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कुंदन लाल सहगल भाग ३

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सहगल जी के गीत मै बचपन से ही सुन्ता आ रहा हु, जब पिता जी इन्हे विविध भारती पर सुना करते थे, तो बरबस हमे भी सुननए पडते थे, लेकिन उस समय इन गीतो का अर्थ समझ मै नही आता है, लेकिन साथ साथ मे गुन गुनाते थे, अब जब खुब समझ मै आते है तो मिलते नही, ओर एक ख़जाना हाथ लगा तो सोचा आप सब से बांट लू... तो चलिये अगले १० गीतो रुपी फ़ुलो का गुलदस्ता लेकर हाजिर हुआ हुं
पसंद आये तो होसल्ला जरूर बढ्ये।

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10 टिपण्णी:
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seema gupta said...
22 November 2008 at 5:38 am  

" sach mey hee ye sunder phulon ka guldasta hee hai, " deewana hun" geet mujhe behad pasand hai..or aaj fir sun kr dil bhr aaya..."

regards

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ताऊ रामपुरिया said...
22 November 2008 at 5:45 am  

बहुत सुंदर काम किया है आपने ! ढेरों धन्यवाद आपको !

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Anonymous said...
22 November 2008 at 5:59 am  

Bare dino baad suna k l sehgal ko, shukriya.....

ek blogvani to aapne apne sidebar me hi paali hui hai :), bahut achhe

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लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...
22 November 2008 at 3:47 pm  

सहगल साहब
कितने इत्मीनान से गाते हैँ
जो दिली सुकुन देता है
सुनवाने का आभार राज भाई साहब
- लावण्या

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Ashok Pandey said...
23 November 2008 at 4:52 am  

राज भैया, आपने बहुत सी यादें ताजा कर दीं..धन्‍यवाद। विविध भारती पर इन पुराने गीतों थिरकन भला कोई कैसे भूल सकता है।

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योगेन्द्र मौदगिल said...
23 November 2008 at 8:21 am  

बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें

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गौतम राजऋषि said...
23 November 2008 at 8:31 am  

सुंदर संकलन भाटिया साब...एक-दो गाने ठीक से चल नहीं रहे...शायद मेरे ही कनेक्शन में गड़बड़ी है,कि और किसी ने तो शिकायत की ही नहीं है..

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Pramendra Pratap Singh said...
23 November 2008 at 4:51 pm  

आपकी पोस्‍ट काफी अच्‍छी लगी, सहगल साहब रोज सुबह 7.25 पर हमारे घर गीत सुनाने आते है।

FM 100.3 पर :)

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admin said...
25 November 2008 at 8:25 am  

आशा है गीतों की यह शानदार श्रंख्‍ला आगे भी चलती रहेगी।

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makrand said...
7 December 2008 at 11:47 am  

heerey ki parak aap jese johari ko he
bahut umda

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