तलत महमुद जी भाग २
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राज भाटिय़ा
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गीत
आईये कुछ भुले बिसरे, लेकिन सदा बहार गीत तलत महमुद जी की आवाज मै सुने , ओर इन गीतो को अगर आप झुम ना उठे तो कहिये...
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
26 November 2008 at 5:25 am
बहुत लाजवाब प्रस्तुती ! शुभकामनाएं !
26 November 2008 at 6:47 am
behad khubsurat geet.alag alag rang liye hue
26 November 2008 at 9:13 am
बहुत लाजवाब प्रस्तुती
26 November 2008 at 9:32 am
kaphi kubsurat hai sunate rahiygaa..
26 November 2008 at 9:59 am
प्रस्तुति बहुत ही सुंदर है।
26 November 2008 at 6:10 pm
तलत महमूद के तो हम दीवाने हैं जी. हरदम झूमते ही रहते हैं. आभार.
26 November 2008 at 7:07 pm
सच बेहद मुग्ध करने वाले गीत है तलत की मखमली आवाज़ की कोई सानी नही है ख़ास कर प्यास कुछ और भी ,बहारों की दुनिया पुकारे तेरी निगाहों मैं जैसे गीत लाजवाब हैं ..आपकी पसंद की दाद देना होगा इसी कड़ी मैं एक गीत और है सुजाता फिल्म से जलते हैं तेरी आंखों के दिए,..अब तो आपकी पोस्ट पर पे नियमित आना होगा संगीत ही तो है जो आदमी को मुश्किलों से बचा लेता है ,बधाई,बधाई,
3 November 2016 at 6:36 am
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