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ऒऎ भाई साहब जी क्या हाल है....

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बात आज से बहुत पुरानी है, एक दिन मै ओर मेरी बीबी शहर मै खरीदारी कर रहे थे, गर्मियो के दिन थे, सो उस दिन बीबी ने अपनी भारतिया पहनावा ही यानि साडी पहन रखी थी, ओर जब हमारी बीबी साडी पहन कर बाजार जाती है तो लोग बहुत प्यार ओर इज्जत से देखते है, बस सब को पता लग जाता है एक एक भारतिया नारी भी उन के शहर मै रहती है, ओर लोग हमे रोक कर बहुत बाते करते थे भारत के बारे.

जब हम सडक पार करने लगे तो एक आवाज पीछे से आई... ओऎ भाई साहब जी क्या हाल है.... अब इस शहर मै मै अकेला भारतिया रहता हुं, लेकिन जब मेने पीछे मुड कर देखा तो कोई भी अपने जेसा रंग वाला नही दिखा, मैने सोचा शायद कान बजे होंगे, ओर मै फ़िर चल पडा, लेकिन फ़िर एक आवाज आई बादशाहो रुको ना...... मैने बीबी से पुछा तुम ने कुछ सुना तो वो बोली हां, मैने फ़िर मुड कर देखा, अब शहर भी इतना बडा नही था, ओर भीड भी ज्यादा नही थी, लेकिन मुझे अपने जेसा कोई नही दिखा, ओर मै सर पर हाथ फ़ेर कर चल पडा फ़िर से.

अभी दो कदम ही गया कि किसी ने कंधे पर हाथ रखा ओर शुद्ध हिन्दी मै बोला भाई साहब रुकिये, मेने मुड कर देखा तो मै हेरान मेरे सामने एक जर्मन हाथ जोड कर नमस्ते कह रहा था, मेने उसे जर्मन मै नमस्ते का जबाब दिया, ओर पूछा अभी अभी आप ने ही मुझे आवाज दे कर रोका था, तो वो बोला हां जी, मै उस से जर्मन मै बात कर रहा हुं, ओर वो मेरे साथ हिन्दी मै, मै उसे देख कर ओर हिन्दी बोलते देख कर हेरान था.

फ़िर उस ने मुझे कहा भाई हिन्दी मै बात करो ना, मैने माफ़ी मांगी ओर उस से हिन्दी मै पुछा कि तुम इसी शहर के रहने वाले हो? वो बोला हां, मै इसी शहर मै पेदा हुआं हुं, तो मेने उसे कहा कि मुझे बहुत साल हो गये है लेकिन आप को पहले कभी नही देखा, तो वो बोला मै इंजिन्यर हुं ओर हमेशा विदेश मै ही रहता हुं, तो मेने पूछा कि आप इतनी अच्छी हिन्दी बोल रहे है, क्या आप के मां बाप मै से कोई भारतिया है, तो उस ने मुझे कहा नही ऎसी बात नही दर असल मेने १२, १३ साल दुबई मै काम किया है, ओर इस दोरान मै अकेला ही जर्मन इंजिनियर था, बाकी सब लोग भारत ओर पकिस्तानी थे, ओर मै २४ घंटॆ उन लोगो के संग रहता था, ओर उन के संग रह कर मुझे हिन्दी पंजाबी ओर उर्दु बहुत अच्छी बोलनी आ गई.

मैने उसे अपने घर पर बुलाया कि आओ एक एक कप चाय पीते है, तो वो झट से तेयार हो गया, ओर घर आ कर मैने उस से बहुत सी बाते कि, उस ने मुझे बताया कि उसे भारतिया खाना सब से अच्छा लगता है, ओर वो बहुत बार भारत भी जा चुका है, उस की इच्छा है वो भारत मै ही कही बसना चाहता है.

मैने उसे बातो बातो मै कहा कि अब जर्मन लोग पहले जेसे नही रहे, थोडा बदल गये है, लेकिन मुझे कोई दिक्कत नही आज तक सभी प्यार से मिले है, ओर जब कभी मदद की जरुरत हो तो पडोसी मदद भी करते है, लेकिन फ़िर भी लगता है यह बदल गये है, तो मुझे उस ने कहा नही यह लोग तो पहले जेसे ही है, अच्छे बुरे जेसे भी थे पहले अब भी वेसे ही है, हां तुम बदल गये हो.... मैने हेरान हो कर पूछा केसे? तो उस ने मुझे कहा बिलकुल मेरे साथ भी यही हुया था दुबई मै, पहले पहल मै सोचता था यह भारत ओर पाकिस्तानी बहुत अच्छे है, लेकिन अब मुझे तु लोगो की जुबान आ गई तो मुझे अब पता चला कि लोग कई बार ( जो मुझे नही जानते) हंसते हुये मुझे गाली देते है, तो मै भी उन्हे उन की भाषा मै समझा देता हुं कि मै तुम्हारी बात समझता हुं, ओर चाहूं तो मै भी तुम्हे गाली दे सकता हुं. अब समझे पहले तुम्हे जर्मन नही आती थी, ओर कोई तुम्हे हंस के कुछ कहता था तो तुम सोचते थे, यह बहुत अच्छा है ओर अब तुम इन की भाषा समझते हो ओर अब तुम इन्हे सुन कर ही समझ जाते हो, यानि लोगो तो वेसे ही है, बस हम जब उन्हे अच्छी तरह समझने लग गये है.
अब वो भाई कहा है पता नही मेने भी वो शहर छोड दिया.

माधुर्य का रस

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आज का विचार.....
जीवन के माधुर्य का रस लेने के लिये हमें बीती बातो को भुला देने की शक्ति अवश्य धारण करनी चाहिये

स्माईल प्लीज

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स्माईल प्लीज ! अबे मुस्कुराने को कहां है, दांत फ़ाड कर हंस क्यो रहा है,
नमस्कार

पंगे ही पंगे जो हम लेते है.......

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एक छोटी सी पोस्ट....
हम सब ने अपने अपने ब्लांग पर बहुत सारे विजेट लगा रखे है, मेने भी जिन का कोई भी लाभ नही... बल्कि हम इन विजेट से खुद भी ओर दुसरो को भी कठिनाई मै डालते है, यानि बस ब्लांग को सुंदर बनाने के लिये हम खुब दिल खोल कर पंगे लेते है, ओर नुकसान भी हमे ही होता है....... ओर कई बार इन विजेट मै छीपे कोड भी होते है....... जो हमारी बहुत सी जानकारियां ई मेल पते वगेरा वगेरा दुसरे को भेजते है, मै जब भी किसी के ब्लांग पर जाता हुं बस लेख कविता पढी, टिपण्णी दी ओर राम राम कभी भी पुरा ब्लांग नही देखा, मेरी तरह सभी यही करते होगे..... मै अपने ब्लांग से अब यह सब हटा रहा हुं, अगर अब भी मेरे किसी ब्लांग पर आप किसी को कोई दिक्कत आये तो जरुर बताये.

बस कुछ जरुरी विजेट ही रहेगे, बाकी सब साफ़....... आप लोगो का विचार है ?

मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय