आज मैने आप के कहने से यह पोस्ट बदल दी!!!!
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राज भाटिय़ा
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चुटकले
नमस्कार भाई हम ने एक पोस्ट आज हटा ली लगा हमारे पाठक उस से खुश नही, लेकिन सभी टिपण्णियां ज्यो की त्यो है...इस के लिये आप सब से माफ़ी चाहुंगा...
भाई यह मजाक की बात नही, सभी लोग इस बात से सबक ले......कल किसी का भी नम्बर लग सकता है.....
ताई सवेरे सवेरे ताऊ को खुब जोर जोर से पीट रही थी...... तभी दो चार पडोसी आ गये.... ओर पुछा अरे ताई तु क्यो इस गरीब ताऊ को मार रही है इस बेदर्दी से?? ताई बोली इस लफ़ंगे से पुछलो...रात की डुयटी करने के बहाने पता नही कोन से गुल खिलाता है.... मैने आज सुबह सुबह इसे मोबाईल पर फ़ोन किया तो दुसरी तरफ़ से एक छोरी की आवाज आई """ आप जिस से बात करना चाहते है, वो अभी व्यस्त है, कृप्या थोडी देर बाद फ़ोन करे... अब मै इस से पुछू बता तु कोन से काम मै व्यस्त था, ओर वो बोलन वाली कोन थी???? लेकिन यह बताता नही!!!! यू कोन से काम मै व्यस्त था उस छोरी के संग.
भाई यह मजाक की बात नही, सभी लोग इस बात से सबक ले......कल किसी का भी नम्बर लग सकता है.....
ताई सवेरे सवेरे ताऊ को खुब जोर जोर से पीट रही थी...... तभी दो चार पडोसी आ गये.... ओर पुछा अरे ताई तु क्यो इस गरीब ताऊ को मार रही है इस बेदर्दी से?? ताई बोली इस लफ़ंगे से पुछलो...रात की डुयटी करने के बहाने पता नही कोन से गुल खिलाता है.... मैने आज सुबह सुबह इसे मोबाईल पर फ़ोन किया तो दुसरी तरफ़ से एक छोरी की आवाज आई """ आप जिस से बात करना चाहते है, वो अभी व्यस्त है, कृप्या थोडी देर बाद फ़ोन करे... अब मै इस से पुछू बता तु कोन से काम मै व्यस्त था, ओर वो बोलन वाली कोन थी???? लेकिन यह बताता नही!!!! यू कोन से काम मै व्यस्त था उस छोरी के संग.
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
28 April 2010 at 4:06 pm
जय राम जी की
नीम हकीम खतरे जान
मिलगे तो काढे जान
28 April 2010 at 4:22 pm
बैनर के पीछे क्या है ये बैनर के पीछे !
28 April 2010 at 4:57 pm
राज भाटिया जी आप एक सुलझे हुए इन्सान हैं / आप अपनी सार्थकता को कहाँ इन बेहूदा टाइप विज्ञापनों के प्रदर्शन के मसखरापन में लगा रहें हैं / आप समाज को अपनी सच्ची और सार्थकता का परिचय ही ब्लॉग के माध्यम से दें ,ये मेरा आपसे नम्र निवेदन है /
28 April 2010 at 4:58 pm
हा हा हा ये हकीम साहब टाटा कंपनी के मालूम होते हैं
28 April 2010 at 5:07 pm
मिल लेंगे जरूर
28 April 2010 at 5:26 pm
...ये टाटा इंडिकाम वाले भी बे-फ़िजूल के नुस्खे आजमा रहे हैं !!!
28 April 2010 at 5:42 pm
@ honesty project democracy ओर अन्य सभी साथियो से निवेदन है कि अगर आप को इस पोस्ट मै कुछ भी बेहुदा लगे तो जरुर बताये, मै झट से इसे हटा दुंगा... वेसे यह तो एक मजाक के तॊर पर पोस्ट है ओर इस मै कुछ भी बेहुदा नही मेरी समझ से, फ़िर भी आप सब की सलाह सिर आंखो पर
28 April 2010 at 5:53 pm
टाटा इन्डीकाम का एड है जी जे तो। अभी टाटा की पीआर को फोन करता हूँ कि यह प्री पेड सुविधा कब से चालू की।
28 April 2010 at 5:55 pm
मुझे नहीं लगता कि टाटा जैसे घराने ने ऐसा विज्ञापन बनाया होगा। यह किसी छोटे-मोटे डीलर की हरकत हो सकती है।
28 April 2010 at 5:56 pm
STD बोले तो सेक्सुआली ट्रान्स्मिटेड डिजीज। टाटा ट्रक डाईवर तो यह सेवा पहले से प्रदान कर रहे हैं। वैसे आपका इस ब्लाग के पीछे मन्तव्य?
28 April 2010 at 5:59 pm
गगन जी, घराने तो ऐसे एड के बाद ही बनते है जी। मजाक है ;-)
28 April 2010 at 7:11 pm
राज जी आप ने पोस्ट बदल ली, अच्छा किया। चुटुकुला बहुत शानदार और मौजूँ है।
28 April 2010 at 8:57 pm
ओह! लगता है कि मैंने कुछ मिस कर दिया...
28 April 2010 at 9:21 pm
यानि कि हम भी कुछ मिस कर चुके हैं....खैर कोई बात नहीं ये ताऊ तो है न हँसने के लिए...ऎसी गलत शलत हरकतें करके ताऊ पिटने वाले काम तो खुद ही कर रहा है, बेचारी ताई का क्या कसूर. 2-4 लट्ठ ओर आण दे :-)
28 April 2010 at 9:39 pm
:)
29 April 2010 at 6:50 am
ये बहुत गलत बात है. आप मुझे नाहक बदनाम कर रहे हैं. आपको ये किसने कहा कि ताई ने मुझे जोर जोर से पीटा? वो तो बहुत धीरे धीरे पीट रही थी. वो तो बचकर भगते हुये गिरने से हड्डी प्सली टूट गई , पिटाई की वजह से नही टूटी.
रामराम.
29 April 2010 at 7:52 am
हमने तो देखी ही नहीं जी
कौन सी पोस्ट थी। वैसे शायद आपने HPD की बात के कारण यह पोस्ट बदल डाली है जी। कृप्या वापिस लगा दें। मेरे विचार से honesty project democracy का मन्तव्य कुछ दूसरा था। उसे आपकी पोस्ट से कुछ लेना-देना नही था। आपको भडकाने के लिये उसने ऐसी टिप्पणी की है जी। आप अपनी पोस्ट दुबारा लगायें और हमें भी पढने-देखने का मौका दें।
प्रणाम
29 April 2010 at 8:23 am
बहुत दिनो के बाद आपका ब्लोग मेरे यहा सही आ रहा है . वैसे ताई गलत तो नही कर रही है
29 April 2010 at 9:19 am
अजी पोस्ट का तो हमें पता नहीं, लेकिन ताऊ वाला किस्सा मजेदार लगा।
30 April 2010 at 2:12 pm
...पोस्ट बुरी नहीं थी संभवत: पोस्ट को कुछ लोगों ने गंभीरता से नहीं देखा और उसे नीम-हकीम टाईप का समझ लिया ... अभी का चुट्कुला/सत्य घटना भी रोचक है !!!
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