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नये साल की शुभकामनाये!!!

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आप सभी को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनाये, नये साल पर आओ मिल कर प्रण करे की हम देश के प्रति रोजाना एक अच्छा काम करे गे. इस साल ना रिश्वत लेगे ओर ना ही रिश्वत  देंगे पुरे साल. धन्यवाद



आप सब के लिये नये साल का एक उपहार... यहां देखे...
http://blogparivaar.blogspot.com/

ब्लाग परिवार... Blog parivaar

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आप सब को मेरा नमस्कार, सलाम, सतश्री अकाल ओर जो जो वाक्या स्वागत मे कहे जाते हे, वो सब मेरी ओर से जोड ले,बहुत समय से देख रहा हुं कि साथी लोग ऎग्रीगेट्र की बाते कर रहे हे, कोशिश कोई नही कर रहा, कोई पेसो की बात करता हे तो कोई रुठे हुयो को मना रहा हे, लेकिन इतने समय से कुछ खास नही हुआ,अब बेठे बेठे मेरे दिमाग मै एक विचार आया कि क्यो ना मे ही इस काम का बीडा ऊठा लूं, वेसे तो मुझे पता हे कि यह काम मेरे अकेले के बस का नही, लेकिन जब तक हम मे से कोई पहला कदम नही बढायेगा तब तक कुछ नही हो पायेगा.पुरा पढने के लिये यहां आये

नॊट..... कृप्या आप अपना URL  जरुर लिखे, इस से मुझे दिक्कत नही होती

आज तक आप को कुल कितनी टिपण्णियां मिली जानिये?

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अरे हां बाबा यह हिसाब किताब तो हमेशा आप के पास रहता हे, तो देखना चाहेगे कि आप को आज तक कुल कितनी टिपण्णियां मिली, तो जनाब झट पट जाईये अपने डेश बोर्ड पर, या सेटिंग पर या जहां आप नयी पोस्ट लिखते हे, जी हर जगह आप की टिपण्णियो का हिसाब किताब आप के संग चलता हे, तो चलिये डेश बोर्ड से ही पता करते हे आप को आज तक कुल कितनी टिपण्णियां मिली..... जरा ध्यान दे देखे कि कमेंट कहा लिखा हे डेश बोर्ड मे, अब इस पर किल्क करे.... अरे वाह.... खुल गया ना आप की टिपण्णियो का खाता ध्यान से देखे राईट साईड मै इन सब की संख्या भी लिखी हे.
राम राम मिलते हे फ़िर कभी किसी मोड पर

पंगा दिवस,Pangaa Diwas राज भाटिया

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 आज यानि १५/१२/१० को पंगा दिवस की आप सब को बहुत बहुत बधाई,

अरे बाबा आप सब विदेशियो के हर तरह के त्योहार मनाते हे हर दिवस मनाते हे, फ़िर हमारा दिया यह दिवस क्यो नही मनाते, भारत की छोडॊ, आप खुद ही देख  लो इस ब्लांग जगत मे ही कितने पंगे ओर कितनी पंगिया हे, जब तक यह सब हे तब तक कोई भी इस ब्लांग जगत मे बोर नही हो सकता,कोन किस की टांग खीचता हे, कॊन किस की तारीफ़ करता हे, कोन किस से प्यार करता हे, कोन किस से रिश्ता कायम करता हे यह सब खबरे आप को इन पंगे ओर पंगियो से मिल सकती हे, पहले गली मोहल्लो मे एक दो चुगल खोर होते थे, जो छोटी सी बात को लाग लपेट के ओर आग मे घी का काम कर के उसे दुसरो को चुगली के तोर पर किया करते थे, ओर आज  हम ने तरक्की कर ली इस लिये, अब हम चुगली भी नेट से ओर इंट्र्नेट से ओर ईंट्रनेशनल स्तर पर करेगे, कोई कितनी भी लानते मार ले,

भाई कही चार अदामी प्यार से बेठे तो इन्हे चुभते हे, कोई किसी को न्योता दे खाने का ओर वो भी बिना मतलब तो इन्हे चुभता हे जी, वेसे तो इन् के बाप का कुछ नही जाता, बस इन्हे खुजली की बिमारी हे, कोई हंस पडा तो इन्हे खुजली, कॊई अपने घर पर खुश तो इन्हे खुजली, कही चार ब्लांगर मिल बेठे तो इन्हे खुजली, ब्लांग मिलन हो तो इन्हे खुजली, मियां बीबी खुश तो इन्हे खुजली, नर नारी को या नारी नर को इज्जत दे तो इन्हे खुजली..... पता नही यह खुजली की बिमारी इन्हे कब से लग गई, इस के लक्षण बढते ही जाते हे, कई लोगो ने इलाज भी किया लेकिन यह खुजली ठीक ही नही होती, वेसे कभी कभार इन की खुजली शांत हो जाती हे.

इस लिये इन की इस खुजली से बचने के लिये आज से हम खुजली दिवस तो नही, हा पंगा/ पंगी दिवस मनाना शुरु करते हे, तो सज्जनो ओर सज्जनी... अरे अरे यह फ़िर पंगा, तो माता बहनो ओर प्यारे भाईयो ओर बच्चो आज से हम हर साल इस दिन १५/१२ को पंगा दिवस को जरुर मनायेगे, ता कि विश्व के सारे पंगा लेने वाले पंगा ओर पंगी हम सब से हमेशा खुश रहे ओर हमे माफ़ करे .

छोटी सी बात लेकिन असर बहुत ज्यादा

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अभी कुछ दिन पहले मै भारत मे था, किसी रिश्ते दार के संग कार मे दिल्ली की किसी सडक पर जा रहे थे, सडक काफ़ी व्यस्थ थी, कुछ आगे जा कर् रेड लाईट थी, सब लोगो ने आगे निकलने के लिये कारे, स्कुटर, बसे यानि जिस के पास जो था, सटा कर खडे थे, तभी कही से एमबुलेंस के सायरन की आवाज आई. मैने अपने रिश्ते दार से कहा कि जल्द से जल्द जगह दो इसे आगे निकलना हे, लेकिन जगह केसे बने? तो मेरे रिश्तेदार ने कहा कि यहां यह सब आम हे, यह बजती रहे कोई भी इसे जगह नही देगा..... मैने उन से कहा अगर उस जिन्दगी की जगह आप का कोई अपना होता तो क्या आप फ़िर भी इसी तरह से अडे रहते? अब रिश्ते दार की शकल देखने की थी, तो मैने कहा, अब हम सब को इन बातो से सुधरना चाहिये, ओर मैने उन से कहा कि आप अपनी कार पर एक नारा लिख कर लगाये*** कृप्या ऎम्बूलेंस ओर फ़ायर बिर्गेड को जगह दे, शायद आगे आप का कोई अपना भी हो सकता हे, जिसे मदद की सख्त जरुरत हे, आप के हाथ मे हे उन की जिन्दगी,***
ओर उन्होने घर जा कर सब को बताया ओर कसम खाई की आगे से वो चाहे कितना लेट हो जाये , लेकिन जगह जरुर देगे, तो आप भी तेयार हे, मेरे साथ, तो इस नारे को प्रिंट कर के अपनी कार, ट्रक, बस या जहां जगह मिले जरुर लगाये.
धन्यवाद

हमे अपनी रीति रिवाजो की कद्र नही, संस्कार क्या हे, इन्हे आज हम वकबास कहते हे....

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मोक्ष के लिए बर्लिन से हरिद्वार
हर की पौडी में गंगा के तट पर चार साल का एक नन्हा बालक अपने पिता की अस्थियां विसर्जित कर रहा है. पिता की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के साथ.पुरी खबर पढने के लिये यहां किल्क करे

एक भुला बिसरा गीत..... जिन्दगी के नाम

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आज यह गीत अचानक कही सुना, तो बचपन के वो दिन याद आ गये जब मैने यह फ़िल्म आर के पुरम मे एक टीन की टाकीज मे देखी थी, जहां नीचे पांव रखने की जगह पानी भर गया था, ओर पुरी फ़िल्म पांव ऊपर सीट अरे नही कुर्सी पर ऊपर रख के देखी थी, ओर फ़िल्म इतनी पसंद आई थी कि आज तक एक एक सीन दिल पर अकिंत हे, ओर एक एक गीत कानो को नही भुला....
तो सुनिये ओर देखिये यह सुंदर गीत

हेरान ना होये.....Game

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अजी डरे नही, एक बार पंगा ले कर तो देखे



अजी डरे नही, एक बार पंगा ले कर तो देखे

चित्र भी बोलते है ....

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आप ही बताये क्या चित्र नही बोलते?

नेनॊं महंगी या रिक्क्षा ? आप खुद देख ले...

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आज मै Ebay.de  पर युही घुमता घुमता एक जगह पहुचां तो देखा भी भारतिया रिक्क्षा भी बिकता है जर्मनी मै, तो मुझे एक रिक्क्षा बहुत पसंद आया, मैने उसे लेने की सोची...... लेकिन भारतिया खुन  फ़िर से अड गया, मेरी बीबी ओर बच्चो ने मुझे मना कर दिया कि रिक्क्षा अगर लाये तो ..... आप को घर से बाहर कर देगे.......वेसे हम ने इंटर्लाकेन( स्विट्रजर्लेंड मै पुरा एक घंटा रिक्क्षा चलाई...चित्र आप ने देख ही लिया ऊपर, मेरे साथ पुना के आई आई टी इनंजिन्यर भी बेठे है, सभी के पेरो मै पेडल थे, ओर बारी बारी से हम सब ने इसे चलाया, किराया ना पुछे, एक घंटे के ७०€ यानि ४२०० रुपये, लेकिन जो मजा आया उस के सामने यह कुछ नही लगे.

तो अब आईये आप को दिखाये की हमारी नेनॊ से मंहगी मिलती है यहां रिक्क्षा जिसे  सिर्फ़ शोक के लिये ही चलाया जाता है, कुछ खास जगह पर ही, चलाओ भी खुद, यहां Ebay.de मे मैने आज एक रिक्क्षा देखी ७,५५५,०० € की, यानि भारतिया मुद्रा मै उस की किमत होगी ४,५३३००,०० रुपये पुरे चार लाख ५३ हजार तीन सॊ..अगर आप देखना चाहे तो यहां देखे या फ़िर Ebay मै जा कर यह ना० दे....Artikelnummer:140370668859, ओर देखे नेनॊ से मंहगी रिक्क्षा...

वो सुबह कभी तो आयेगी.........

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आज बस... यही...... इस शुभ दिन के अवसर पर........

आओ मिल कर जगाये इस सरकार को हम इतने भी बेबस नही,सरकार हम से है हम सरकार से नही, अगर इसे चुना है तो अपनी सुरक्षा के लिये अपने लाभ के लिये, तो आप जाग्रुक हो ओर बाकी जनता को जागरुक करे, हम आजाद है.... ओर आजाद रहेगे, आप मिल कर कदम बढाये ओर इन घटोलेवाजो को देश के दुशमनो को इन की ओकात दिखाये...... जय हिन्द
आप सब को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

मै ओर मेरी प्यारी प्यारी मेडम ही ही ही ही ही ही

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आज हम कुछ नही बोलेगा..... हम बोलेगा तो मेडम गुस्सा करेगा ना?

अरे बाबा ऎसा क्युं होता है अकसर??

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पता नही यह मेरे साथ ही होता है या सभी के संग होता है, वेसे तो जिन्दगी रोजाना की तरह ही चलती है हर दिन , लेकिन जब कोई खास समय हो तो कुछ नही बहुत सी गडबड हो जाती है....
आज मेदे बेटे ने स्कुल के संग वियाना जाना है, ओर सुबह सुबह उसे छोड भी आया, लेकिन कल जब उस की तेयारी हो रही थी, बहुत कुछ गडबड हो गया, लेकिन फ़िर प्रेशान कर के सब ठीक हो गया,
सब से पहले तो उस ने तीन अटेची ओर बेग बदले कि यह यह वाला ले जाना है  ओर यह वाला फ़िर अंतिम फ़ेसला कि हरी वाली अटेची ले जानी है, उस मै जनाब ने अपना समान भी रख लिया, बस एक आद समान ही बचा था, तो मेने पुछा बेटा इस अटेची का कोड भी डाल दिया लांक करने के लिये? तो बेटा बोला पापा आप डाल दे, मेने उस के बताये ना० का कोड डाल दिया, फ़िर अटेची को बंद कर दिया..... चेकिंग की तो जनाब हमारा डाला कोड काम नही कर रहा था???? अब दो चार ना० आगे पीछे किये लेकिन अटेची खुले ही नही, फ़िर हाथोडी मेचकस बगेरा आ गये की चलो अब नयी अटेची खत्म, लेकिन यह अटेची टुटे भी नही लांक भी ना टुटे..... फ़िर हम ने ठंडा पानी पिया ओर ००० से ९९९ तक ट्राई करनी चाही, समय कितना ही लगे... लेकिन फ़िर नाऒ बहुत जल्द मिल गया ओर अटेची भी खुल गई.

घर पर तो नानस्टाप इंटर्नेट है, लेकिन बच्चो को बाहर भी नेट चाहिये, अब मोबाईल पर विदेश के लिये एक मोबाईल कार्ड लिया जिसे हम यहां भी काफ़ी चला रहे थे, सब ठीक ठाक था, पेकिंग से पहले उस कार्ड को चेक करने लगा तो वो भी ब्लांक हो गया.... फ़िर बेटे ने उसे भी किसी तरह से नेट पर जा कर चलाया, सुबह तक छोटी छोटी चीजे समेटा रहा... ओर फ़िर ६,३० पर उसे स्टेशन पर उस के ग्रुप के साथ छोड कर आया, अब वो २८ जुलाई को वापिस आयेगा, मेरे घर के पास ही है वियाना लेकिन हम आज तक नही गये घुमने.
क्या आप सब के संग भी ऎसा ही होता है यात्रा से पहले नये से नये पंगे....

अगर आप ट्रेन से कही यात्रा करे, ओर बाहर देखने पर हजारो लोग आप की तरफ़ अपने पिछले हिस्से को नगन दिखाये तो केसा लगेगा???

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अरे शर्माये नही.... यहां देखे ओर पढे तो सही....
 अमरीका के दक्षिणी कैलिफोर्निया शहर में एक ऐसी जगह है जहां हर साल लोग एक परंपरा का निर्वाह बड़े मजे के साथ कर रहे हैं. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग पास गुजरने वाली ट्रेनों के सामने अपनी पैंट उतारते हैं और अपना नितंब दिखाते हैं..... पुरी खबर के लिये आप को यहां जाना होगा:) लेकिन इन्हे क्या मिलेगा?? पोर कही भारत मै भी इसे एक दिन के रुप मै ना मनाने लग जाये लोग

एक सलाह या एक जान कारी चाहिये आप से.....

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मेरा मकान भारत के रोहतक शहर मै है, जहां मेरा भाई अपने परिवार समेत रह रहा है, अब मुझे पानी के लिये अलग से लाईन लगानी है,किसी से पता करने पर पता चला कि पानी के क्नेक्शन के लिये मकान की रजिस्ट्री , या जमीन की रजिस्ट्री की जरुरत पडती है? क्या यह सच है? य सिर्फ़ हम उचित फ़ीस भर कर ही पानी का क्नेक्शन ले सकते है? जरुर अपनी राय दे.
दुसरा अगर हम १००० लीटर की टंकी लगवाये, ओर करीब २५० मीटर पाईप लगाये, साथ मै एक मोटर( पानी खींचने के लिये पम्प भी)तो मोटर कोन सी क्म्पनी की अच्छी होगी ओर कितने की पडेगी, ओर इन सब पर कितना खर्च होगा अंदाजे से अगर आप बता सके तो आप सब की मेहरबानी होगी, इस से मुझे बहुत मदद मिलेगी ओर कोई नजायज पेसे नही लूट पायेगा मेरे से. ओर क्या हजार लिटर की टंकी से बडी टंकी भी मिलती है? ओर एक परिवार के लिये कितनी बडी टंकी सही होगी?

तो जनाब जबाब जरुर दे. धन्यवाद

बेचारा गरीब मजदुर????

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हमारे भारत देश मै तो सच मै एक मजदुर  बेचारा ओर गरीब ही है, जो सारा दिन कडक्ती धुप मैकाम करता है, लेकिन उसे शाम को भर पेट रोटी भी नसीब नही होती, सारा दिन काम करने  के बाद उसे ८०,९० रुपये मिलते होंगे,अगर वो बीमार हो जाये ,या उस का बच्चा, बीबी, मां बाप कोई भी बीमार हो जाये तो उस बेचारे का क्या होगा? भगवान जाने? ओर हमारे मजदुर के पास कपडे भी कहा ठंग के होते है....... जो दुसरो को छत बना कर देत है वो खुद बिना छत के सोता है,

मेरे पडोसी के घर मै गेराज बन रहा है, वो खुद भी एक मजदुर ही है, आज सुबह से ही बहुत आवाजे आ रही थी, मेने देखा तो दो तीन लोग काम कर रहे थे, तो मेरे ब्लागिंग वाले दिमाग मै झट से एक पोस्ट की रुप रेखा तेयार हो गई....

                                                     आप इस चित्र को बडा कर के देख सकते है
यह ऊपर वाले चित्र मै भी ध्यान से देखे तीन मजदुर दीवार बना रहे है, ओर यह चोथा आदमी जो बुल्डोजर पर चढ रहा है यह ओर इस का पिता भी एक मजदुर है, ओर यह बडा सा घर भी इन का ही है, यानि यहां के मजदुर को पीसा नही जाता, यहां यह मजदुर घंटो के हिसाब से काम करते है, ओर एक घंटे के यह १८ € से २५ € के बीच लेते है, फ़िर इन्का मेडिकल कलेम, टेक्स,बेरोजगारी भत्ता, ओर पेंशन के पेसे कट कर बाकी तन्खा इन्हे हर महीने बेंक मै मिल जाती है, सभी मजदुर अपनी अपनी कारो मै आते है, ओर काम के बाद यह भी हम आप जेसे आम कपडे पहनते है, इन्हे कोई गरीब या बेचारा कह कर तो देखे, इन की आमदनी भी एक ओफ़िसर जितनी ही होती है.
यह सब भारत मै भी हो सकता है, ओर जिस दिन यह सब भारत मै होगा  उस दिन हम अपने आप को विकास शील कह सकते है,आओ हम इन बातो मै इन युरोपियन की नकल करे, हर हाथ को काम तो हो लेकिन उसे दाम भी सही मिले, सिर्फ़ काम हो ओर मिल मालिक, या कम्पनी का मालिक अमीर ओर अमीर होता जाये ओर मजदुर रोटी के ही चक्कर लगाते रहे... क्या यह उचित है, मेहनत कोई करे, फ़ल कोई ओर ले??

इसे कहते है अंग अंग का डोलना

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 जिन्हे आशील लगे वो इसे ना देखे, वेसे यह नाच मै अपने बच्चो के संग देख सकता हुं.
भाई कल घुमते घुमते  यु ही इस विडियो पर नजर पडी ओर नाच देख कर मोहित हो गया, मैने तो ऎसा नाच अपनी जिन्दगी मै पहली बार देखा है.... आप देखे फ़िर बताये, क्या आप ने  ऎसा नाच पहले कभी देखा है.....

आईये हम अपने ब्लाग मित्र के बारे कुछ सुध ले...

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दो चार दिनो से मन मे विचार ऊठ रहे थे कि हमारे ब्लांगर मित्र श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के बारे मै जानने के लिये मेरे पास ना तो उन का कोई फ़ोन ना० ही है, ओर ना ही ई मेल ,
भगवान से यही प्राथना करता हुं वो जल्द ठीक हो कर फ़िर से हमारे बीच आये, अगर किसी के पास उन का मोबाईल ना०, फ़ोन ना० हो या ई मेल  तो मुझे ई मेल से जरुर डाले.
अन्त मे मै उन की सेहत के बारे भगवान से यही प्राथना करता हु जल्द से जल्द स्वस्थ्य हो ओर फ़िर से वापिस आ कर हमे राम राम करे, नमस्ते कहे, आप इस समय जहां भी है मेरी ओर पुरे ब्लांग जगत की नमस्ते स्वीकार करे.

कया हमारे देश के महान नेता भी ऎसा कर सकते है???

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भत्ता विवाद में फँसे ब्रितानी मंत्री

ब्रिटेन की नई गठबंधन सरकार अपने पहली ही परीक्षा में उस समय पिछड़ गई, जब उसके सहायक वित्तमंत्री को सांसद भत्ते के दुरुपयोग के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी. पुरी खबर के लिये यहां चटका लगाये जी

जो चाहे वो पाये... यह हे ब्लांग जगत

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आप माने या ना माने, यह हिन्दी ब्लांग जगत एक जादू का पिटारा है, हम सब अंजान लोगो के लिये,  ओर  इस से बहुत सा समय पैसा ओर वक्त हम सब का बचता है, ओर काम भी फ़टा फ़ट हो रहा है,
कल मैने एक पोस्ट डाली थी.एक तकनीक मदद चाहिये...ओर उस से पहले परेशान था कि मैने बेटे का कीमती मोबाईल भी ले लिया, लेकिन मेरे काम नही आया, ओर फ़िर अपने परेशानी मैने इस पोस्ट मै डाली, ओर अब मेरे मोबाईल पर हिन्दी की सभी साईडे चल रही है, अगर मै इसे यहां कम्पनी को भेजता तो जरुर बिल बहुत ज्यादा आता, ओर काम नही होता, बहुत से लोगो से पुछा सब ने मना कर दिया.

ओर आज सुबह देखा तो हमारे प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI    जी की यह टिपण्णी आई हुयी थी,
राज जी !
यह टोटके आजमाए !

सबसे पहले यह जान ले कि मोबाइल के डिफाल्ट ब्राउजर में हिन्दी आप चाहकर भी ना पढ़ पायेंगे |

इसके लिए आप ओपेरा मिनी डाउनलोड कर ले |

फिर ओपेरा मिनी को चला कर उसके एड्रेस बार में केवल opera:config टाईप करें |

उसमे कई आप्सन आयेंगे ....फिर उसमे सबसे अंतिम काम्प्लेक्स स्क्रिप्ट बिटमैप फॉण्ट के आप्सन को यस कर दें |

उसके बाद आप हिन्दी पढ़ पायेंगे | जिसे पढकर मन को थोडी तसल्ली हुयी, लेकिन मेरे बेटे अभी सोये हुये थे, जब ऊठे तो उन्होने पांच मिंट मै सब कर दिया,
अब हिन्दी मै  भी सब पढ सकता हुं वीनस केसरी जी,  प्रवीण त्रिवेदी जी आप का दिल से बहुत बहुत धन्यवाद

इन के अलावा बहुत  से साथियो की टिपण्णियां आई, सब ने हाथ खडे कर दिये आव्धिया जी ने जो रास्ता बताया उस पर मे दो दिन पहले ही घुम आया था,

डी के शर्मा जी ने हनुमान का पाठ करने को कहा, करने को मै कर लेता लेकिन उन की गदा से डर लगता है, कही उन्हेपता चल जाये कि यह भगत तो मतलबी है पहले कभी याद नही किया, ओर आज मुझे पुकार रह है, ओर मदद की जगह गदा मार दे तो??
फ़िर से वीनस जी का ओर प्रवीण त्रिवेदी जी का धन्यवाद

एक तकनीक मदद चाहिये...

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नमस्कार, मुझे एक तकनीक मदद चाहिये, ओर ब्लांग जगत मे एक से बढ कर एक् तकनीकी जान कार मोजूद है,पिछले महीने मेरे बेटे ने एक मोबाईल फ़ोन खरीदा था "sony ericsson w995 " जिस मे प्रिपेड कार्ड मै डलवा देता था, ओर जिसे बच्चे काफ़ी दिन चला लेते थे, लेकिन पिछले दिनो दोनो बच्चो को एक बहुत ही अच्छी ओफ़र मिली जिस मै टाप का मोबाईल ओर हर महीने १०० मिंट फ़्रि, १५० SMS भी फ़्रि है, तो दोनो बेटो ने उस आफ़र से नये मोबाईल ले लिये, अब जो मोबाईल पिछले महीने खरीदा, उसे अगर बेचे तो आधे पेसे मिलते है, उसे मैने रख लिया.

उस मोबाईल मै इंटर्नेट भी चल सकता है, मैने जब कोशिश की तो मजे से इंटर्नेट मै पहुच गया, लेकिन सत्यनाश हो इन का, क्योकि मै उस मै हिन्दी तो पढ ही नही सकता, तो आप मै से कोई महान तकनीकी मुझे मार्ग दर्शन देगा कि मै केसे हिन्दी का फ़ंट अपने मोबाईल पर इंस्टाल कर लू, ओर कोन सा जिस से मै अपने इस नये मोबाईल पर अपने चिट्टॆ आप सब के चिट्टॆ भी पढ सकू.

जब मै मेल पढने के लिये गया तो हिन्दी की जगह चकोर सी डिब्बियां ही आती है, कोई इलाज हो तो बताये, आप का धन्यवादी होऊंगा

गाऊ माता????

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भारत मै अगर कोई गाय को मार दे तो धर्म के ठेके दार आसमान सर मै ऊठा लेते है, लेकिन पुरी दुनिया मै सब से ज्यादा दुर्दशा गाय की भारत मै ही होती है, वेसे भी अब लोग जब अपने मां बाप को ही घर से निकाल देते है धक्के मार कर तो यह गाऊ माता कोन है???

अब बात करते है इस चित्र की, बचपन मै हम देखते थे कि गर्मियो मै जगह जगह प्याऊ होते थे, ओर उस के साथ ही जानवरो के पीने के लिये पानी की व्यवस्था होती थी, यानि जो पानी नीचे गिरता था वो सीधा टब मे जाता ओर  वहां प्यासे जानवर भी आ कर पानी पी लेते  थे, लेकिन जेसे जेसे हम आधुनिकता की ओर बढते गये, हम मै इंसानियत मरती गई, अब हम अपनी पानी की बोतल तो साथ रखते है, लेकिन इन मासूम ओर निर्दोष जानवरो का ख्याल बिलकुल नही करते, मुझे आज भी याद है कि कई बार भरी दोपहरी मै हमारे गेट पर गाय या कोई अन्य जानबर आ कर सींग मार कर बुलाते थे, ओर मै मां के कहने पर उन्हे बाल्टी भर कर पानी पिलाता था, ओर मां कहती थी बेटा यह पुन्य का काम है.... तो अब गर्मियां शुरु हो गई है अगर आप भी रोजाना एक जानवर को भर पेट पानी पिला दे तो आप को भी पुन्य जरुर मिलेगा, जरुरी नही वो गाय ही हो बंदर कुता, गधा, भेंस या कोई भी जानवर देखे जो प्यासा हो उसे एक बार पानी पिला कर देखे आप को कितनी शांति मिलती है, इन जानवरो को भी तो हमारी तरह से ही प्यास लगती है ना..... बस यह बोल नही सकते.

बसंती इस ???? के सामने मत नाचना

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नमस्कार जी, आप सभी ने शोले फ़िल्म तो जरुर देखी होगी, जब यह फ़िल्म नयी नयी रिलीज हुयी तो, इस के डायलाग, अजी खास कर गब्बर सिंह के डायलाग तो बच्चो बच्चो की जुवान पर रहते थे, जेसे सारा देश ही गब्बर सिंह बन गया हो, हमारे पडोसी ताऊ फ़तू भी एक दिन अपने छोरे के संग फ़िल्म देखने चले गये...... ओर फ़िल्म देख कर बाप बेटे का जो दिमाग घुमा.... उस के बारे अब हम क्या बताये अप खुद ही देख ले.

यार छोड मेरे वाली को,चल पहले तेरी ढूढते है.

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एक आदमी की बीबी मेले मै खो गई..... ओर वो बेचारा उसे हर तरफ़ पागलो की तरह से ढूढ रहा था, कभी इस से पुछे तो कभी उस से, तभी उसे एक दुसरा आदमी मिला, उस की बीबी भी मेले मै खो गई थी, अब दोनो ने मिल कर बीबियां ढूढनी शुरु कि.... चलते चलते पहले से दुसरे से पूछा भाई तेरी बीबी देखने मै केसी है? ताकि उसे पहचान तो जाऊ...दुसरा आदमी बोला, मेरी बीबी ५ फ़ुट ५ इंच है देखने मै बहुत सुंदर, गोरा रंग, पतली कमर, मोटी मॊटी आंखे, काले काले बाल, गुलाबी होंठ.... वगेरा वगेरा, अब तु बता तेरी बीबी देखने मै केसी है? पहला आदमी यार छोड मेरे वाली को,चल पहले  तेरी ढूढते है........
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एक जाट का कोई मुकद्दमा फ़ंस गया कचहरी मै, अब जाट ठहर मस्त, तो उस ने सोचा मै क्यो वकील को पेसे दूं, अपना मुकद्दमा मै अपे लडूंगा..
दुसरे दिन उस की पेशी हुयी, जज था दिल्ली का उसे हरियाणवी नही आती थी,
अब जज से जो बात पूछे जाट भाई उस का जबाब ठेठ हरियाणवी मै दे...
तो जज बोला कि देखिये आप कोई वकील कर ले , मुझे आप की कोई बात समझ मै नही आती.
जात बोला जी मै क्यू वकील करूं ? बात आप की समझ मै नही आती तो आप करो ना....
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एक लडके की शादी हो गई, अब तीन महीने के बाद लडके की बीबी अपने मायके गई..... एक सप्ताह बाद लडका अपनी बीबी को लेने आ गया, तो सास बोली की बेटा  हम तो एक हफ़्ते के बाद भेजे गे, तो लडका चला गया ओर अगले  हफ़्ते फ़िर आ गया, सास फ़िर बोली बेटा हम तो बेटी को एक हफ़्ते बाद भेजे गे.... लडका फ़िर चला गया, एक हफ़्ते बाद फ़िर आया...तो सास बोली बेटा हम तो १५ दिन बाद भेजेगे अपनी लाडली बेटी को...
लडका बोला ठीक है मै भी बार बार आ कर जाता हुं तंग हो गया हुं, मै भी अब १५ दिन यही रहूंगा......... अब सास ने सोचा अगर जमाई घर रहा तो खर्चा बहुत होगा.... तो सास बोली बेटा ऎसा नही हो सकता, लडका बोला क्यो? तो सास बोली लोग क्या कहेगे? लडका बोला तुम्हारी बेटी हमारे घर ३ महीने रुकी तो लोगो ने कुछ कहा? सास बोली बेटा हमारी बेटी तो व्याही गई है, तो लडका बोला मै कोन सा ठोका गया हुं
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आज मैने आप के कहने से यह पोस्ट बदल दी!!!!

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नमस्कार भाई हम ने एक पोस्ट आज हटा ली लगा हमारे पाठक उस से खुश नही, लेकिन सभी टिपण्णियां ज्यो की त्यो है...इस के लिये आप सब से माफ़ी चाहुंगा...

भाई यह मजाक की बात नही, सभी लोग इस बात से सबक ले......कल किसी का भी नम्बर लग सकता है.....
ताई सवेरे सवेरे ताऊ को खुब जोर जोर से पीट रही थी...... तभी दो चार पडोसी आ गये.... ओर पुछा अरे ताई तु क्यो इस गरीब ताऊ को मार रही है इस बेदर्दी से?? ताई बोली इस लफ़ंगे से पुछलो...रात की डुयटी करने के बहाने पता नही कोन से गुल खिलाता है.... मैने आज सुबह सुबह इसे मोबाईल पर फ़ोन किया तो दुसरी तरफ़ से एक छोरी की आवाज आई """ आप जिस से बात करना चाहते है, वो अभी व्यस्त है, कृप्या थोडी देर बाद फ़ोन करे... अब मै इस से पुछू बता तु कोन से काम मै व्यस्त था, ओर वो बोलन वाली कोन थी???? लेकिन यह बताता नही!!!! यू कोन से काम मै व्यस्त था उस छोरी के संग.

डर लगा रहता है.....

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बीबी सुनो जी... जब भी आप काम के सिलसिले मै बाहर जाते हो तो मुझे डर लगा रहता है!!!!
मियां.... अजी घबराओ मत, आईंदा मै जल्द घर आ जाया करुंगा !!!
बीबी.... जी इसी बात का तो डर रहता है!!!!!!!!!!!!!
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बीबी.... तुम मोटे हो गये हो जी.
मियां... तुम भी तो मोटी हो गई हो,
बीबी... अरे मै तो मां बनाने वाली हुं.
मियां... अरे मै भी तो बाप बनाने वाला हुं ना.
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जज एक ऒरत से.... शाबास आप ने डाकू कॊ बहुत मारा इस लिये पकडा गया!!
ऒरत जज से.... मुझे क्या पता था यह डाकू है, मुझे तो लगा कि मेरा पति आज फ़िर पी कर आया है.
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बीबी.... आप जब whisky पीते है तो मुझे डार्लिंग कहते है, ओर जब देशी पीते है तो मुझे पारो कहते हो..... आज मुयी कोन सी पी है जो आज मुझे चुडेल कह रहे हो???
पति.... आज मैने नशा नही किया, होश मै हुं!!!!
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पति पत्नी कही जा रहे थे, रास्ते मै एक गधा मिला, बीबी ने कहा अजी आप के रिश्ते दार खडे है... पांव नही छुओगे?
पति... पेर की तरफ़ झुक कर पाये लागू ससुर जी..........
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टेलीफ़ोन की घंटी बजती है... पति... बीबी ... सुनो मेरे लिये हो तो कहाना मै घर पर नही हुं.
बीबी फ़ोन उठाती है, ऊधर से आवाज सुन कर ...... वो घर पर है आज...
पति को गुस्सा आता है, मैने कहा था कहना मै घर पर नही हुं.
अजी वो मेरे लिये फ़ोन था........
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मासूम बीबी.....

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एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी। 

आखिर एक दिन बुढ़िया बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढ़िया बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना। 
बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था । उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ। 
खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये? 


''रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं ।'' पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।

एक काली काली कविता

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एक था काला
हद से काला
कालो का राजा
नम्बर वन काला
स्याह काला
चार अफ़्रीकनो
से भी काला
कोआ भी
देख
शरमा जाये
कोयल
दीदी भी
नजरे
चुराये
बगाली काला
जादू भी
काम
ना आये
लुक(तार कोल)
कोयले
भी जिस के गुण गाण
करे
जो भी
इस काले महा राज
 के दर्शन
कर ले
उसे रात मै भी
दिखे
एक दिन
यह
कालो का

सरताज
गया एक
दुकान पर
बोला??
भाई मुझेदेदो
एक पकेट
पुरे का पुरा
फ़ेयर एण्ड लवली का
दुकान दार
इस काले
को देख
भुला सारे काम
ओर मना कर दिया
नही है जी
यार ऎसी ही कोई ओर
क्रीम दे दो
दुकान दार
ने मुडी
हिलाई
यार
 किसी
 भी कम्पनी
की चलेगी
लेकिन
दुकान दार ने साफ़
मना कर
दिया
फ़िर यह
कालू
 बोला
भाई
चैरी ब्ळोसम तो होगी??
तो वो ही देदो
कम से कम
चमक तो बनी
रहेगी

हुक्का

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नमस्कार, आप सभी को,हुक्का बिलकुल आम है, शहरो मै तो यह बहुत कम दिखता होगा, शायद उन्ही जगह पर जहां लोग गांव से आये हो ओर साथ मै कुछ यादे ले आये,हुक्का कहने मात्र को ही एक हुक्का है लेकिन इस के साथ एक बहुत बडी समाज कि वय्वस्था जुडी है.

यहां जर्मनी मै , मेरे कई जान पहचान के जर्मन लोग भारत के बारे बहुत सी बाते जानना चाहते है, ओर जिन्हे सही लेकिन सच ओर साफ़ शव्दो मै बताना कई बार कठिन होता है, ओर कई बातो को समझाना बहुत मुश्किल होता है, एक तरफ़ हमारा देश जिस की बुराई हम से बर्दास्त नही होती, हम भारत वासी आपस मै लाख बात करे बुरा नही लगता, लेकिन जब कोई विदेशी भारत के बारे गलत बोलता है तो हम तिलमिला जाते है, हम क्या हमारे बच्चे भी भारत के बारे गलत नही सुन पाते, ओर हम अपनी बुराई को भी अच्छाई का जामा पहना कर इस तरह बताते है कि सामने वाला चुप हो जाता है.

कुछ समय पहले दोस्तो ने पुछा कि आप के यहां सिगरेट पीते है? शराब पीते है? वगेरा वगेरा....तो मेने कहा जो बुराईया इस समाज मै है वो बुराईया हर समाज मै होती है, ना आप दुध के धुले है ओर ना हम ही, अच्छे बुरे लोग हर समाज मै होते है... तो बातो के बीच मुझे हुक्का याद आ गया, वेसे तो मेरे घर मै आप को हाथ से हवा करने वाला पंखे (पखीं) से लेकर कुंडी सोटा( चटनी ओर मसाले पीसने वाला ) मिलेगा, ओर बहुत सी चीजे जो आज भारत से गायब होचुकी है एक ढोलक, मंजिरे, यानि आधा घर भारत से ही भरा है एक भारत का झंडा जिसे बच्चो ने अपने कमरे मै लगा रखा है.
तो बात चली हुक्के से, मेने इन लोगो को बताया कि हमारे यहां तम्बाखू को पीने के लिये यह सिगरेट तो बहुत बाद मै आई, ओर यह सिगरेट बहुत सी बिमारियो का घर भी है, हमारे देश मै पहले पतो से बनी बिडी आई, ओर उस से पहले हुक्का, जिस का कोई इतिहास नही, लेकिन यह हुक्का सिर्फ़ तम्बाखु पीने के काम ही नही आता, वल्कि समाज को एक कानुन मै बांधने के काम भी आता है? अब इन जर्मनो को यह बात बहुत अलग सी लगी कि एक चीज जो नशे के रुप मै है वो समाज को केसे सुरक्षा दिला देगी.

तो मेने इन्हे बताया कि हुक्का अकसर गांव मै पिया जाता है, एक हुक्के को एक नही दस दस लोग बेठ कर पीते है, ओर जो धुआं आता है वो पानी से फ़िलटर हो कर आता है, ओर जब यह हुक्का गांव की पंचायत या चोपाल पर या किसी के घर पिया जाता है तो वहां सारे गांव की बाते होती है, झगडे भी निपटाये जाते है, ओर जो भी व्यक्ति गांव की मर्यादा के अनुसार नही चलता उसे समझाया जाता है, अगर वो ना समझे तो उस का हुक्का पानी बन्द कर दिया जाता है, यानि वो गांव मै तो रहता है लेकिन उस से सब बोल चाल बंद कर देते है, जिसे आम भाषा मै कहते हे हुक्का पानी बंद.ओर तब तक उस आदमी को कोई नही बुलाता जब तक वो अपनी गलती ना मान ले.अगर वो हुक्का पीने आ जाये तो कोई उसे हुक्का नही देता .
यानि उस का समाजिक तॊर पर बहिष्कार, ओर ऎसा गांव की मरयादा को बचाने के लिये किया जाता है, फ़िर इन्हे बताया कि हमारे यहां बहुत से ऎसे कानून लोगो ने बना रखे है जो किताबो मै नही, लेकिन हमारे दिल ओर दिमाग पर लिखे है, भारत मै ऎसे कई गांव मिल जाये गे जहां आज तक पुलिस नही आई

इस लेख को जो भी आप नाम देना चाहे दे.....

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यह लेख कोई कहानी नही, एक सच्ची बात है जो मेरे संग बीती, लेकिन मेरे पास इसे कोई नाम नही जो दे सकूं...

यह कहानी आज से नही करीब २५,२६ साल पहले शुरु होती है, उस समय मेरी शादी नही हुयी थी, ओर मेरे पास एक कमरा था साथ मै एक किचन ओर बाथरुम  था, मेरे लिये कमरा बहुत उचित था, मै उन दिनो अकेला रहता था, शाम को कभी दोस्त मित्र आ जाते, ओर शुक्र वार ओर शनिवार को ज्यादा तर बाहर ही रहता, मस्ती भरे दिन फ़िक्र ना फ़ाका,कमरे का किराया बहुत कम था, आमदन बहुत थी, खुल कर खर्च करना, ओर खुल कर पेसा घर भेजना, लेकिन मेरी एक आद्त बहुत खराब है मै हर किसी की मदद जरुर करता हुं.

ओर इसी आदत के कारण कई लोगो ने मुझ से पेसे उधार लिये ओर आज तक दिये नही, फ़िर मुझे थोडी अकल आ गई, लेकिन तब तक अन्य कई दोस्तो ने फ़िर भी मुझे टोपी पहना ही दी,फ़िर मेने कसम उठाई की अब कभी किसी को पैसा उधर नही दुंगा. उन्ही दिनो मुझे एक भारतीया सडक पर मिला जो -२० C मै भी एक स्वेटर पहने था, उस का खास दोस्त मिलने आया उसे संग ले कर, ओर उसे मेरे घर उसे छोड गया, ओर बोला मै अभी आया... लेकिन फ़िर कभी भी नही आया, बात चीत से पता चला कि वो दो चार दिन पहले ही भारत से आया है, उस की रोनी शकल देख कर  मैने उसे कहा अगर तुम्हारे पास यहां का वीजा है, तो तुम जितने दिन चाहो मेरे घर पर रह सकते हो, ओर जो चाहो खाओ, वो भाई दो महीने मेरे पास रहे, मैने उन्हे गर्म कपडे भी ले कर दिये, ओर खाने पीने की कोई कमी नही आने दी, ओर छोटे भाई से भी ज्यादा प्यार दिया.

फ़िर उसे भारत की याद  सताने लगी, ओर एक दिन भीगे मन से उसे अलबिदा कह दिया, लेकिन जाते जाते उस ने अपना भारत का पता दिया, ओर भारत पहुचते ही उस का फ़ोन आया उस के परिवार ने बहुत धन्यवाद किया कि अगर आप ने इसे ना समभाला होता तो सर्दी मै इस का क्या होता, लेकिन मेरे लिये यह साधारण था, ओर मै इसे भुल सा गया, जब भारत गया तो उस ने जबर्द्स्ती अपने घर बुलाया , जब उसक े घर गया तो सब ने बहुत सेवा की , ओर मेरा धन्यवाद किया.

उस के बाद कभी कभार उस से बात चीत हो जाती, एक दो बार मेरी गेरहाजरी मै वो लडका मेरे मां बाप के पास गया  , उन का हाल चाल पूछा, मेरे साथ कभी कभार फ़ोन पर बात हो जाती, फ़िर पांच छै साल हम फ़ोन पर भी नही मिले, जब मेरे पिता जी गुजरे तो उस से मुलाकात हुयी, फ़िर फ़ोन पर एक आध बार बात हुयी, मां गुजरी तो दोबारा उस से मुलाकात हुयी, एक रात उस के घर रुकना हुआ, सुबह जब मुझे एयर पोर्ट छोडने आया तो बोला कि क्या आप के पास कुछ पेसे है? तो मैने पहले तो उसे मना करना चाहा..... लेकिन इतनी लम्बी जानपहचान ओर उस के प्यार को याद कर के मना ना कर पाया, ओर उसे एक हजार € ( करीब ७० हजार रुपये) दे दिये, उस का कहना था कि अगली बार जब भी आप ऎयर पोर्ट पर उतरेगे आप को यह पेसे मै यही दे दुंगा:

अब मुझे तो उस पर कोई शक नही था, फ़िर छै महीने बाद भारत आने लगा तो मैने बीबी से कहा कि मुझे इस बार पेसे साथ ले जाने की जरुरत नही वो पेसे तो ले ही आयेगा!!! लेकिन बीबी ने फ़िर भी जबर्दस्ती कुछ पेसे मुझे दे दिये, ओर कुछ हजार रुपये भी मेरे पास बचे थे, ओर मेरा क्रेडिट कार्ड भी दे दिया की कि  कभी  भी जरुरत पड सकती है, जब भारत एयर पोर्ट पर उतरा तो उस दोस्त ने एक पेसा भी नही दिया, मैने शर्माते शरमाते उस से कहा कि मुझे कुछ रुपये चाहिये, ओर उस ने १० हजार रुपये मुझे दिये........ फ़िर मेरा क्रेडिट कार्ड ओर बीबी के दिये पेसे काम आये, अब जब भी उस से पेसे मांगता हुं तो कोई ना कोई बहाना बनाता है.

मेने तो उस की मदद हर बार कि बिना मतलब के , अब क्या उसे इस बार मदद दे कर मैने बेवकुफ़ी की है, अगर हां तो शायद यह मदद मेरी तरफ़ से  हर इंसान के लिये अंतिम होगी, क्योकि इतने सालो का विशवास क्या पैसो के लिये ही था? क्या सच मै इंसानियत इस दुनिया मै खत्म हो गई, अब वो मुझे पैसा दे या ना दे लेकिन उस के कारण जो मैरा विशवास खोया है , उस का मुझे बहुत दुख है, आज उस ने कल मुझे १५ हजार देने का वादा किया है, जो वो यह वादा करीब दो महीनो से करता आ रहा है.........

अब आप ही इस कहानी को जो चाहे नाम दे, क्या अब मै किसी असहाय की मदद करुंगा??? कभी नही, किसी जरुरत मंद को पैसा दुंगा ??कभी नही

छोटी छोटी बाते... अर्थ बहुत गहरे

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पिछले शुक्र बार को बच्चे बोले की उन के दोस्त ने एक पार्टी रखी है, वहा जरुर जाना है, ओर दोनो भाई तेयार हो गये, मेने उन्हे कहा कि तुम दोनो को छोड आता हुं, ओर जब भी पार्टी खत्म हो मुझे फ़ोन कर देना मे तुम्हे लेने आ जाऊंगा,बच्चे बोले पापा हम अब कार चला सकते है, हम चले जायेगे, तो मेने कहा अभी तुम्हे बर्फ़ के मोसम मै चलाने मै मुश्किल होगी, तो बच्चे थोडा उदास हो गये, तो मेने कहा जाओ लेकिन बहुत ध्यान से.... ओर जिस का डर था वो ही हुया, कार फ़िसली ओर अगले हिस्से मै राईट साईड मै कार ठुक गई,दुसरे दिन सुबह जब मे हेरी के संग निकला तो देखा, कार को देखने मै लगा कि ज्यादा नुकसान नही हुआ है,बच्चे भी कुछ देर बाद उठ गये तो बच्चो ने सारी बात बताई, ओर बताया कि कार तो चलती है बस थोडा ही फ़र्क पडा है.

दुसरे दिन मेने घर से करीब ६० किलो मीटर दुर जाना था, जब कार चलाई तो हेरान हुआ कि बच्चे केसे इस को घर तक ले आये, क्यो कि स्टेरिंग तो बहुत मुश्किल से घुम रहा है, ओर नयी कार होने के कारण मेने इस का डबल बीमा करवा रखा है, इस लिये इस तरफ़ तो कोई फ़िक्र नही.

आज सुबह मेने अपने बीमे वाले को फ़ोन किया, ओर सारी बात बताई, तो उन्होने ने मुझ से पुछा कि क्या कार चल सकती है, तो मेने कहां हां लेकिन आप के रिश्क पर, तो अब उन्होने एक वर्क शाप से मेरी कार को लेजाने के लिये एक गाडी भेजी, ओर जब तक मेरी कार ठीक नही होती या मुझे नयी कार नही मिलती, तब तक के लिये एक नयी कार उपलब्ध करवाई, जब मेने पुछा कि इन सब का खर्च कोन देगा तो उन्होने बताया कि जर्मन मै नयी कार खरीदने पर आप को यह सब सहुलियत उम्र (११,१२ साल) मिलती है कार कम्पनी की ओर से.सभी कम्पनियो से नही बस कुछ बडी कम्पनियो की ओर से.

अभी थोडी देर मै वो मेरी कार को ऊठा कर ले जायेगे, ओर उस के स्थान पर मुझे दुसरी कार दे जायेगे, ओर जब मेरी कार ठीक हो जायेगी तो मेरी कार को छोड जायेगे, ओर अपनी कार ले जायेगे, लेकिन अपने देश मै सुना है गारंटी सिर्फ़ पेपरो पर ही मिलती है, क्यो नही हम इन लोगो से लेना चाहे तो ऎसी अच्छी बाते ग्रहण करे, अपने देश ओर अपने देश बासियो के प्रति ईमान दारी से रहे.

मेरे दोस्त ने नयी कार ली दिल्ली मै उस की सर्विस करवाने से डर रहा है, कही पुर्जे ना निकाल ले..... तो क्या ऎसी बातो से हम सच मै अमीर बन सकते है?? तो क्यो नही हम अगर नकल ही करना चाहते है इन युरोप वालो की तो अच्छी बातो की नकल करे....ऎसी बहुत सी बाते है जो रोजाना हम देखते है, लेकिन कहते डरते है कि कोई इस बात को गलत ना समझे, वर्ना तो बहुत सी बाते है जो है तो छोटी छोटी लेकिन उन के अर्थ बहुत गहरे है,

एक पहेली बूझॊ तो जाने, जबाब

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आप सभी को बहुत बहुत बधाई, आप सब ही प्रथम विजेता है, आप सब ने सही जबाब दिया, असल मै मुझे भी नही पता था यह सब, लेकिन मां ओर बेटे आपिस मै फ़ुस फ़ुस बाते कर रहे थे, ओर मुस्कुरा रहे थे... मुझे कुछ गडबड लगी कि कही महिला आरक्षण का खतरा तो मेरे घर मै नही आ गया, फ़िर बीबी की दोनो कलाईयां देखी, अरे यह तो नये वाली चुडियां है जो मै अभी बनवा कर लाया हुं, क्या किसी पार्टी पर जाना है? ओर तभी बीबी जी को गुस्सा आ गया ओर बोली कोन सा महीना है? मेने गिन कर बताया अरे मार्च है ना, ओर तारीख अरे ११ है ना, लेकिन यह सब तुम सुबह से कई बार पुछ बेठी हो... तो तुम्हे कुछ भी नही याद..... ओर सच मै मुझे कुछ भी नही याद था..... बीबी ने फ़िर हमारा शादी का कार्ड मुझे दिखाया, अरे यह किस का है? ओर जब देखा तो मुझे बहुत हंसी आई, ओर फ़िर मेने बीबी से माफ़ी मांगी की मै तो पहली बार भूला हुं, तो बीबी ने कहा तुम तो हर साल यही कहते हो.
अब कल हम सब चारो जने घर पर एक छोटी सी पार्टी करेगे, आप सब भी आये आप सब का स्वागत है

एक पहेली बूझॊ तो जाने

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यह जिन्दगी के मेले बहुत अजीब होते है, बेसे तो यह पोस्ट मैने पराया देश ब्लांग पर ही डालनी थी, लेकिन वहां अभी थोडा उदासी का माहोल है, फ़िर इसे "मुझे शिकायत हे." पर डालने की सोची तो भईया वहां तो पुलिस की नाकेबंदी लगी हुयी है...क्या पुलिस को बुलाऊं    
तो सोचा चलो आज  पहेली भी यही पुछ लेते है, पहेली कुछ यु ही कि आज हमे सब डबल डबल दिख रहे है, यानि अब आप ही देखे यह घटना आज के दिन ही घटी थी लेकिन २२ साल पहले, ११ मार्च को घटी तो हमे आज २२ नजर आ रहे है, इस घटना का जिकर पराया देश पर भी हो चुका है कभी ना कभी, इस घटना से पहले हम अकेले थे, अब धीरे धीरे चार हो गये, इस तरीख को हम जिन्दगी मै पहली बार किसी निरिह जानवर पर बेठे थे, तो बताईये वो निरिह जानवर कोन था, ओर वो घटना कोन सी थी, जिस ने हमारी जिन्दगी ही बदल दी??

जनाब क्या खायेगे? चलिये खुद ही देख ले क्या क्या मिलता है यहां

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यह मुझे Mohan Vashisth जी ने मेल से भेजी ओर मेरे दिल को छुगई, मेने इसे आगे मेल करने कि व्जाय इस की पोस्ट बना दी..,,

आज सभी फ़ोटो गायब हो गये जी.... पता नही कहां

जाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ?

............ ... ........... .....थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ?
नहीं ??? ओके ......... पास्ता ?
नहीं ?? .. इसके बारे में क्या सोचते हैं ?आज ये खाने का भी मन नहीं ? ... ओके .. क्या इस मेक्सिकन खाने को आजमायें ?दुबारा नहीं ? कोई समस्या नहीं .... हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं........
ह्म्म्मम्म्म्म ... चाइनीज ????? ??
ओके .. हमें भारतीय खाना देखना चाहिए .......हमारे पास अनगिनत विकल्प हैं ..... .. टिफिन ? मांसाहार ?
या केवल पके हुए मुर्गे के कुछ टुकड़े ?
आप इनमें से कुछ भी ले सकते हैं ... या इन सब में से,
थोड़ा- थोड़ा ले सकते हैं ...
अब शेष बची मेल के लिए परेशान मत होओ....
मगर .. इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं है ..इन्हें तो बस थोड़ा सा खाना चाहिए ताकि ये जिन्दा रह सकें .......... इनके बारे में अगली बार तब सोचना जब आप किसी केफेटेरिया या होटल में यह कह कर खाना फैंक रहे होंगे कि यह स्वाद नहीं है !!
ही नहीं जाती.........अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी / समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप ००००० (केवल भारत में )पर फ़ोन करें - यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड हेल्पलाइन है । वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे

लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में सहयोग कर सकें -
'मदद

अनार कली कहां चली.....

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भाई ना तो हम कवि है, ओर ना ही शायर, लेकिन इन सात दिनो मै इतने शेर पढे, ओर इतनी बाते पढी की मजा आ गया...
जब हम रोहतक जा रहे थे तो जेसे जेसे ट्रको पर, ट्रालियो पर स्कुटरो पर ओर रिक्क्षा पर नजर पडती तो कुछ ना कुछ पढने को मिल जाता ओर सफ़र भी जल्द ही खत्म भी हो जाता, अगर कोई ट्रक दुर होता तो मन करता देखे इस के पीछे क्या लिखा है....
तो चलिये हम अपना पिटारा खोलते है इस अमुल्य बातो का.
अनार कली कहां चली.... बई तुझे क्या भाड मै जाये.
बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला.... यार हमे क्यो पढवा रहा है,
टीटू दी गड्डी.... अरे भाई हमे क्या किस की गड्डी हो.... ना हम टीटू को जानते है ना तुम्हे.
???? ????? अब तो पीछा छोड दे मै हो गई बच्चो वाली.... अजी शुकर करो इस उम्र मै भी आशिक मिल रहे है.
भाई हो तो ऎसा, हिसाब मांगे ना पेसा........ जरुर मेरे जेसा पागल होगा.
वाय वाय टाटा....... अबे जा बार बार हार्न बजा कर कान खराब कर रहा है.
आज मिले हो फ़िर कब मिलोगे प्रदेशी..... जरुर यह कोई जासुस होगा जो मेरे बारे जानता है
हार्न पलीज.... अबे अगर हार्न ऊखाड कर तुजे दे दिया तो मोके पर मै कहा से बजाऊंगा?
पीछे पीछे आने वाले तेरे इरादे है क्या..... नहि बताता
देखो मगर प्यार से...... बाप रे यहां भी धमकी
तेरे बच्चे जीये तेरा लहू पिये...... अब समझ मै आया आज कल के बच्चे यही से यह शिक्षा ले कर जाते है.
अबे आंखे फ़ाड फ़ाड कर क्या देख रहा है...... भाई हम ने झट से मुंह दुसरी तरफ़ फ़ेर लिया,
ओर सामने ही साईट मै एक बोर्ड लगा था साबधानी हटी दुर्गघटना घटी
बाकी याद आने पर.... तब तक आप भी कुछ बताये

एक नयी जानकारी आप के फ़ायर बक्स के लिये..

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यह मेरी इस ब्लांग पर शायद इस महीने की आखरी पोस्ट होगी, आज कल मन भटकता सा जा रहा है, पहले भारत जाता था तो दिल मै बहुत खुशी होती थी.... लेकिन इस बार  दिल नही मान रहा..... लेकिन जाना तो जरुरी है.... क्यो कि यह दुनिया मेरे कामो के कारण या  मेरे कारण तो नही रुकने वाली, ओर अगर मै रुक गया तो ... समय से पिछड जाऊगां....
जो मुझे पसंद नही....

 अरे कहां से यह बात ले कर बेठ गया आप कॊ बताने तो लगा था , गुगल बाबा की नयी जानकारी, जी अगर आप फ़ायर बाक्स का इस्तेमाल करते है, ओर अपने पेज को अपनी पसंद के हिसाब से सुंदर, मन मोहक, मस्ताना, बनाना चाहते है या उसे सजाना चाहते है तो देर किस बात की, बस एक प्यारा सा चटका यहां लगाये, ओर पहुच जाये सजावट की दुकान पर, ओर मन पसंद सजावट तेयार है बिलकुल मुफ़त समय भी बस एक मिंट से कम, तो आप अब सजावट करे फ़िर बताये.

पानी की टंकी यहां है जी....

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आज कल हमारे ब्लांग जगत मै कुछ देत्या समान लोग घुस आये है, ओर हमारे देवता समान ब्लांगर भाई ब्लांग जगत से प्रस्थान करने की सोच रहे है, हम ने भी कई बार सोचा... लेकिन जायेगे कहा बाबा इन रंगीन ओर प्यारी प्यारी गलियो को छोड कर, ओर जो हमे भगाने आयेगे हम उन्हे भगा देगे.

अब कई भाई बंधुओ ओर बंधनियो ने पूछा है जी वी टंकी कहां है, हम भी चढना चाहते है उस पर, तो सज्जन ओर सजन्नियो आप को आदर से सुचित किया जाता है कि पुराने वाली टंकी लोहे की थी, जो जंगाल खा कर चर मरा गई थी, ओर हमारे कई ब्लांगर  वहा से गिर कर जख्मी हो गये थे, ओर अब हमारी ब्लांगर कमेटी ने चंदा ईकट्ठा कर के यह नयी टंकी बनवानी शुरु की है, अभी काम चल रहा है.

आप सब को जान कर खुशी होगी की टंकी के ठीक नीचे हम ने ब्लांगर मीटिंग के लिये एक बडा हाल भी बनवाया है, ओर यह टंकी आधुनिक होगी यानी इस पर छत होगी ओर लिफ़्ट भी होगी, ओर सामाने ब्लांगर से बात करने के लिये मेदान मै भी एक वाताकुलिन खुली छत का कमरा होगा, ओर ऊपरे चढे ब्लांगर से बात करने के लिये वीरु ओर गांव वालो की तरह से चिल्लाना नही पडेगा, वल्कि माईक लगे होगे ओर हेड फ़ोन भी सभी को दिये जायेगे, ऊपर वाले ब्लागर को कोका कोला ओर पिज्जा भी दिया जायेगा, ओर जो उसे मनाने आयेगे उन्हे भी उन की पसंद का खाना दिया जायेगा, बिल वो देगा जो टंकी से उतरेगा.

बस टंकी का काम खत्म होने वाला है, जिन जिन ब्लांगरज  ने अपनी जगह बुक करनी हो, कृप्या वो समय रहते अभी बता दे, नोट यह सुबिधा सिर्फ़ हिन्दी वाले ब्लांगरो को दी जा रही है,टंकी पर आप किसी भी मोसम मै चढ सकते है, अगर आप अपनी जगह लेकिन अपने नाम से किसी ओर को  चढाना चाहे तो उस का इन्तजाम भी है, हम आप को दिहाडी पर आदमी देगे

तो ब्लांगर साथियो आप किसी गलत टंकी पर मत चढे, जहां कॊइ उतारने वाला ही ना हो, तो आईये आप हमारी इस टंकी पर ही चढे,डोनेशन देना चाहे तो हमारे से समपर्क करे, २६ जनवरी २०१० को सुबह ७ बजे हम इस टंकी का महुर्र्त कर रहे है, ओर आईये हम इस पर ब्लांगर झंडा लगा कर इस टंकी को महान बनाये

जब हम ने सच मै भुत को देखा??

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बात बहुत पुरानी है, शायद ४० साल या इस से भी ज्यादा, तब हमारा मकान बन रहा था,नयी आवादी थी, ओर सभी मकान बहुत दुर दुर थे, ओर पिता जी ने सब से पहले एक कमरा बनवाया साथ मै एक स्टोर रुम जहां पर सीमेंट ओर बाकी समान रखा जाता था, मेरी उम्र शायद १३ या १४ बर्ष की होगी,लेकिन उस समय सारी जिम्मेदारी को अच्छी तरह समझता था स्कुळ के बाद मजदुरो के संग काम करना ओर करवाना, ओर सभी मजदुरो को खुश रखना, उन्हे बीडी ओर चाय पिलाना, बदले मै वो भी काम ज्यादा करते थे.

बस युही मजदुरो के संग जब दिन बीताना तो उन से बात भी हो जाती थी, ओर बचपना भी था ही, साथ मै पिता जी ने काफ़ी निडर बना दिया था, अंध विशवास को ना मानना, भूत प्रेत को मानने की तो बात ही नही थी, ओर उसी उम्र मै हम शमशान मै भी आधी रात को डरते मरते धुम आये, ओर जादू टोने जब सडक पर मिलते तो नारियाल फ़ोड कर खाते ओर पेसो से फ़िल्म देखते.

एक राज मिस्त्री जो हमारा मकान बना रहा था, कई दिनो से वो भूत प्रेतो, चुडेल ओर रुह की बाते करता था, अब उन्होने दिन भी काटना होता था सो काम के संग संग गप्पे भी मारनी, एक दिन मेने उन्हे कहा कि दुनिया मै भूत प्रेत नही होते, बस हम लोग ही बाते बना कर ओर अपने खाव्वो मै उन्हे ला कर डरते है, मिस्त्री पिता जी की उम्र का ओर मै बच्चा होते हुये भी उन से बहस रहा था, तो उन्होने कहा बेटा ऎसी बाते नही करते, ओर बात आई गई होगई.

वो गर्मियो के दिन थे पिता जी परिवार समेत स्टोर के समाने सोते थे, कमरे मै, ओर मै खुले मेदान मै ईंटो के पास जहा लोहा बगेरा भी पडा था, ताकि कोई इन चीजो की चोरी ना करे,ओर जब मकान की छत पडनी थी, उस दिन सारा दिन काम चला ओर दोपहर दो बजे लेंटर की तेयारी पुरी हो गई, ओर सब लोगो ने घर जाना चाहा, लेकिन आसमान पर बादल बहुत आ गये लगा कि बरसात ना शुरु हो जाये, ओर मिस्त्री ने बताया की अगर रात को बरसात आ गई तो सारी तेयारी दोवारा करनी पडेगी, तो मेने कहा कि क्यो ना आज ओर अभी हम काम शुरु कर दे, ओर रात तक सारा काम खत्म हो जायेगा.अगर बरसात भी आ गई तो हम छत पर टेंट डाल देगे.

सलाह सब को पसंद आई लेकिन कई मजदुर आना कानी करने लगे, तो मेने उन्हे कहा कि तुम सब कितनी भी देर लगायो, ओर चाहे सारा काम दो तीन घंटे मै खत्म कर दो तुम्हे दो दिन की मजदुरी ओर आज शाम का खाना भी मिलेगा, ओर रात ११ बजे तक सारा काम खत्म हो गया, मजदुरी दे कर सभी लोग घर गये, ओर हम भी बहुत थक गये, ठंडी हवा चल रही थी, तो हम फ़िर से मेदान मै चादर ले कर लेते तो पता नही कब आंख लग गई.

आधी रात के समय हमे लगा कि कोई अजीब सी आवाज निकाल कर हमे बुला रहा है जेसे, फ़िर हमारे ऊपर एक दो ककरी गिरी, तो मेने हाथ बाहर निकाल कर देखा की कही बरसात तो नही आ रही, ओर फ़िर सोने लगा.... तभी मुझे लगा कि कोई मेरी चादर खींच रहा है, ओर साथ मै अजीब सी आवाज आ रही है, ओर जब मै अपनी चार पाई पर बेठा तो सामने देख कर मेरी चीख निकल गई... ओर उस के बाद मेरी बोलती बन्द मै धीरे धीरे चारपाई की दुसरी तरफ़ ही ही करता हुआ खिसकने लगा ओर मेरे बिल्कुल समाने एक सफ़ेद चादर हवा मै झुल रही है, पोर अजीब सी आवाजे आ रही है.मेरा बुरा हाल था.

तभी पिता जी की आवाज आई बेटा डर मत मै आ रहा हुं, ओर पिता जी ने एक लाठ्ठी घुमा कर फ़ेंकी... ओर वो घुमती हुयी सीधी उस भूत के सर पर लगी... ओर आवाज आई अरे बाबू जी मार दिया... ओर फ़िर मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया असल मै वो हमारा राज मिस्त्री था, ओर छत डालने के बाद वो घर गया तो उसे कोई चीज याद आई ओर वो उसे देखने आया तो उसे शरारत सुझी ओर अपना सर तूडवा बेठा.

फ़िर पिता जी ने मुझे समझाया की आईंदा पहले सोचो अगर ऎसी स्थिति मै फ़ंस जाओ तो,डर से कुछ नही होगा, बस बहादुर बनो

पुराने साल की रात ओर नये साल की सुबह

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चलिये नया साल भी आ पहुचा, ओर इस की सुबह हम लोगो ने बिना सोये ही देखी, यानि सारी रात हम मियां बीबी घर पर ही रहे, रात को आठ बजे बच्चो ने अपने निर्धारित प्रोगराम के अनुसार दोस्तो के संग एक दोस्त के घर नया साल मनाना था, ओर पहली बार बच्चे कार अकेले ले कर गये, फ़िक्र तो हमे बहुत थी बच्चो की, कि भाई जब पहुचो तो हमे फ़ोन करना, बच्चे कई बार बोलते है कि आप लोग फ़िक्र क्यो करते हे अब हम बडे हो गये है, लेकिन बच्चे कितने भी बडे क्यो ना हो जाये फ़िक्र तो लगी रहती है, हमे कुछ चाहे हो जाये लेकिन बच्चे ठीक रहे,

लेकिन बच्चो को दब्बू या  फ़िर घर मात्र के लिये ही ना बनाये, उन्हे भी इस दुनिया दारी का पता चले, आजादी का अहसास हो , कल उन्होने हमारे बिना हमारे सहारे के बिना इसी दुनिया मै रहना है, यह सब सोच कर उन्हे आजादी भी देते है, ओर ज्यादा रोक टोक पर बच्चा बिद्रोही भी बन जाता है,

जब बच्चे आठ बजे चलेगें तो मै तो अपने लेपटाप पर लगा था दे दना दन बधाई सन्देश देने, ओर बीबी टीवी देख रही थी, ओर हमारा हेरी बेचारा बहुत डरा था, ओर मेरे पास ही बेठा था, मै उसे प्यारा करता ओर समझाता जब तक मै हुं डरो नही, ओर जैसे वो सब समझ रहा हो, ओर कू कू करता फ़िर मेरे से सट कर कदमो मै बेठ जाता.

रात १०,०० बजे मैने भी बीबी के संग राज पिछले जन्म का प्रोगराम देखा, जो मुझे झुठ के सिवा कुछ नही लगा, बीच मै बंद कर दिया, बच्चो ने मां के कहने से एक फ़िल्म कुरबान डाऊ लोड कर दी थी, तो मैने बीबी से कहा चलो यह फ़िल्म आज देखते है, बीबी थोडी हेरान हुयी क्यो कि पिछली फ़िल्म जो मैने पुरी देखी थी वो थी काबूल एक्सप्रेस, उस के बाद मैने तीन मिंट से ज्यादा कोई फ़िल्म नही देखी, तो बीबी बोली आप को पसंद नही आये गी तो.... तो उसे बन्द कर देना, या तुम देख लेना, मै फ़िल्म लगाने लगा बीबी दुध के गिलास ले आई, फ़िर हम ने यह फ़िल्म देखी.

कुरबान फ़िल्म की कहानी बहुत कुछ कह गई, कहानी चलती तो आतंक्वाद के इर्द गिर्द ही है, लेकिन असल कहानी चलती है करीना कपुर के संग,बहुत ही खुल कर कहानी कार ने इस मै आज की आजाद लडकी को दिखाया है, जो सच मै सहारनिया है, लेकिन कुछ फ़ेसले बुजुर्गो की सलाह से भी लेने चाहिये, बस यही यह आजाद ख्याल लडकी थोडी गलती कर देती है, ओर अपनी जिन्दगी हमेशा के लिये बरबाद कर लेती है,

आधी फ़िल्म देखने के बाद मैने वीयर खोली ओर साथ साथ मै फ़िल्म देखता रहा, इस फ़िल्म ने हमे बांधे रखा, अगर आप चाहे तो इसे अपने बच्चो के संग जरुर देखे, या फ़िर बच्चो को राय दे कि इसे जरुर देखे, इस पर चर्चा भी कर सकते है, फ़िल्म खत्म हो उस से पहले मेरी वियर खत्म हो गई, तो बीबी से नयी वियर मंगवाई, जब फ़िल्म खत्म हुयी तो फ़िर बच्चो का ख्याल आया, बच्चो के मोबाईल पर भी बात नही हो रही थी, हम दोनो आपस मै इस फ़िल्म के बारे बाते करते रहे.

फ़िर इस नये साल मै एक दुसरे को बधाई देना ही भुल गये, मैने बीबी को नया साल शुभ बोला,फ़िर इस नये साल मै अपने जान पहचान वालो की बुराईयो की चर्चा करते रहे, हमे शायद अपनी बुराईयां नही दिखती, फ़िर बच्चो का ख्याल आये, बाहर बहुत धुंध हो गई थी बीबी ने पुछा बच्चो को पता है कि धुंध वाली लाईट केसे जगानी है, मैने कहां हां, फ़िर हम सोने का नाटक करते रहे, किसी तरह ३,३० बज गये तो नीचे कार की आवाज आई, तो जान मै जान आई.

एक बच्चे ने एक वीयर पी, तो दुसरे ने कोला पिया क्योकि उसने कार  जो चलानी थी, बच्चो के कपडो से सिगरेट की बहुत बद्बू आ रही थी, शायद अन्य बच्चो ने पी हो, मैने बीबी को बोला जब तुम बच्चो को गुड नाईट बोलो तो किस क्रो तो देखना किसी के मुंह से सिगरेट की बद्बू तो नही आ रही, बीबी ने बताया कि नही हमारे बच्चो ने सिगरेट नही पी, यानि अभी तक हमारे दिये संस्कार काम कर रहे है, लेकिन अगर बच्चे सिगरेट पीये तो हम समझाने के सिवा कर भी क्या सकते है?

चलिये अब बात यही खत्म करते है, आप सब के बच्चे अच्छे रहे, खुब पढे लिखे, ओर दुनिया कि बुराईयो से बचे
आप बातये आप लोगो ने नये साल का पहला दिन केसे बिताया

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय