन तो तीसरा आदमी बोला जी मै नाई.

अब ताऊ बोला नाइ तेरी हिम्मत केसे हुयी मेरे खेत मे घुसने की बोल ससुरे, इन ब्राह्मण ने चने उखाडे यह हमरे पुजनिया है, हमारे व्याह शादी पर , किसी के मरने पर, दुख सुख मे हमे कथा सुनाते हे काम आते है, ओर यह कुवर साहब तो हमारी सरकार है, हमारे राजा, यह भि दुख सुख मे हमारे काम आते है, पर कमीने तु किस काम का ओर ताऊ नेउस हज्जम को जर्मन लठ्ठ से खुब बजाया,ब्राह्मण ओर क्षत्रिय दोनो नाई को पिटाता देख कर खुश हो रहे थे, जब ताऊ ने नाई को अच्छी तरह से बजा दिया तो उसे टागं से पकड कर खेत से बाहर फ़ेंक दिया,फ़िर ताऊ आया उस क्षत्रिय की तरफ़, ओर बोले क्यो कुवरं जी क्या खेत मेबीज तुम्हारे बाप ने दिया था, ओर खाद आप ने दादा ने दी थी, बोलो क्षत्रिय बोला नही तो , तौ बोला ब्राह्मण तो हमारे पुज्निय ठहरे , लेकिन आप ने फ़िर क्यु उखाडे हमारे चने, हे बोलो ओर फ़िर ताऊ ने अपना लठ्ठ उस क्षत्रिय पर खुब मांजा,क्षत्रिय को पिटाता देख कर नाई ओर ब्रह्माण बहुत खुश हुये, नाई मन ही मन कह रहा था साले जब मेरी पिटाई हुयी तो बहुत खुश था अब तु भी पिट, ओर ताऊ ने उसे भी मार मार के लाल कर दिया, उधर ब्राह्नाण कह रहा था कमीने को ओर मार अपने आप को कुवरं साहब मान रहा था, तो ताऊ ने उसे भी इतना मारा कि बेचारे से खडा भी ना हो पाया जा रहा था, ओर उसे भी टांग से पकड कर नाई की बगल मे फ़ेंक दिया.

उधर क्षत्रिय सोच रहा था अब गाव मे जा कर यह ब्राह्माण हम दोनो की खिली उडायेगा, देखो नाई ओर क्षत्रिय खुब पिटे, ओर हमे देख देख कर खुश भी हो रहा था, हे भगवान इस की भि पिटाई करवा,ओर अब ताऊ चले ब्राह्माण की ओर , ओर बोले पूजनीय जी अब आप की भी पुजा हो जाये तो केसा रहेगा,क्यो मेरे पुजनिया क्या यह खेत युही तेयार हो जाता है क्या, अरे इस मे बीज डालना पडता है, खाद डालनी पडती है, फ़िर मेहनत ओर फ़िर इस की हिफ़ाजत करनी पडती है, जब आप पुजा वगेरा करते हो तो कोई एक पेसा भी कम लेते हो?? बोलो... ओर ताऊ होगया चालू उस ब्राह्माण कि पुजा करने केलिये., ओर फ़िर ताऊ ने खुब पुजा की उस ब्राहमण की.....

शिक्षा:...अगर यह तीनो मिल कर रहते तो क्या इन की धुनाई हो सकती थी?? नही ना तीनो मिल कर एकता से नही रहे ओर बेज्जती ओर पिटाई करवाई, तो मेरे देश के वासीयो आप भी अपिस मे मत लडे सब मिल कर रहे, ओर मिल कर इन आतंकवादियो का मुकवला करे , इन गंदे नेताओ का मुंह काला करे इन्हे हटाये, लेकिन पहले आपस मे लडना बन्द करे , यह सन्देश सब भारत वासियो के लिये है, चाहे वो हिन्दु है, या मुसल मान,या फ़िर सिख ईसाई. आओ ओर इस विदेशी ताऊ( हमारे वाला ताऊ नही) से पिटने की व्ज्याए हम सब मिल कर उसे ही पीटे.
कॊइ गलती हो तो माफ़ करे, यह कहानी मेने कुछ अलग रुप मे कई साल पहले कही सुनी थी.
धन्यवाद

दादी मां

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भाई अब तो आप सब लोगो को दादी मां से खुब प्यार हो गया होगा, मेने मह्सुस किया है, तो चलिये आज फ़िर से हम आप को दादी मां से मिलवाते है...

एक बार दादी के पोते पोतियां सब उस से मिलने गावं मे आये, दादी मां बहुत खुश थी, सारा दिन घर मे खुब शोर शरावा, उधम मचाते बच्चे इधर उधर भागते बच्चे, कभी कभी दादी भी सब बच्चो के साथ बच्चा बन जाती, दादी रोजाना नयी से नयी कहानिया सुनाती, एक दिन बच्चो ने कहा कि दादी आज हम शहर जायेगे ओर दादी मां को भी साथ ले जायेगे.

दुसरे दिन सुबह सब तेयार हो गये, ओर दादी मां ने सब बच्चो को समझाया कि कोई भी बच्चा शरारत नही करेगां, ओर सब साथ साथ रहेगे, अब दादी मां ओर चारो बच्चे दो पोतियां ओर दो पोते जो सभी १६ से १३ साल के अन्दर थे, ओर फ़िर बस पकड कर सब साथ बाले कस्वे मे चले गये,सब ने दादी के साथ खरीदारी की, ओर फ़िर फ़िल्म भी देखी फ़िल्म देख कर सब बहुत खुश थे, तभी दादी ने कहा आओ बच्चो तुम्हे ठण्डी ठण्डी लाल पीली सोडे की बोतल पिलाऊ, ओर सामने की दुकान पर गई, पीछे से बच्चे आवाज मारते रहे, ओर दादी को भी यह दुकान कुछ अजीब सी लगी, लेकिन जब ऊपर लिखा है कि ठण्डी फ़्रिज की बोतल तो ठीक ही है, ओर दादी ने सामने की खिडकी पर बेठे एक लडके से कहा बेटा सब को एक एक ठण्डी ठण्डी बोतल देदै, अब अन्दर बेठा लडका भी कांपने लगा, ओर बिन बोले ही दादी को देखने लगा, दादी ने कहा मुये बंदर की तरह से क्या ठुकर ठुकर क्या देखे जा रहा है, जल्दी से बोतल निकाल, ओर अन्दर बेठा लडका अब बहुत डर गया,

तभी पीछे से दादी क पोता आया ओर बोला दादी दादी रुको यह देखो यह तो देशी दारु की दुकान है, अब वो अन्दर बेठा लडका भी थोदा मुस्कुराया, ओर दादी बोली कमबखत पहले क्यो नही , ओर फ़िर दादी खुद ही खुब हंसी, तभी उस ठेक के अन्दर से एक ओर आदमी आया ओर दादी मां को ओर बच्चो को कोला दे कर वह भी हंसने लगा, यही तो दादी मां का प्यार

मां

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मां का मान
बाग के माली ने कहा...... मां एक बहुत ही खुब सुरत फ़ुल है, जो पुरे बाग को खुशवु देती है.
आकाश ने कहा ......मां अरे मां तो एक ऎसा इन्द्र्धनुष है, जिस मै सभी रंग समाये हुये है.
कवि ने कहा....... मां एक ऎसी सुन्दर कविता है, जिस मै सब भाव समाये हुये है.
बच्चो ने कहा................मां ममता का गहरा सागर है जिस मे बस प्यार ही प्यार लहरे मार रहा है.
वाल्मीकी जी ने कहा.......मां ओर मात्र भुमि तो स्वर्ग से भी सुन्दर ओर पबित्र है.
वेद व्यास जी ने कहा.....मां से बडा कोई गुरु इस दुनिया मै नही.
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा.... मां वो हस्ती है इस दुनिया की जिस के कदमो के नीचे जन्नत है.

कुछ सब से जुदा

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मियां बीबी समुन्दर के किनारे घुम रहे हे....
बीबी, जी इसे बीच क्यो कहते हे ?
मियां, अरे तुम्हे नही पता,? बात यह हे की यह जमीन ओर आसमान के बीच मे हे ना इस लिये इसे बीच कहते हे।

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हंसी के लिये गम कुरबान....
खुशी के लिये आंसु कुरबान,
दोस्त के लिये जान कुरबान,
ओर आज के जमाने मे
अगर दोस्त की गर्ल फ़्रेन्ड मिल जाये



तो साला दोस्त भी उस पर कुरबान


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एक बार अमृतसर स्टेशन पर बहुत ही बडी दुर्घटना घट गई, ट्रेन ने नीचे बहुत से लोग आ गये बस एक सरदार जी बचे, अब रिपोर्टर उन सरदार जी से तरह तरह के सवाल पुछ रहे हे, वही इक्लोते बचे थे इस दुर्घटना मे जिन्दा, ओर आंखो देखा हाल सुना रहे थे....
एक रिपोर्टर अच्छा सरदार जी आप बतायेगे यह सब अचानक केसे हो गया ?
सरदार जी , ओये जी होना क्या था, अचानक आंउसमेन्ट हुई की दिल्ली जाने बाली ट्रेन प्लेट फ़ार्म दो पर आ रही हे, तो सारे लोग झट से पटरियो पर कुद गये ओर तभी पटरियो पर ट्रेन आ गई ओर सब नीचे आगये,
रिपोर्टर, फ़िर आप केसे बच गये ? लगता हे आप समझ दार थे जो कुदे नही !!!!!
सरदार जी, ओये जी नही मे तो आत्महत्या करने आया था जब मेने सुना कि ट्रेन प्लेट्फ़ार्म पर रही हे तो मे झट से प्लेटफ़ार्म पर आगया था????

शराबी जमीं पै

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एक शराबी फ़िल्म **तारे जमीं पर** देख कर आधी रात को घर लोटा ता है ओर साथ साथ मे गुनगुना रहा है... आप भी सुने अरे नही मेने सुना ओर अब यहां लिखा दिया अब आप भी पढे उस गरीब शराबी के मन का दुख....
शराबी जमीं पै.....


मै कभी बतलाता नहीं...
ठेके पे रोजाना जाता हूं मै मां.......
युं तो मे दिखलाता नही.....
दारू पी कर रोज आता हुं मै मां........
तुझे सब हे पता, हें ना मां....
तुझे सब हे पता, मेरी मां....


ठेके पै युं ना छोडो मुझे......
घर लोट के भी आ ना पाऊं मै मेरी मां.....
पाऊआ लेने भेज ना इतना दुर मुझे तु....
नशे मे घर भी ना भुल जाउ मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.... मेरी मां....


स्काच मे इतना पीता नही.....
एक पेग से सहम जाता हु मै मां
चेहरे पे आने देता नही....
लेकिन कभी कभी लुडक जाता हुं मै मां....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.....
क्या इतना बुरा हुं मै मां.... मेरी मां.... ............................

भारत मे सब से बडी मस्जिद कहां हे ओर कितनी पुरानी हे??

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भारत की सबसे बडी मस्जिद कहा हे, किस ने बनबाई, ओर कितनी पुरानी हे, क्या आप जानते हे?
भारत मे दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सब से बडी मस्जिद हे, जिस को बादशाह शाहं जहा ने १६४४ मे बनवाया था ओर यह मस्जिद १६५८ तक बन गई थी , इस का पुराना नाम मस्जिंदे जहांनुमा हे, मस्जिद के उतरी भाग मे एक अलमारी मे बेशकिमती चीजे रखी हे, जेसे हिरन की खाल पर लिखा कुरान,मोहम्मद साहिब की दाढी का बाल,उनकी चप्प्ले, ओर भी काफ़ी कुछ उनके पाव का निशान भी एक संगमरमर के पत्थर पर अंकित हे.

दादी मां

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दादी मां आज बहुत खुश थी, आज तो गावं मे दादी के घर पर खुब रोनक थी, दादी के सारे बच्चे जो घर आये हुये थे, दोनो लडके अपने परिवार समेत आये थे. दोनो लडको के ३, ३ बच्चे थे, बहुये भी सुशील थी, फ़िर दोनो बेटिया भी अपने परिवार समेत आ गई, ओर आज तो चारो ननद भी आ गई थी परिवार समेत, ओर पुरे घर मे शादी जेसा माहोल था.

सभी बहुत खुश थे, बच्चे शोर मचा रहे थे, कभी इधर कभी उधर, बेटियां ओर बहुंयओ ने भी सारे काम आपिस मे बांट लिये कोई खाना बनाने का काम सम्भाल लेती हे तो कोई घर की साफ़ साफ़ाई मे लग गई, यानि सभी बहुत ही खुश ओर हो भी क्यो ना ? भाई आज से तीसरे दिन दादी का ९० जन्म दिन जो है.

घर मे आने जाने वालो का भी बहुत जम बाडा लगा था, दादी मां के बडे लडके ने जब अलमारी खोली तो उस मे से काफ़ी समान फ़ेकने के लिये निकाला, ओर उस समान के साथ, बडे लड्के के हाथ मे पुरानी दवा भी हाथ लगी जो दवा वह ओर उस का भाई पिछले समय मां को दे गये थे, लडके ने उन मे से पुरानी दवा जिन की मयाद खतम हो चुकी , अलग की ओर बाकी समान सम्भाल कर रख दिया. फ़िर बाहर आ कर इधर उधर देखा तो बुआ नजर आई, बेटा बोला बुआ यह दवा कही सही जगह फ़ेक देना किसी बच्चे के हाथ ना लग जाये. रात काफ़ी हो गई थी, फ़िर गावं मे तो वेसे भी जलदी रात हो जाती है.



दुसरे दिन दोनो भाई शहर मे किसी जरुरी काम से गये, ओर शाम को जब घर मे आये तो, गावं मे घुसते ही उन्हे कुछ अजीब सा लगा, जब घर की तरफ़ गये तो दंग रह गये उन के घर के सामने बहुत भीड, दोनो भाईयो के होश उड गये ओर वह जलदी से घर भागे, तो देखा दादी ओर बुआ दोनो ही मरणसन हालाल मे पडी हे, बिलकुल बेहोश..... दोनो भाईयो को कुछ समझ नही आया कि कुछ समय पहले तो सब राजी खुशी थे अचानक यह सब केसे हो गया, घर मे सभी सहम सहम बेठे थे, भाईयो ने अपनी बी्बीयो से पुछा, बच्चो से पुछा किसी को कुछ पता नही था. क्या हुआ ओर यह अचानक केसे हुआ.



फ़िर भी दोनो भाईयो ने हिम्मत की ओर मां को ले कर रोहतक मेडिकल कालेज पहुंच गये, वहां डाकटरो ने जलदी से चेक किया, ओर उन्हे खुब उलटियां करवाई ओर बताया इन्होने कोई गलत वस्तु खा ली य किसी ने खिला दी हे.लेकिन आप घबराये नही,हमे बहुत उम्मीद हे इन दोनो के बचने की हाः अगर आप थोडा देर से आते तो बचना मुश्किल था.



दोनो बेटे ओर गावं के कुछ ओर लोग भी उन के साथ सारी रात मेडिकल कालेज के बाहर बेठे रहे, ओर बारी बारी से मां ओर दादी मां ओर बुआ को देख आते, ओर फ़िर सारी रात प्राथना करते बीत गई, सुबह सुबह जब छोटा लडका मां को देखने गया, तो थोडी ही देर मे वापिस आ गया ओर सब को दुर से इशारे बुला कर जल्दी से फ़िर अन्दर चला गया.अब सभी चिंतित मन से जलदी से अन्दर भागे ओर अंदर जाते ही सब की आंखे फ़टी रह गई.

छोटा कभी मां तो कभी बुआ से को गले लगा कर बच्चो की तरह से रो रहा था, ओर मां ओर बुआ भी खुब रो रही थी, लेकिन उन्हे पता नही था यहां केसे आ गई.जब सब से मिलना हो चुका ओर सभी को विशवास हो गया कि अब मां ओर बुआ को कुछ नही होगा, इतनी देर मे डाकटर साहब जी भी आ गये,

ओर उन्होने कहा अब हमे पुरी बात जाननी चाहिये, अगर किसी की साजिस हे तो यह केस बनता हे ,



इस लिये कपृया प सब हम लोगो को अकेला छोड दे, सभी लोग बाहर चले गये, डाकटर ने दोनो लडकॊ को भी बाहर भेज दिया.......... दादी की बात सुन कर डाकटर साहिब ने अपना सर पकड लिया, ओर दादी को बहुत कुछ समझाया. फ़िरसब को बुला कर वह बात बातई जिस से इस खुशी के मोके पर अचानक दुख के बादल छा गये.



असल मे जब बडॆ लडके ने बुआ को दवाईयो को फ़ेकने को कहा तो, अनपढ बुआ उन दवाओ को पलु मे बाध कर बेठ गई, दुसरे दिन जब दोनो मां बेटी अलग बेठी तो बुआ बोली मां तुम्हारा बेटा तो पेसे लुटाने लगा हे यह देखॊ कितनी कीमती दवा फ़ेकने को बोल रहा है, जेसे दवा मुफ़त मे आई हो, ओर फ़िर दोनो मां बेटी ने मिल कर आधी आधी दवा पानी के साथ खा ली, बाकी सारा नजारा आप के सामने.....

यह एक सच्ची बात हे, आप भी अपने बुजुर्गो को यह जरुर समझाये कि... ऎसा मत करे. ओर दवा को बच्चो ओर नादनो के हाथो से दुर रखें



फ़िर दादी का जन्म दिन ओर भी खुशी से मनाया गया, ओर वह डाकटर साहिब ओर वह नर्से भी आई जिन्होने उस रात मोत से लडकर दोनो को नयी जिन्दगी दी.

ईसा- मसीहा ओर आई एन आर आई

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जेसे हिन्दुओ मे ऊं शव्द होता हे, वेसे ही ईसाईयो ओर कथोलिको मे क्रास होता हे, आप ने कभी उस क्रास कॊ ध्यान से देखा हे, या इन की कब्र को, या फ़िर कभी ईसा मसीह का बुत देखा हो इन सब जगह पर एक शव्द लिखा होता हे** INRI** क्या आप जानते हे इस का मतलब ? शायद काफ़ी लोग ना जानते हॊ...
इस का अर्थ हे...नैजेरथ के ईसा यहुदियो के राजा,(Iesus Nazarenus Rex Iudaeorum ) जेसे भारत मे या दुनिया मे किसी केदी को उस की पहचान दी जाती हे यह एक पहचान थी, ओर इसी पहचान के साथ उन्हे सुली पर भी चढाया गया था

दादी मां.

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एक बार दादी मां का अपनी बेटी के घर आना हुआ, अब दो दिन रह कर दादी मां अपने घर रोहतक जाने के लिये तेयार हुयी, बच्चो के पास समय नही था इस ९० साल की बुढिया दादी मां के लिये, ओर दादी मां दिल्ली से रोहतक के लिये चली......
दादी मां को उस की बेटी ओर दामाद दिल्ली बस अड्डे पर रोहतक की बस मे बिठा कर ओर टिकट वगेरा ले कर देदी ओर समझा दिया की रोहतक पहुचते ही आप का बेटा आप कॊ बस मे से उतार लेगा आप बेफ़िकर हो कर बस मे बेठना, बाकी कई ओर बाते समझाई, राम राम , पेरी पोना हुआ ओर बस रोहतक के लिये चल पडी...... अभी बस को चले थोडी देर हुयी कि बस रुकी, दादी कंडेकट्र से बोली, बेटा बाहदुर गढ आ गया क्या( यह बाहदुर गढ दिल्ली ओर रोहतक के बीच मे हे) तो कंडॆकट्र बोला अम्मा अभी नही आया, बस चली थोडी देर बाद सवारी लेने के लिये फ़िर रुकी,दादी ने फ़िर से पुछा बेटा बहादुर गढ आ गया, कंडेकट्र बोला नही मां जी अभी नही.
यु कई बार हुआ, ओर अब कंडेकट्र को थोडा गुस्सा आ गया, एक बार फ़िर बस रुकी दादी फ़िर से बोली बेटा अब तो लगता हे बहादुर गध आ ही गया, तो कंडेकट्र गुस्से से बोला मां तु चुपचाप बेठ जा जब भी पेसे का हिसाब करने लगता हु तु बोल पडती हे,ओर मेरा सारा हिसाब किताब खराब हो जाता हे,जब भी बहादुर गढ आया तो बता दुगां , अब मत बोलना,दादी मां थोडी सहम गई ओर उस की आंखॊ मे दो आंसु आगये.
ओर अन्य लोगो ने कंडेकट्र कॊ उस की बतमीजि पर गुस्सा किया, कब बहादुर गढ आया कब निकल गया पता ही नही चला सब लोग मस्त थे, आगे संपला आगया तो कडेकट्र को याद आया अरे इस बुढिया को तो बहादुर गढ उतरना था, अगर किसी भी यात्री को याद आ गया तो मेरी पिटाई हो जायेगी,
ओर कंडेकट्र ने ड्राईवर से बात की ओर बस वापिस मोड ली, बहादुर गढ पहुच कर कंडेकट्र बोला अम्मा बहादुर गढ आ गया !!!! दादी बोली अच्छी बात हे बेटा यह ले गिलास ओर पानी का भर ला मेरी बेटी ने कहा था जब बहादुर गढ आ जाये तो यह गोली खा लेना....
ओर अब कंडेकट्र अपना सर पकड कर बेठ गया........ :)-

हमारा तिरंगा झंडा कब बना ओर किस ने चुना इस का रंग

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बात बहुत पुरानी हे, एक बार राजा राम मोहन राय जी इग्लैंड जा रहे थे, रास्ते मे उन्होने ने फ़्रांस का शिप देखा जिस पर एक तिरंगा फ़्रांस का लहरा रहा था, यह बात हे करीब १८३१ की, ओर १८५७ मे भारत मे क्रन्ति हुयी ओर जनता मे आजादी के मतवाले झुम उठे, ओर फ़िर यह तिरंगा तब से चला, लेकिन समय के साथ साथ इस मे कई तब्दीलीया होती रही,
ओर फ़िर स्वदेशी अन्दोलन ने जोर पकडा तो एक राष्ट्रीया धवज की जरुरत पडी,तो स्वामी विवेकानन्द जी की शिष्या निवोदिता जी ने इस झण्डे की परिकल्पना की, ओर ७ अगस्त १९०६ को कोलकता मे एक रेली मे बंगाल के विभाजन के बिरोध मे इसे लहराया गया।
ओर फ़िर इस मे काफ़ी परिवर्तन हुये , ओर भारत मे एक धव्ज समिति का गठन किया गया, जिस के अध्यक्ष डाक्टर राजेंद्र प्रसाद जी थे, ओर एक बेठक मे यह तह किया गया कि राष्ट धव्ज के रुप मे एक तिरंगा कुछ हो, ओर उस मे आशोक चक्र बीच मे हो, ओर कुछ चरचा ओर परिवर्तनो के बाद आज के तिरंगे का फ़ेसला हुआ, जो आज हमारे सामने हे

गोल गपे

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बीबी अपने पति से, एक बात बोलू मारोगे तो नही.....
पति , अरे केसी बात करती हॊ बोलो...
बीबी, मै मां बनाने वाली हूं.....
पति, अरे इस मे मारने वाली क्या बात हे यह तो खुशी की बात हे....
बीबी, हां लेकिन एक बार जब मे कालिज मे थी ओर यह बात पापा को बोली थी तो....पापा ने बहुत मारा था।
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ताऊ, बचपन मे मां की बात सुनी होती तो .... यह दिन ना देखना पडता!!!!!
तिवारी, क्या कहती थी तुम्हारी मां ???
ताऊ, अरे बाउली बुच जब बात सुनी ही नही तो मुझे क्या पता मां क्या कहती थी।
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बीबी , सुनो जी ड्रा० ने मुझे एक महीना किसी हिल स्टेशन पर जाने को कहा हे, पुरा एक महीना....ओर हम कहा जायेगे ?
पति, दुसरे ड्रा० के पास।
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संता होटल मे जा कर एक मच्छ्ली खाने के लिये आर्डर करता हे, थोडी देर मे वेयर आता हे... सर आप फ़ेंच मच्छी लेगे या स्पेनिश ??
संता, ओये यार कोई सी भी ले आ मेने कोन सी उस से बातें करनी हे.

दादी मां

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आईये आप कॊ एक दादी मां की बात बतायें.....
दिल्ली से रोहतक जाने के लिये एक बुढिया दादी मां जो करीब नव्वे साल के करीब थी, ओर पतला सा शरीर ओर बेचारी से चला भी मुश्किल जा रह था, बच्चो ने शायद मना कर दिया, सो दादी मां अकेली ही दिल्ली बस स्टेंड पर खडी, जब भी बस आये तो दादी मां बस के पिछे भागे उसे पकडने के लिये, फ़िर भीड मे वह बेचारी बस मे ना चढ सके बहुत देर से ऎसा हो रहा था, ओर एक नोजवान ने जब देखा की बुढिया दादी मां इस उम्र मे तो बस नही पकड सकती. तो उसने बस आने पर बुढिया दादी मां को गोद मे उठा कर बस मे बिठा दिया.
अब दादी मां बहुत खुश हुयी, ओर उस नोजवान के सर पर हाथ फ़ेर कर आशिर्वाद ओर दुआ देने लगी...
बोली बेटा तेरा भगवान भला करे मे तो बहुत देर से बस मे चढने की कोशिश कर रही थी, तेरी मदद से बस मे चढ गई, जीते रहो, खुब खुशियां मनाओ बेटा, जेसे तुम ने मुझे उठा कर बस मे बिठाया, वेसे ही भगवान तुम्हे उठाये, जुग जुग जीयो मेरे लाल......

एक छोटा सा सवाल

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चलिये आज आप से एक छोटा सा सवाल पुछते हे, बताओ तो जाने.....
सवाल .....
एक आदमी के पास आठ वजन हे, सात वजन दस द्स किलोग्राम के हे, ओर एक वजन का भार नो किलो नॊ सॊ नव्वे ग्राम (990 ग्राम) हे, लेकिन सभी वजन देखने मे एक साईज के हे, अब आप ने इस कम वजन वाले भार को इन मे ढूंढना है, ओर आप इन्हे सिर्फ़ दो बार ही तोल सकते हे, तो बातईये केसे इस कम वजन वाले भार को सब से अलग करेगे????

उलटा चोर कोतवाल को डांटे

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आज आप को दो चुटकले सुनाते हे लेकिन पढने से पहले देख ले आप के साथ कोई ऎसा व्यक्ति तो नही जिस के सामने आप कुछ खास बात ना पढ सके, तो अभी यहां से लोट जाये.....
धन्यवाद
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एक आदमी की टांग किसी दुर्घटना मे कट गई, वह आदमी जब होस्पिटल मे था तो ऎक ड्रा० ने उस से कहा मे हमेशा नये प्रयोज करता हु, मे आप की कटी टांग फ़िर से जोड सकता हु? वह आदमी वोला केसे तो ड्रा० उसे वोला मे आप की कटी टांग पर किसी जानवर की टांग फ़िट कर दुगां, जेसे किसी बडे कुत्ते की टांग, तो वह आदमी बोला अगर मेरी कटी टांग पर कुत्ते की टांग लगा दी तो क्या मे..... ड्रा० बीच मे ही बोल पडा हां हां तुम बिलकुल सही चल पाओगे, लेकिन समय लगेगा, तो वह आदमी बोला लेकिन ड्राओ साहिब लोग क्या बोले गे.
ड्रा० बोला अरे तुम पेंट पहनोगे, नीचे स्पेशल बुट लोगो को तो पता भी नही चलेगा कि तुम्हारे नकली टांग लगी हे, ओर बहुत सी बाते करने के बाद वह आदमी तेयार हो गया.ओर ड्रा० ने उस का ओपरेशन करके कुते की टांग लगा दी, ओर १५ दिन के बाद उसे छुट्टी दे दी, साथ ही ड्रा० बोला भाई अब आप ने ६ महीने बाद चेक करवाने आना हे....
ठीक ६ महीने बाद मरीज ड्रा० के पास चेक करवाने आया, तो ड्रा० ने पुछा सब ठीक हे ना, तो वह आदमी बोला ड्रा० साह्ब बाकी तो सब ठीक हे लेकिन जब मे पेशाब करने जाता हु तो......... मेरी यह वाली टांग जो आप ने लगाई हे ऊपर उठ जाती हे.....कुत्ते की तरह से.
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एक बच्चा दोपहर को स्कुल से घर आया ओर मां से बोला ममी ममी आज मेने पापा को राधा आंटी के साथ देखा,मां ने पुछा कहा, बेटा बोला मां पार्क मे , पापा उस की चुम्मी ले रहे थे, ओर बांहो मे ले रहे थे......... मां बोली अभी मत बताओ सारी बात रात को जब सब खाना खाये तो बताना.
रात को सब लोग खाने के लिये मेज पर आये, मां ने जब खाना डाल दिया तो बोली बेटा बो वाली बात क्या थी ??
बेटा बोला मां मां आज मेने ना पापा को देखा, मां कहा देखा था, बेटा मां स्कुल के साथ वाली पार्क मे , (पापा चुपचाप सुन रहे हे) ओर ममी साथ मे राधा आंटी भी थी, फ़िर बेटा क्या हुआ मां ने पुछा, फ़िर मां पापा उसे बांहो मे पकडने लगे, फ़िर उस की चुम्मी ली, मां अच्छा ओर पति को ओर देख कर बेटा फ़िर क्या हुआ ? ममी फ़िर पापा ओर आंटी झाडियों की तरफ़ चले गये ओर जाते जाते माली को ५० रुपये दे गये, मां ने पुछा बेटा फ़िर क्या हुआ ? फ़िर ममी पता हे पापा ने अपने सारे कपडे उतार दिये, ओर आंटी ने भी .... अच्छा मां हेरान हो कर फ़िर क्या हुआ बेटा................................ ममी वही जो आप रमेश अंकल के साथ करती हे पापा ने भी बही किया

भांगडा पालो

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आईये आप को भगंडा करवाये अरे यानि आप को भंगडे के गीत सुनाये, एक से बड कर एक ओर एक नही बहुत से , तो आप सुनाने के लिये तेयार हे....

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भंगडा पालो २
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कुछ ऎसे गीत शायद ही आप ने सुने हो.

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जी यह हे ऎसे भुले विसरे ओर मधुर गीत जो आप ने शायस्द ही कभी सुने हो... लेकिन बहुत ही सुन्दर, तो सुनिये फ़िर बाताईये केसे लगे.....

क्या मे आत्मह्त्या कर लू ?? अन्तिम भाग

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आप ने पहले भाग मे जो पढा हे उस से आगे ....
पिछले दो सप्तहा केसे बीत गये पता ही नही चला, सब से ज्यादा खुशी मां को थी, लेकिन पिता जी भी कम खुश नही थे, आने जाने वाले सभी कहते थे कि चंदु की मां अब तो तुम ओर भी सुन्दर लगने लगी हो, तो कोई कहता, चंदु के पिता जी तो अब जवान लगते हे, घर मे खुशिया ही खुशियां, दुखी थे तो मेरे मित्र, क्योकि मेने अब उन के पास जाना बहुत कम कर दिया था, दफ़तर से सीधा घर, फ़िर शाम को घुमने जाना, मां अपनी पसंद से नयी नयी साडियां गहने देती , ओर बाहर जाने से पहले पता नही केसे केसे टोटके करती, कभी कान के पीछे काला रंग लगा देती तो कभी कुछ।

फ़िर हम दोनो कुछ दिनो के लिये गोवा घुमने गये, वहां हम १५,२० दिन के करीब रहे खुब मस्ती की, मे खुद पर हेरान था, मेरे जेसा चुप रहने वाला लडका अब नटखट बन गया था, अरे मे अपनी दुल्हनिया का नाम तो बताना ही भुल गया, मेरी उन का नाम पुनम (कलप्नित नाम) हे, मेरी तरह से पुनम भी बहुत ही खुश थी,हम लोगो ने यहां खुब खरिदारी की, कुछ समान मां के लिये तो कुछ समान पिता जी के लिये भी हम दोनो ने अपनी दोनो की पंसद का लिया ओर, फ़िर एक दिन घर वापिस चल पडे।

घर पर मां ओर पिता जी बहुत ही बेचेनी से हमारा इन्तजार कर रहे थे, शाम को दीदी भी बच्चो के साथ गई( इस बीच मे अपनी ससुराल मे एक बार पुनम के साथ एक दिन रह आया था) दुसरे दिन मेरी मां दीदी ओर पुनम बाजार गये ओर वहां से कुछ गहने, ओर साडियां खारीद लाये, अगले दिन एक रस्म होती हे जिस मे नयी दुलहन को रासॊई मे जाना पडता हे, फ़िर उस के बाद वह किसी भी समय रसोई मे जा सकती हे, फ़िर दुसरे दिन यह रस्म भी पुरी हो गई, ओर मेरी दीदी , मां ओर पिता जी ने पुनम को आशीवाद दिया ओर बहुत से उपहार भी दिये, साथ मे मां ओर पिता जी ने कहा की तुम इस घर मे बहु बन कर नही मेरी बेटी बन कर रहना।

कुछ दिन सब ठीक ठाक चला, एक दिन पुनम का भाई उसे लेने आया तो मेने एक दम से मना कर दिया, लेकिन मां ओर पिता जी के सामने मेरी एक ना चली, ओर पुनम भी अनमने मन से मायके चली गई, उस दिन घर मे किसी ने भी ढग से खाना नही खाया।

कई बार फ़ोन किया तो हर बार मेरी सास यही कहती बेटा थोडे दिन ओर रुक जाओ, फ़िर एक महीना बीत गया तो मॆ मां ओर पिता जी की इजाजत ले कर एक दम से ससुराल मे पहुच गया, मुझे अचानक देख कर सभी पहले तो हेरान हुये, फ़िर खुश भी हुये, दुसरे दिन मे पुनम को ले कर घर गया, ओर फ़िर से जिन्दगी वेसे ही चल पडी,एक साल बीत गया मेरी शादी को, इस बीच एक दो बार पुनम अपने मायके हो आई थी,लेकिन जब भी गई कुछ बदली बदली लगती थी, हम सब ने सोचा शायद अपने मां बाप के लिये उदास हो गई हे

इसी बीच मां ने एक दिन बताया की मे दादी बनने वाली हु,फ़िर क्या था पुनम का बहुत ही ज्यादा ख्याल रखा जाने लगा,ओर ठीक समय पर हमारे घर पर नया मेम्बर गया यानि मेरा बेटा, सभी बहुत खुश थे, नाना नानी भी आये ,फ़िर अगले साल एक कन्या ने जनम लिया, सो मां ओर पिता जी की खुशी का अन्त नही था ,
इसी तरह से मेरी शादी को तीन साल बीत गये ओर खुशियो मे जेसे हम गम नाम को भुल ही गये,लेकिन पुनम अब पहले जेसी नही रही थी, काफ़ी चिड चिडी ओर बात बात मे गुस्सा करने लगी थी,मुझे मां कहती थी बेटा बच्चे छोटे हे इस लिये थोडे दिनो मे अपने आप ठीक हो जाये गी, लेकिन अब पुनम ठीक होने के वजायए ओर भी बदजुबान होती जा रही थी।

फ़िर एक दिन मुझे बोली आप अलग मकान क्यो नही ले लेते, मेरा यहां दम घुटाता हे, मेने पुछा क्या मां या पिता जी ने तुम्हे कुछ कहा हे, तो बोली नही ... ओर मेने उसे समझाया देखो आईंदा ऎसा विचार भी मन मे मत लाना, मे अकेला ही इन का सहारा हू, ओर मे सपने मे भी नही सोच सकता।

फ़िर समय बीतता रहा, अब मेरी शादी कॊ पांच साल हो गये थे, ओर मेरा घर पुरी तरहा से नरक बन चुका था, पुनम मेरे समझाने से ठीक हो जाती , मायके जाती तो दुसरे दिन ही घर मे आते लडने लगती,
अब बच्चे भी सब देखते ओर सहम जाते। मेने अभी तक पुनम से बहुत ही प्यार से बात की , उसे सब तरह से समझाया, एक दिन दोपहर को घर आया तो देखा पुनम अपने कमरे मे आरम से सो रही हे, ओर मां घर मे फ़र्श साफ़ कर रही हे,इस के बाद कई बार ऎसा देखा ओर फ़िर मेने पुनम को प्यार से समझाया तो मेरी बात सुने बिना बोली मुझे नोकरानी बना कर लाये हो कया, जब मेरा अपना घर होग तो देखा जाये गा,

फ़िर एक साल से पुनम ने मां ओर पिता जी को भी बद जुबान से बद जबाब देने शुरु कर दिये, एक दिन इसी कारण पिता जी को दिल का दोरा पडगया, ओर मेरी मां का चेहरा देख कर लगता हे की कोई सॊ साल की बुढिया हे, ओर अब पुनम ना तो बच्चो को समभालती हे, ना ही घर का कोई काम, एक दिन तो हद हो गई, उस के भाई ओर पिता जी एक थाने दार के साथ आये ओर धमकी दे गये की अगर मेरी बेटी को कोई दुख दिया तो सब को जेल मे भेज दुगां

एक दिन जब मे पुनम को समझा रहा था तो वह जोर जोर से बोलने लगी, फ़िर अपने ऊपर मिठ्ठी का तेल डाल कर बोली मे तो मरुगी तुम सब को भी जेल मे चक्की पिसवाऊगी उमर भर, ओर अब यह हाल हे कोई भी पडोसी हमारे यहां नही आता, अगर कोई भुल से आ जाये तो अपनी बेज्जती पुनम से करवा कर जाता हे।
बहुत समझाया, लेकिन मेरे समझाने को शायद मेरी या मेरे मां ओर पिता जी की कमजोरी समझती हे,मां ओर पिता जी नही चाहते उसे तालक दु, मे भी नही चाहता, लेकिन घर जाता हु तो लगता हे किसी नरक मे आ गया, करु ओ कया करू, दिल करता हे जहर खा कर मर जाऊ, साथ मे मां ओर पिता जी ओर बच्चो को भी जहर दे दु, समझ मे नही आता मेरी खुशियो मे किस की नजर लगी, मां ओर पिता जी से अलग हो जाऊ तो इस उमर मे वो क्या करे गे, किस के सहारे रहे गे, मे मां बाप को भी नही छोड सकता, मुझे एक ही रास्ता दिखता हे आत्म हत्या, लेकिन पिता जी के असुल सामने आते हे , अब तो नोकरी भी मुस्किल लगती हे रोजाना वहां भी गल्तिया हो रही हे,
आप कोई अच्छी सलाह दे सके तो आप सब की मेहर बाणी हो गी

मेने आज तक पुनम पर कभी हाथ नही उठाया,उसे कभी गाली नही दी, क्या मेरी पुनम बदल गई हे????

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय