कुंदन लाल सहगल भाग ३
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राज भाटिय़ा
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गीत
सहगल जी के गीत मै बचपन से ही सुन्ता आ रहा हु, जब पिता जी इन्हे विविध भारती पर सुना करते थे, तो बरबस हमे भी सुननए पडते थे, लेकिन उस समय इन गीतो का अर्थ समझ मै नही आता है, लेकिन साथ साथ मे गुन गुनाते थे, अब जब खुब समझ मै आते है तो मिलते नही, ओर एक ख़जाना हाथ लगा तो सोचा आप सब से बांट लू... तो चलिये अगले १० गीतो रुपी फ़ुलो का गुलदस्ता लेकर हाजिर हुआ हुं
पसंद आये तो होसल्ला जरूर बढ्ये।
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
22 November 2008 at 5:38 am
" sach mey hee ye sunder phulon ka guldasta hee hai, " deewana hun" geet mujhe behad pasand hai..or aaj fir sun kr dil bhr aaya..."
regards
22 November 2008 at 5:45 am
बहुत सुंदर काम किया है आपने ! ढेरों धन्यवाद आपको !
22 November 2008 at 5:59 am
Bare dino baad suna k l sehgal ko, shukriya.....
ek blogvani to aapne apne sidebar me hi paali hui hai :), bahut achhe
22 November 2008 at 3:47 pm
सहगल साहब
कितने इत्मीनान से गाते हैँ
जो दिली सुकुन देता है
सुनवाने का आभार राज भाई साहब
- लावण्या
23 November 2008 at 4:52 am
राज भैया, आपने बहुत सी यादें ताजा कर दीं..धन्यवाद। विविध भारती पर इन पुराने गीतों थिरकन भला कोई कैसे भूल सकता है।
23 November 2008 at 8:21 am
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें
23 November 2008 at 8:31 am
सुंदर संकलन भाटिया साब...एक-दो गाने ठीक से चल नहीं रहे...शायद मेरे ही कनेक्शन में गड़बड़ी है,कि और किसी ने तो शिकायत की ही नहीं है..
23 November 2008 at 4:51 pm
आपकी पोस्ट काफी अच्छी लगी, सहगल साहब रोज सुबह 7.25 पर हमारे घर गीत सुनाने आते है।
FM 100.3 पर :)
25 November 2008 at 8:25 am
आशा है गीतों की यह शानदार श्रंख्ला आगे भी चलती रहेगी।
7 December 2008 at 11:47 am
heerey ki parak aap jese johari ko he
bahut umda
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