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हार्दिक श्रद्धांजली

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हार्दिक श्रद्धांजली मेरे उन शहीद भाईयो के लिये जो हमारी ओर हमारे देश की आबरु की रक्षा करते शहीद हो गये।लेकिन मन मै नफ़रत ओर गुस्सा अपनी निकाम्मी सरकार के लिये

तलत महमुद जी भाग २

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आईये कुछ भुले बिसरे, लेकिन सदा बहार गीत तलत महमुद जी की आवाज मै सुने , ओर इन गीतो को अगर आप झुम ना उठे तो कहिये...

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कुंदन लाल सहगल भाग ३

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सहगल जी के गीत मै बचपन से ही सुन्ता आ रहा हु, जब पिता जी इन्हे विविध भारती पर सुना करते थे, तो बरबस हमे भी सुननए पडते थे, लेकिन उस समय इन गीतो का अर्थ समझ मै नही आता है, लेकिन साथ साथ मे गुन गुनाते थे, अब जब खुब समझ मै आते है तो मिलते नही, ओर एक ख़जाना हाथ लगा तो सोचा आप सब से बांट लू... तो चलिये अगले १० गीतो रुपी फ़ुलो का गुलदस्ता लेकर हाजिर हुआ हुं
पसंद आये तो होसल्ला जरूर बढ्ये।

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तलत महमुद जी भाग १

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आईये आप को तलत महमुद जी के कुछ गीत ओर गजल सुनाये, भुली बिसरी यादो के साथ, हर सेट मे मेने इस बार भी १० गीत ही रखे है, सुनिये ओर बातये आप को केसे लगे?

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ताऊ के काम

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ताऊ चला दिल्ली की ओर....

एक बार ताऊ रोहतक से दिल्ली जा रह था, सापले आते ही टी टी चढ गया बस मै, ओर सब की टिकट चेक करने लगा, ओर थोडी देर बाद ताऊ के पास भी आ गया, ओर बोला भाई चोधरी साहब टिकट दिखायो, ताऊ ने अपना झोला खोला, फ़िर उस मै से एक पलास्टिक की एक थेली निकाली, फ़िर उस मै से एक कपडे की एक छोटी सी गांठ निकली, फ़िर उस मै से एक रोटी बांध रखी थी, ओर उन रोटीयो के बीच मै देसी घी का चुरमा रखा हुया था, फ़िर ताऊ ने उस चुरमे मै ऊंगली से टिकट ढुढा, ओर फ़िर टिकट निकाल कर टी टी को दिखाया।
टिकट तो घी के चुरमे के कारण पुरी तरह से चिकनी हो गई थी, तो टी टी ने कहा, अरे अच्छे आदमी तुम्हे कोई ओर जगह नही मिली इस टिकट को रखने के लिये ?? ताऊ बोला मै बुढढा आदमी इसे से अच्छी जगह ओर कहा होगी, कही ओर रख के भूल गया तो... ओत टी टी भुन भुनाता आगे निकल गया, साथ मे तिवारी साहब जी बेठे थे, तिवारी साहब बोले , अरे बाउली बुच( पगले) तुझे टिकट रखने की कोई दुसरी जगह नही मिली क्या????बाबले चुरमा टिकट रखने के लिये थोडे है ??? ताऊ बोला तिवारी मै इतना भी बाब्ली बुच (पागल ) नही इस टिकट पर पिछले ४ साल से यात्रा कर रहा हुं.
जय बोलो ताऊ की

कुंदन लाल सहगल भाग २

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इक बंगला बने न्यारा.....
आईये आप को कुंदन लाल सहगल जी के कुछ ओर यादगार गीत सुनाये...... बस इन के गीतो को सुन कर मस्त ना हो जाये तो कहिये.....

तो चलिये आप को अपने न्यारे बंगले मै ले चले...

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दादी मां

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सर्दी की वजह से दादी मां अब कम ही बाहर आती हे, जब कम आती है तो कम बात करती है, लेकिन आज मेने भी दादी मां को घर जा कर बात की, ओर बाताया कि बहुत से लोग इन्त्जार कर रहै है, आप की बातो का तो दादी ने सोच कर यह बात बताई.........
यह बात बहुत पुरानी हे, जब दादी मां जवान थी, हां आप को बता दुं दादी काफ़ी पढी लिखी है, ओर यह एक सच्ची बात है......

आज चार दिन से दादी की आंखो मे सुजन आई हुयी थी, पहले दो दिन तो दादी घर पर ही देसी टोटके करती रही लेकिन आंखो की सुजन ओर दर्द कम नही हुआ, तो दादी मां डा के पास गई, डा साहब ने दादी मां की आंखे चेक की ओर कहा घबराने की कोई बात नही, लगता है आंख मे कुछ पड गया था, ओर आप ने उसे मल दिया, इस लिये यह सुजन आई है, आप यह दवा ले जाये ओर हर दो घण्टे के बाद डालते रहे, ओर आज से तीसरे दिन फ़िर से चेक करवाने आये।

दादी मां ने वो दवा की ट्युब डा साहब से ली, बिल दिया ओ घर आ गई, बडे बेटे को कहा बेटा यह ट्युब मेरी आंखॊ मे डाल दे, बेटे ने आंखो मै डाल दी, ओर फ़िर मां से बोला मां एक बार मै जाने से पहले आप की आंखॊ मै डाल दुगां, फ़िर मेने कालिज जाना है, तीसरी बार छोटे से डलवा लेना।

बडे ने दोनो समय सही वक्त पर मां की आंखो मे दवा डाल दी, मां की आंखे आज ज्यादा ही दुख रही थी, तो बडे ने मां को बताया मां यह आंखो की दवा मै इस ऊपर वाले दराज मे रख रहा हूं, छोटा आया खाना खाया ओर कब आंख बचा कर चला गया मां को पता ही नही चला, थोडी देर मे अलार्म बजा तो मां को याद आया कि बडा इसी लिये अलार्म लगा गया था कि मे दवा ना भुलु, मां ने दो चार बार छोटे को आवाज दी , लेकिन छोटा तो छत पर पतंग उडाने मे मस्त था।

लेकिन मां की आवाज सुन कर माया पडोस की लडकी आ गई ओर बोली मां भाईया तो यहां नही, बोलो क्या काम हे? मां ने कहा बेटी मेरे से तो आंखे भी नही खोली जा रही, वो देख सामने मेज की दराज मे तेरा बडा भाई मेरी आंखो की दवा रख गया हे, तु वो मेरी आंखो मे डाल दे, शायद शाम तक कुछ आराम आ जाये? अब माया उस मेजे के पास गई ओर दराज को खोला वहां कई सारी दवा की ट्युब पडी थी,।माया ने पुछा मां कोन से वाली ? दादी मां ने कहां बेटी हरे रंग वाली ? माया ने दादी का सर अपनी गोद मे रखा ओर एक आंख खोल कर उस मे वो हरी ट्युब वाली दवा डाल दी।

लेकिन यह क्या दवा डालते ही दादी की चीख निकली ओर दादी बुरी तरह से तडपने लगी, माया ने अब ध्यान से टयुब को पढा तो वो टयुब तो पंचर लगाने वाली थी, अब माया घबरा गई ओर जल्दी से अपने घर से अपने पिता जी कॊ ओर उपर से छोटे भाई को बुला लाई, ओर दादी को झट पट डा के पास ले गये ओर माया ने रोते रोते सारी बात बता दी।

डा ने कहा आप जितनी जल्द हो सके इन्हे मेडिकल मे ले जाओ, जल्दी से दादी को मेडिकल ले जाया गया,( साथ मे डा ने यह भी कहा की सारे रास्ते आप इन की आंख को सुखने मत देना इस लिये कोसे कोसे पानी से आंख धोते रहना, या हलके हलके छीटें मारते रहना, ओर आंख को खोले रखे अगर बन्द हो जाये तो जवर्दस्ती मत खोले) अब मेडिकल मे दादी को झटपट दाखिल करवाया गया, ओर डा साहब ने चेक भी किया, कई दवा भी आंखो मे डाल कर आंखो को कई बार धोया।

ओर फ़िर सब घर वालो को कहा कि अभी मै कुछ नही कह सकता, आप सब शाम को आये, मेने इन्हे सोने की दवा देदी है , जिस से यह बार बार आंख को नही मसलेगी , ओर आंख को थोडा आराम मिलेगा, अगर शाम तक सुलोशन (पंचर लगाने वाला ) सूख कर अपने आप बाहर निकल आया तो कोई खतरा नही, वरना अप्रेशन करना पडेगा, लेकिन आंख का पता नही बचे या न बचे लेकिन आप सब दिल छोटा ना करे, मुझे उम्मीद है ऎसा कुछ नही होगा।

माया का रो रो कर बुरा हाल था, उसे यही मलाल था की पढी लिखी हो कर भी उसने यह वेबकुफ़ी केसे कर दी, सब शाम तक वही बेठे रहै, शाम सात बजे डा साहब आये, ओर उन्होने देखा दवा का असर अभी भी हे, दादी शान्ति से सो रही है, डा ने धीरे से पट्टी खोली,आंख के ऊपर से दवा का फ़व्वा हटाय, ओर आंख को खोलने की कोशिश की, लेकिन यह क्या ? डा साहब के हाथ मे एक झिली सी आ गई, डा साहब के उसे ट्रे मे रखा ओर धीरे से फ़िर आंख कॊ खोला ,अब आंख के आगे से सफ़ेद झिली गायब थी, ओर दादी भी थोडी हिली डुली।

डा साहब ने कहा जब तक यह होश मै नही आ जाती तब तक कुछ नही कहा जा सकता, लेकिन लगता है अब कोई खतरा नही,रात नो बजे दादी की आंख खुली। ओर दादी जाग गई, थोडी देर बाद डा साहब की डयुटी बदलने वाली थी, लेकिन समय निकाल कर आये, ओर उस आंख पर पहले पानी से धीरे धीरे छींटे मारे फ़िर बोले आप आंख धीरे धीरे खोले, दादी ने अपनी आंखे धीरे धीरे खोली, फ़िर डा ने दोनो आंखो से बारी बारी दादी मां को देकने को कहां, फ़िर सब को बधाई दी की अब इन्हे कोई खतरा नही, क्योकि सुलोशन डालते ही इस लडकी को अपनी गलती पता चल गई थी, ओर इस ने हिम्मत से काम लिया, अगर यह चुप रहती, या आप लोग लेट आते को .....
आज दादी ९१ साल की हो गई है, लेकिन कभी भी चशमा नही ला, ओर दादी खुद ही कभी कभी मजाक मै कानी हो जाती तो कुछ ऎसे दिखती ओर एक आंख बन्द कर लेती है।

कभी भी बिना पढे कोई भी दवा मत ले, ना किसी को दे, लेकिन हम मे से कई जो पढे लिखे भी है बिना पढे, ओर बिना उस दवा के जाने उसे खाते भी है ओर खिलाते भी है

ताऊ के काम

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भाई ताऊ तो होता ही शरीफ़ है...... तो चलिये ताऊ की शराफ़त का एक नमुना ओर देख ले...

एक बार ताऊ ओर तिवारी साहब जी बस मै बेठ गये, बस थी हरयाणा रोड वेज की, थोडी देर बाद कंडकटर आया ओर बोला साहब जी टिकट, तिवारी साहब सोचने लग गये की पेसे केसे बाचाये जाये? तभी तिवारी साहब जी के दिमाग ने काम किया, ओर तिवारी साहब पेसे बचाने के चक्कर मै बोले... भाई कंडकटर तु यह सोच लियो की बस मे तेरी बुआ बेठ गई थी,बस का कंडकटर शरीफ़ था, इसलिये चुप हो गया, फ़िर ताऊ को देख कर बोला ताऊ ईब तु तो टिकट कटवा ले, अब ताऊ ने देखा की यु तिवारी तो सीधा बच गया, मेरे पेसे लगेगे, ओर सोचने लग गया?????? ताऊ ने भी दिमाग दोडाया ओर बोला भाई कडकटर तु यह सोच ले की बुआ संग तेरा फ़ुफ़ा भी बस मै बेठा है.

थोडा बच कर...

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यह सुचना आप सब के लिये है....
हमारे यहां कई लोगो को ई मेल मिला की आप का धन्यवाद आप ने ओबामा की जीत मे खुशी दिखाई, हम आप सब का धन्यवाद करते है...... ओर आप जब इस ई मेल को खोलेगे तो आप के यहां नया विरुस,( वायरस) आ चुका होगा, इस लिये सावधान करना मेरा फ़र्ज है।
इस ओबामा के नाम से जितने भी ई मेल आये समझिये सब मै कुछ गडबड है,

ताऊ के काम

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भाईयो हमारा ताऊ ऎसा वेसा नही, बहुत ही सीधा साधा शरीफ़ आदमी है, अगर किसी को शक हो तो भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन पर जा कर उन महा आदमी की फ़ोटो देख सकते है, अरे आप गलत समझ रहै है, अरे महात्मा गांधी की फ़ोटो भी तो पुलिस स्टेशन पर लगी होती है... तो क्या ........ सच मै हमारा ताऊ बहुत शरीफ़ है, यकीन नही होता ??? तो नीचे खुद पढ ले....

भाई ताऊ के बडे लडके का रिश्ता पक्का होगया, अब ताऊ हमारा बहुत शरीफ़, लडकी वाले पक्के चालू ओर कंजुस मक्खी चुस, अब जब ताऊ ने शादी की तारीख निकलवा ली तो लडकी का वाप बोला चोधरी साहब बात यह है कि तुम बारात थोडी छोटी लाना, बस १०,१५ आदमी ही।

अब ताऊ था दिल का राजा, उस की जान पहाचान बांलाग मै ही इतनी है २,३ सो तो बांलग्रिये ही इक्कट्टॆ हो जाये, फ़िर गाव के , रिश्ते दार सब मिला के १५०० लोग, ताऊ ने एक दो बार समझाया, लेकिन लडकी का वाप था पक्का कंजुस, वो नही माना, तो ताऊ ने हां कर दी, ओर भाईयो रोकते रोकते भी २७ आदमी हो गये,

बारात पहुची लडकी वालो के घर मै, ओर लडकी के बाप ने जब देखा की बाराती तो बहुत ज्यादा है, ओर खाना बनबाया है सिर्फ़ १५ आदमियो का, तो भाईयो लडकी के बाप ने खीर मै, आलू की सब्जी मै ,दाल मै ,चावलो मै, ओर हलवे मै पानी डाल दिया, ओर पानी डालने के कारण सारा खाना वेस्वाद सा हो गया, अब बराती खाने आये तो ताऊ के कारण कुछ नही बोले ओर थोडा बहुत खा कर ऊठ गये, ताऊ भी सारी बात समझ गया।

अब शादी हो गई ओर विदाई का समय आया तो लडकी के बाप ने ताना सा मारा, चोधरी साहब आप बारात तो बहुत छोटी लेकर आये, अब हमारे ताऊ को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन मोके की नाजाकत देखर्ते हुये दोनो हाथ जोड कर ताऊ बोला... चोधरी साहब हमारे गाव मै गोवर खाने वाले बस इतने ही लोग थे।
तो हमारा ताऊ हुआ न शरीफ़

कुंदल लाल सहगल भाग १

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आईये आप को कुंदल लाल सहगल के भुले विसरे गीत सुनाऊ.... इन गीतो मे आज का शोर नही , लेकिन इन्हे सुन कर मस्ती सी छा जाती है, पहले पये दान मै मेने दस गीत ही रखै है, आप सुने ओर जरुर बताये केसे लगे.......

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ताऊ का नया काम

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एक बार ताऊ ने नया काम शुरू किया, इस बार उसने गधे पाल लिये, अब रोजाना जंगल मे गधॊ को चराने लेजाता ओर शाम को वापिस आता, ओर उस रास्ते मै एक थाना पडता था, ओर थाने के बिलकुल सामने एक बच्चो का स्कुल था, एक दिन ताऊ गधो को जंगल मे चरने के लिये लेजा रहा था कि एक गधे का बच्चा भाग कर स्कुल मे घुस गया, ओर ताऊ अपन लठ्ठ ले कर गधे के बच्चे के पीछे पीछे स्कुल मै घुस गया, ओर इधर उधर गधे के बच्चे को ढुढने लगा, अब ताऊ को देख कर बच्चे शोर मचाने लगे, तो मास्टर जी ने ताऊ को कहा, रे ताऊ भाग यहां से बच्चो को पढने दे, ताऊ वहा से चला आया ओर बोला ऎ मास्टर तु ही समभाल ले इब इस गधे के बच्चे को.
एक महीने के बाद ताऊ फ़िर स्कुल के सामने से गुजरा, ओर उसे अपना गधे का बच्चा याद आ गया, ओर ताऊ सीधा मास्टर के पास गया ओर बोला मास्टर जी मास्टर जी मेरा गधे का बच्चा कहां है, मास्टर जी किसी बात से पहले ही भरे बेठे थे, ताऊ को देख कर बोले वो सामने कुर्सी पे बेठा है तेरा गधे का बच्चा, ताउ ने उस तरफ़ देखा, वहां थाने दार अपनी वर्दी मे बेठा था,ताऊ तो बडा खुश हुआ ओर सीधा थाने दार के पास पहुच गया, ओर थाने दार के सर पर हाथ फ़ेर कर बोला , ओये मेरा गधे का बच्चा अब तो तु थाने दार बन गया, बस फ़िर क्या था, थाने दार उठा ओर ताऊ के दो तांगे मारी, तो ताऊ बोलेया रे गधे के बच्चे तु आदमी तो बन गया लेकिन लाट मारने की आदत नही छुटी.....

एक पहेली ???

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यह है इस पहेली का सही जवाव जो समीर जी ने दिया है , इस फ़ुल का
नाम पोपाये(poppy ) है भारत मै यह हिमाल्य ओर उस के आसपास मिलता है, धन्यवाद

बुझो तो जाने???? बताईये यह क्या है ? एक फ़ल?? या एक अधखिला फ़ुल?? या कुछ ओर , ओर इस का नाम क्या है????


मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय