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मॆ क्या करू, अपनी गलती केसे सुधारू ? जवाव

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मॆ क्या करू, अपनी गलती केसे सुधारू ???

यह लेख था, जो एक सवाल के रुप मे किसी ने पुछा, इस के बारे एक टिपण्णी को छोड कर सभी ने अच्छी बाते ही लिखी, डा० अमर कुमार जी ने ओर भाई रामपुरिया जी ने ओर अन्य भाईयो ने भी रंजन को सही सलाह दी, भाई जेसा करोगे वेसा ही भुगतो गे भी , ओर फ़िर डा० अमर ने इस के साथ ही सही राय भी देदी,

आप सब की टिपण्णी से मॆ सहमत हूकि, हमारे यहां भी यह सब लुक छुप के होता हे, अगर हम चुप रहे या इन बातो को अन्देखा कर दे तो सच्चाई तो छुप नही सकती,इन बातो के बारे बात करने से हमे ही लाभ हे, कल यह स्थिति हमारे बच्चो के साथ भी हो सकती हे, इस कहानी मे रंजन कसुर बार तो हे लेकिन मोसी ज्यादा कसुरवार हे, क्यो कि उस की उम्र ओर रंजन की उम्र मे दिन रात का फ़र्क हे, रंजन उस समय बचपने ओर जवानी मे था,ओर यह वो समय हे जब बहुत से लोग बहक जाते हे, शायद इस लेख को पढ कर अन्य लोगो को भी ऎहसास हो की गलत काम का नतीजा भी गलत ही होता हे, ओर फ़िर रंजन के मामले मे उस के मां बाप की भी गलती हे, अगर आप का बेटा जवान हो रहा हे तो थोडा ध्यान हमे भी रखना चाहिये , जितने भी गलत काम बच्चो के साथ होते हे, उन मे ९०% रिस्ते दार, यार दोस्त, जान पहचान वाले ओर आसपडोस के लोग ही शामिल होते हे, इस बारे यह रिपोर्ट बी बी सी मे छपी कहानी के रुप मे पढे, भाग २, भाग ३, शेष

मॆ अपने इस लेख मे रंजन की तरफ़ दारी नही कर रहा, बल्कि यह बताना चाहता हू की ऎसे केसो मे ज्यादा तर मां बाप ओर अन्य लोगो की गलती होती हे ओर भुगतते हे नादान बच्चे, क्यो ना हम अपने बच्चो को ठीक से समझे, उन के दोस्तो को अपने ध्यान मे रखे, ओर सब से बडी बात अपने आस पास रहने वालो को भी ध्यान मे रखे, तभी हमारे बच्चे इन बिमारियो से बच सकते हे, ओर आखरी मे मॆ रचना जी की बात को दोहराता हु कि इस केस मे मोसी ९० % दोषी हे, बाकी खुद रंजन ओर उस के हालात दोषी हे। ओर हमारे टिपण्णी कारो ने रंजन को एक नेक सलाह दी हे ,

पहले मे इसे टिपण्णी के रुप मे देना चाहता था, लेकिन यह जब पोस्ट जितनी लम्बी हो गई तो सोचा इसे ही पोस्ट का रुप दे दु। उमीद हे रंजन जी को उन के सवाल का जवाव ओर सवक भी मिल गया होगा, जब सब ठीक हो जाये तो कान पकड कर कसम खा ले.....

आप सभी का धन्यवाद,

मे क्या करू,अपनी गलती केसे सुधारू ?

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क्या आप इन की मदद कर सकते हे, कोई राय दे सकते हे ???
ओर जिस मकसद से मेने यह बांलग शुरु किया, मुझे पहले सप्ताह ही ३ मेल आई, लेकिन उन्हे रोमन मे पढने मे मुझे काफ़ी दिक्कत आई, लेकिन ३,४ बार पढने पर, सारी बाते समझ मे आ गई, ओर तीनो मेल अलग अलग बातो से समभंवित हे।

ओर तीनो ने हे अपने बारे बताने से मना किया हे, इस सप्तहा से मेरी छुट्टिया भी खतम हो गई , इस लिये यहां के लिये समय निकाल पाना काफ़ी कठिन हे...

तो आज की पोस्ट, इस मे सभी नाम ओर स्थान कलप्निक हे...
मुझे यह मेल दो, तीन दिन पहले मिला, लिखने वाले सज्ज्न २५ साल के हे, उन्हे एक बहुत ही मुस्किल आन पडी हे... उन की बात उन की जुवानी.....
मेरा नाम रंजन हे, उम्र २५ साल, थोडे दिनो बाद मेरी शादी होने वाली हे, ओर इस शादी से हम सब बहुत खुश हे, मे घर मे बडा हू इस लिये हमारे घर मे यह पहली बडी खुशी हे, ओर सभी को उस दिन का बेसब्री से इन्तजार हे, जब मॆ घोडी पर बेठ कर शादी करने जाऊगा....

अब सुनिये मेरी मुसिबत, फ़िर चाहे मुझे गालिया दे, लेकिन कोई रास्ता जरुर बताये, मॆ आप सब का बहुत आभारी हूगां,क्योकि इस मुसिबत ने मेरी सभी खुशियो को ग्रहण सा लगा दिया हे, ओर इस चिंता मे काफ़ी उलझा सा रहता हु, काफ़ी सोचता हु, लेकिन कोई रास्ता नजर नही आता, ओर किस से सलाह लू, समझ नही आता,

जब मे २१ साल का था तो हमारे पडोस मे एक परिवार आ कर रहने लगा, अकंल ४०,४५ साल के आसपास होगे ओर आंटी उन से ४,५ साल छोटी होगी, आंटी घर पर रहती हे, ओर अंकल पुलिस मे इस्पेंक्टर हे, इन के दो बच्चे हे , एक छोटी लडकी १०,१२ साल की हे ओर लडका १३,१४ साल का हे, पहले तो मे इन्हे अकंल ओर आंटी बुलाता था, लेकिन जब घरो मे आना जाना बढ गया तो मे इन्हे मोसी कह कर बुलाने लगा, ओर वह भी मुझे बेटा कहती हे।

एक बार मोसा की तबीयत खराब हो गई, ओर सब लोग अस्पताल मे उन्हे देखने गये, उन सब का रो रो कर बुरा हाल था,मेरे ममी पापा ने उन्हे बहुत होसला दिया, ओर सभी को घरपर खाना खिलाया, फ़िर मोसी ने कहा की वह आज तक कभी अकेली नही सोई, छोटे बच्चे भी डरते हे, तो मां ने मुझे भेज दिया, अब मोसी के घर पर सब मेरे साथ आये( मोसी, दोनो बच्चे ओर मॆ) काफ़ी रात हो गई थी , ओर बच्चे जाते ही सो गये, ओर मॆ मोसी के पास बेठ था, मोसी रोये जा रही थी, मे उन्हे चुप करा रहा था, इस बीच पता नही क्या हुआ ओर मोसी ओर मॆ.....

अब मुझे भी अच्छा लगता था यह सब, ओर मोसी भी जब चाहे मुझे बुला लेती, लोगो के सामने बेटा ओर मोसी, लेकिन ....मोसी मेरा पुरा ख्याल भी रखती थी,यह सिलसिला करीब ३ साल से चल रहा हे, अब जब मेरी शादी की बात चली तो मोसी मुझे धमकाने लगी हे, कि अगर तुम ने मुझे छोडा , ओर पहले की तरह से नही आये तो मे सब को बता दुगी, यह बात मोसी ने तब कही जब मेने उन के बुलावे पर भी उन के घर जाना छोड दिया, अब जाता हु तो बहुत गुस्सा दिखाती हे, ओर कहती हे जब भी बुलाऊ उसी समय आना वरना तुम्हे पुलिस मे पकडवा दुगी, मेरी एक दो फ़ोटो (बिना कपडो के) भी मोसी के पास हे,

अब मुझे डर हे कही मोसी मेरा घर बसने से पहले ही ना उजाड दे, अब मेने जाना बहुत कम कर दिया हे, तो मोसी हमारे घर आ जाती हे, अगर मेरे घर मे किसी को बता दिया,या मेरी होने बाली बीबी को यह सब पता चला या फ़िर मोसा को पता चल गया तो क्या होगा, मेरी गलती तो हे ही , लेकिन इसे सुधारू केसे, ओर इस बारे किस से बात करु, किस से सलाह लू, अगर सब को पता चल गया तो मे कही मुहं दिखाने लायक नही रहुगां.

गलती मेने बचपने मे आ कर की हे, लेकिन मोसी को भी सोचना चाहिये था, लेकिन करु क्या केसे इस मुसिबत से छुटकारा पाऊ, अगर आप मुझे कोई रास्ता दिखा सको तो मे आप का आभारी रहुगां
आप का आभारी
रंजन(कल्पनित नाम)
भारत

आप सब को नमस्कार

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यह इस ब्लॉग की पहली पोस्ट हे, और आप सब का सहजोग भी चाहिये ,
नमस्कार,मॆ काफ़ी समय से सोच रहा था,कि कुछ नया करु,लेकिन क्या ? बहुत सोचा लेकिन दिमाग मे कुछ भी नया नही आया, लोग पहले से ही हर आईडिया ले कर बेठे हे,लेकिन करना तो हे कुछ,जिस से मे लोगो को कुछ दे सकू,उन के दुख ओर सुख मे हाथ बटां सकु,लेकिन केसे ?फ़िर मेने सभी तो नही बहुत से ब्लॉग पढे, कविताये पढी, ओर बहुत कुछ पढा, फ़िर मेरे पास हिन्दी की कई पत्रिकाये आती हे, कभी कभी उन्हे पढा, तो एक बात समझ मे आई कि लोगो के दिल मे बहुत सी ऎसी बाते हे, जो वो किसी से कहना चाहते हे, लेकिन किस से कहे, आज किसी को अपना समझ कर आप ने दिल की बात कह दी, कल किसी बात पर मनमुटाव हो गया तो वो कही बात जग हसांई बन जाती हे,

तो बात किस से कहे, कई बार बहुत खुशी की बात होती हे, लेकिन हमे कोई मिलता नही जिस से बात कर सके, कभी दिल मे बहुत दुख होता हे,कई बार ऎसी बात होती हे जो कहना चाहते हे लेकिन शर्म से या फ़िर लज्जा से,हम अपने दिल की बात कह नही पाते, फ़िर वही बात हम अपने दिल मे सोच कर कुडते रहते हे, जो बाद मे कई बार बडी बीमारी का सबाब बन जाती हे,कई बार हमे आत्महत्या जेसे काम करने पर मजबुर कर देती हे.

बात करे तो किस से,किस पर भरोसा करे,कई लोग ऎसा सोचते हे,ओर वो सही सोचते हे,लेकिन मेने देखा हे कि अगर कोई भी बात हम किसी भी भरोसे वाले व्यक्ति से करे तो कई बार सही सलाह भी मिल जाती हे,यह मंच मेने यही सोच कर बनाया हे कि आप अपने दिल की कोई भी बात हमारे साथ बाटं सकते हे, हमे बता सकते हे, आप की पुरी गोपनियता रहे गी, अगर आप अपना नाम नही बताना चाहते तो किसी भी अन्य नाम से, बेनाम से टिपण्णी के रुप मे,email, के रुप मे हमे बताये, ओर अगर आप चाहते हे तो हम उस बात को प्रकाशित भी कर सकते हे, ताकि अधिक से अधिक लोगो की सलाह मिल सके,आप की कहानी आप के नाम के साथ, आप के नाम के बिना, जेसा आप चाहेगे, वेसे ही हम उसे प्रकाशित करेगे,

दिल की बात हम से बाटें, हमे आप का नाम ,पता, फ़ोन ना०, e mail, या अन्य जानकारी कुछ नही चाहिये, बस आप का सुख, दुख, आप जो किसी को कहना चाहते हे, ओर कोई मिलता नही तो हमे कहिये,अगर आप को सलाह चाहिये तो जितना हो सका हम सलाह जरुर देगे, अगर मे कुछ लोगो के होंठो पर एक मुस्कूराहठ ले आऊ तो मुझे खुशी होगी,

जब आप चाहे गे तभी आप की कहानी, आप की परेशानी, आप का सवाल, आप की खुशी प्राकशित होगी, आप चाहे गे तो आप के नाम के साथ आप चाहे गे तो आप का नाम बदल कर ओर जगहो के नाम, ओर पात्र बदल कर .

बहुत सी बाते हे, जो कुलबुलाती हे जिस से हमारा ब्ल्ड प्रेशर बढ जाता हे,अच्छी बुरी, कोई काम कर के हमे पछतावा होता हे,ओर किसी को बताना चाहते हे,पति से, पत्नि से कोई गलती हो गई सलाह चाहिये, क्यो कि आप ने जान बुझ कर गलती नही की, ओर अपने परिवार को भी नही खोना चाहते, बाप बेटे मे किसी बात को लेकर अनबन हे, भाई भाई , बहुत सी बाते हे,जब चाहो (अपना परिचय छुपा कर भी) मुझे लिखो, अपनी दिल की बात जो किसी से नही कह पाये ओर कहना चाहते हो तो उडेल दो.
लेकिन किसी के बारे मे मे यहां कोई अपशव्द नही लिखुगा, यह ब्लॉग आप सब का हे आप मुझे नये आडिया भी दे सकते हे,
धन्यवाद
राज भाटिया

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय