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तुम हो अब भी……...(सत्यम शिवम)

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मौन मेरा स्नेह अब भी,
जो दिया,तुमसे लिया मै।
प्यार मेरा चुप है अब भी,
क्यों किया,जो है किया मै।

तुम कही हो,मै कही हूँ,
तुम ना मेरी,मै नहीं हूँ।

पर है वैसा ही सुहाना,
प्यार का मौसम तो अब भी।

राहे मुझसे पुछती है,
है कहा तेरा वो अपना,
साथ जिसके रोज था तु,
खो गया क्यों बन के सपना।

तु गया है भूल या उसने ही दामन है चुराया,
पर मेरे जेहन में वैसी ही,
कुछ प्यारी यादें सीमटी है अब भी।

माना है मैने कि तुम हो दूर मेरे,
दूर हो के पास हो तुम साथ मेरे।

मै तुम्हे अब देखता हूँ आसमां में,
चाँद में,तारों में,
हर जगह जहा में।

सब में बस तेरी ही तस्वीर दिखती,
हर तस्वीर तुम्हारी है ये पूछती।

मै नहीं तेरी प्रिया कर ना भरोसा,
दूर रह वरना तु खायेगा फिर धोखा,
मै उन्हें बस ये ही कह के टालता हूँ,
साये से तेरा अपना वजूद निकालता हूँ।

कोई ना जाने किसी को क्या पता है?
मेरे दिल के घर में तो तुम हो अब भी।

बीती हुई हर बात में,
अपनी सभी मुलाकात में,
थे चंद सपने जो थे जोड़े तेरे मेरे साथ ने।

उन चाँदनी हर रात में,
भींगी हुई बरसात में,
मेरे आज में और कल में,
दबी दबी सी जिक्र तुम्हारी,
एहसास दिलाती तुम हो अब भी...........

हिन्द की माया………..(सत्यम शिवम)

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एक माँ ने आवाज लगायी,
एक ने तुझे गँवाया,
खोकर एक ने तुझे पा लिया,
हिन्द की है ये माया।
कितनों के सिंदूर कर्ज पर,
कई बहनों के राखी,
कितनों ने है भाई गँवाये,
अपने और संग संगाती।

माँ की गोद उजड़ गयी देखो,
बाप का साया छुटा,
दूर गया वो हमे छोड़कर,
देश से जोड़ा नाता।

लड़ता लड़ता सीमाओं पर,
देश का वीर सपूत,
अंगारों और तोप सा बन गया,
माँ के लाल का रुप।

मर कर भी वो देश की खातिर,
माँ भारती के रग रग में है जिया।

खुशबु बन कर आज है छाया,
मेरे देश के वीरों की काया।

हिन्द की है ये माया।

प्यार ने हम को निक्म्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के...

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अरे नोजवानो समभल जाओ, कही तुम भी आज कल के प्यार मे ऎसी गलती मत कर बेठना, जेसे इस दिवाने ने की हे.... इस से सवक लो, ओर सयाने बनो....


अब सवक लेने के लिये तो यहां किल्क करना पडेगा ना

आईये एक नया खेल खेले.....

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आज मे एक फ़ोरम पर भटकता भटकता पहुचां, वहां एक बहुत सुंदर आईडिया देखा... यानि एक अति सुंदर खेल, सो़चा चलिये आप सब के संग भी खेले.


यह खेल वेसे तो हम बचपन मे भी खेलते थे, लेकिन अब भुल गये थे, तो वहां जा कर याद आ गया, यह खेल ऎसा हे कि हम एक फ़िल्म का नाम आप को यहां बतायेगे, आप ने उस से मिलता जुलता ही जबाब लेकिन फ़िल्म के नाम से ही देना हे, किसी भी भरतिया फ़िल्म का, एक जबाब बार बार भी दे सकते हे, यानि एक नाम कई बार ले सकते हे, लेकिन वो जबाब मिलना चाहिये.... उदाहरण के तोर पर...

चलती का नाम गाडी...... जबाब... विकटोरिया ना० २०४....
ऎसे ही एक लम्बी कतार मे जबाब पर जबाब देते जाये, जिस का जबाब सही मेल नही खायेगा, उसे टॊक कर आप आगे जबाब दे सकते हे, लेकिन गलत टोकने वाले के भी ना० कम होते जायेगे, ओर जिस के सभी जबाब सही मेल खायेगे वो विजेता होगा.
तो शुरु करे....
डोली सजा के रखना..... जबाब,,,,,,?

जिन्दगी हो तो ऎसी हो...मस्त

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अजी हमारी क्या मजाल ऎसा कहे, आज तक सुनते आ रहे हे... पहले मां की सुनी, फ़िर बहिन की सुनी, इन के संग संग टीचर की सुनी, अब बीबी की सुनते हे, इस लिये यह हम नही कह रहे......:) वेसे बात तो काम की हे.

अगर विलायत मे आना हे तो देर मत करे जी जल्दी जल्दी जाये, क्योकि अब हनुमान जी ने संजीवनी बुटी लाने से तोबा कर ली हे, अब तो वीजे लगवा रहे हे, जल्दी कही देर ना हो जाये.

कर लो बात अरे भाई हम ने इंसानो की बात की हे खोते ओर गधो के वीजे यहां नही मिलते.


जेब मे जगह बनाने के लिये यह जगह भी अच्छी लगी. धन्यवाद


ताऊ के हाल शे, ताऊ जी क्या हाल हे जी

ब्लाग को बनाने ओर उस के बारे मे आप के सारे सवालो के जबाब

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हमारे नये ब्लागर अकसर जब ब्लाग बनबा लेते हे दोस्तो से तो उन्हे बार बार छोटी छोटी बातो के लिये  दुसरो का रास्ता ताकना पडता हे, या फ़िर बच्चो को बार बार तंग करते हे, अगर बच्चो को कुछ समझ हो, खास कर हमारी बुजुर्ग महिलाये जो ब्लाग पर कविताये, कहानियां, गजले, ओर अन्य जानकारियां तो बहुत अच्छी अच्छी देती हे, लेकिन थोडी सी कमी के कारण महीनो अपने पीसी से दुर रहती हे, ओर हमे उन के लेखो से वंचित रहना पडता हे,



लेकिन अब यह बिलकुल नही होगा, आज आप को मै इस ब्लाग जगत की सही चाबी पकडा देता हुं, ओर जब भी कोई मुसिबत आये तो मेरा नाम ले कर? अरे नही नही...... हा तो भगवान का नाम ले कर आप खुद ही इस मुसिबत से छूटकारा पा ले, बस यह काम जल्दी नही करना, बहुत आराम से स्टेप तू स्टेप बहुत ध्यान से, फ़िर आप भी मास्टर बन जायेगे जी.
लो जी चाबी तो आप को दी ही नही, ओर आप का दिमाग आधा खा गया, तो जनाब यह रही चाबी, अरे यहां किल्क करो ना, चाबी यही तो छिपा कर रखी हे, चलिये अब राम राम

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय