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भाटिया जी कही आप की भी तेहरवीं ना मनानी पडे??

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आज हमारे यहां किसी की तेरहवीं थी, सभी जानपहचान वाले आये हुये थे, खुदी हवन किया,किया कुछ भजन किया सब ने मिल कर, ओर फ़िर थोडा बहुत खान खाया, फ़िर सब इधर उधर की बाते करते रहे, ओर उन सज्ज्न के बारे भी जिन की मुत्यू हुयी है.
फ़िर सब धीरे धीरे वहां से वापिस आने लगे, आती बार दो चार शव्द उस परिवार को होसल्ले के कह देते थे, दुख प्रकट करते, इन्ही लोगो मै एक सज्जन है, जो है तो हमारे बुजुर्गो की उम्र के, लेकिन जब बोलते है, तो बोलते तो बहुत मीठा है, लेकिन सामने वाले को उन का बोला आग लगा देता है, इस लिये अब लोग उन से कतराते है, लेकिन मै उन्हे हमेशा इज्जत देता रहा हुं.
चार छै महीने पहले ही हर त्योहर की बधाई देते है, पुछने पर बिलकुल साफ़ कहते है कि अगर तुम मर गये तो, इस लिये मेरी बधाई अभी लैलो. आज जब मै ओर मेरी बीबी उस परिवार वा अन्य लोगो से मिल कर आने लगे तो, यह सज्जन बोले भाटिया जी अपना ध्यान रखना कही आप के नाम से भी ऎसा हवन ना करना पडे, मै तो हंस पडा, लेकिन सब लोगो को ओर हमारी बीबी को उन का कहना बहुत बुरा लगा, लेकिन उन की उम्र को० देख कर हम दोनो चुप रहे,
घर आ कर हमारी बीबी ने कहा कि आप अब इस आफ़त का इलाज जरुर करो यह हर वक्त बहुत गलत बोलता है, तो मैने पूछा लेकिन मै इस का इलाज कैसे करूं, तो बोली अपनी जादू की पिटारी ( ब्लांग) मै इस सवाल को डाल कर अपने दोस्तो से पूछो इन सज्जन को क्या कहे जो इन कि इज्जत भी बनी रहे, ओर यह सीधे भी हो जाये, ओर हमे बुरा भी ना लगे.
तो बब आप लोग सलाह दे, हम सब क्या करें...

दिल्ली वालो कुछ मदद तो करो ना?

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 मै शायद जनवरी या फ़रवरी मै एक सप्ताह के लिये भारत आऊ, इस बार भी अकेला ही आ रहा हुं, अभी टिकट नही ली, ओर मै दिल्ली ओर रोहतक मै ही रुकना चहुंगा, दिल्ली मै मेरे सभी रिश्ते दार है, ससूराल भी दिल्ली मै ही है, यार मित्र , दोस्त भी बहुत है...... लेकिन मै किसी के घर नही रुकना चाहता, ओर मै कई दिनो से नेट पर कोई अच्छा सा होटल ढुढ रहा हुं, करीब सात दिनो के लिये, स्टार चाहे ना हो, लेकिन होटल अच्छा हो, ओर एक दो कमरे का हो,बाथ ओर टाल लेट अंदर ही हो, अगर आप लोगो की नजर मै कोई अच्छा सा होटल हो तो जरुर लिखे.

होटल का किराया, कमरे के बारे, ओर आस पास का महोल, ओर होटल किस जगह है, यानि पुरी जानकारी अगर दे सके तो आप सब की मेहरबानी होगी..... मै इन्तजार मै हुं, आप लोगो के जबाब की.
राम राम

गालिया केसी केसी.........

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हमारे भारत मै लोग जब आपस मै लडते है, तो हमेशा शुरुआत होती है सुंदर सुंदर गालियो से, ओर गालिया भी एक दुसरे को देते वक्त उन्हे सुंदर सुंदर शव्दो से सजा कर देते है, उन पर मसाले, मिर्ची, इमली ओर भी स्वादिष्ट ओर चटखारे वाले मसाले डाल डाल कर एक दुसरे को आदान परदान करते है, ताकि जिसे हम गाली दे रहे है उसे उस गाली का स्वाद भी आये, फ़िर गाली दे कर थोडा रुकते है, यह देखने के लिये कि उस गाली का सामाने वाले पर क्या असर हुआ,लेकिन सामने वाला भी बडा तेज होता है, वो किसी का पेसा चाहए ना लोट्ये लेकिन गाली इधर लपकी दुसरे हाथ से वापिस.

फ़िर इन गालियो पर सिर्फ़ बडो का हक नही, अजी बच्चे बुढे, जवान लडके लडकिया सब मजे से निकालते है, ब्लांग जगत मै आने से पहले एक दो बार मै याहू पर गया ओर एक दिन घुमता हुआ दिल्ली मै पहुच गया... बाप रे वहा एक लडकी नाम (?) लडको से भी ज्यादा गालियां निकाल रही थी, हम ने उसे समझाना चाहा कि यह गालिया लडकियो के मुंह से अच्छी नही लगती, तो कुछ देर चुप रही, हम ने उसे बच्चा बेटी  ओर बहन कह कर चुप करवाया, फ़िर बाद मै पता नही क्या हुआ.

अब भारतिया गालियो का तो आप सब को पता ही है, क्योकि सुबह शाम कोई भजन कानो मै पडे या ना पडे लेकिन यह गालिया जरुर पडती है, लेकिन यह गोरे भी हम से कम नही, यह भी खुब गालिया निकालते है, लेकिन इन की गालिया फ़ुस्स है, जिन्हे सुन कर बिलकुल मजा नही आता.

अब हमारी गालियो के सामने तो यह बिलकुल ही फ़ुस्स है, जेसे नारियल अजी यह भी कोई गाली है, नारियल को यह जर्मन मै कोको नुस कहते है, अगर किसी से बहस हो जाये ओर आप ने उसे कोको नुस  कफ़ कह दिया तो वो आप से नाराज, यानि  उस का सर नारियल की तरह से खाली है, अन्डर दिमाग नही, अब आप को कोई पक्षी कह दे तो आप कया करेगे अजी यह भी कोई गाली है? हां जी है ना पक्षी यानि फ़ोगल, हमारे यहा फ़ोगल कहते तो पक्षी को है अगर आप ने किसी व्यक्ति को कह दिया तो यानि आप ने उससे पागल कह दिया, यहां फ़िर नाराजगी,हमारे यहा मां बहन की गाली फ़ुस्स है जी, अगर आप को कोई कहे कि भगवान की गलती है तु, तो आप बुरा नही माने गे, लेकिन हमारे यहा बहुत बुरा मानते है, ओर भी बहुत सी यहां की अजीब बाते है लेकिन फ़िर कभी.... लेकिन मुझे यहां करीब तीस साल हो गये है मैने इन लोगो को आपस मै कभी लडते नही देखा

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय