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तलत महमुद जी भाग २

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आईये कुछ भुले बिसरे, लेकिन सदा बहार गीत तलत महमुद जी की आवाज मै सुने , ओर इन गीतो को अगर आप झुम ना उठे तो कहिये...

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8 टिपण्णी:
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ताऊ रामपुरिया said...
26 November 2008 at 5:25 am  

बहुत लाजवाब प्रस्तुती ! शुभकामनाएं !

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Alpana Verma said...
26 November 2008 at 6:47 am  

behad khubsurat geet.alag alag rang liye hue

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डॉ .अनुराग said...
26 November 2008 at 9:13 am  

बहुत लाजवाब प्रस्तुती

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धीरेन्द्र पाण्डेय said...
26 November 2008 at 9:32 am  

kaphi kubsurat hai sunate rahiygaa..

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Aruna Kapoor said...
26 November 2008 at 9:59 am  

प्रस्तुति बहुत ही सुंदर है।

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P.N. Subramanian said...
26 November 2008 at 6:10 pm  

तलत महमूद के तो हम दीवाने हैं जी. हरदम झूमते ही रहते हैं. आभार.

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विधुल्लता said...
26 November 2008 at 7:07 pm  

सच बेहद मुग्ध करने वाले गीत है तलत की मखमली आवाज़ की कोई सानी नही है ख़ास कर प्यास कुछ और भी ,बहारों की दुनिया पुकारे तेरी निगाहों मैं जैसे गीत लाजवाब हैं ..आपकी पसंद की दाद देना होगा इसी कड़ी मैं एक गीत और है सुजाता फिल्म से जलते हैं तेरी आंखों के दिए,..अब तो आपकी पोस्ट पर पे नियमित आना होगा संगीत ही तो है जो आदमी को मुश्किलों से बचा लेता है ,बधाई,बधाई,

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Unknown said...
3 November 2016 at 6:36 am  


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