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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
14 November 2009 at 11:48 pm
हम भी भूले से हंस दिये, सॉरी!!!
15 November 2009 at 3:23 am
hahahahahahha................
15 November 2009 at 4:14 am
माफ़ कीजिएगा, यह तो ज्यादती है।
आइटम ऐसा कि बत्तीसी दिखाने का मन हो और बन्दिश लगा रखी है कि सिर्फ़ मुस्कराना है।
हम तो खुल कर हँसेंगे। क्या कल्लोगे...? :D
15 November 2009 at 4:46 am
सॉरी ! हमें भी हंसी आ ही गयी |
15 November 2009 at 5:23 am
वाह राज जी! कहाँ कहाँ से ढूँढ लाते हैं एक से एक मसाला!
15 November 2009 at 7:49 am
बच्चा है तो स्माईल प्लीज बोल सक रहा है , बड़ों की तो बत्ती गुल हो जाये :)
15 November 2009 at 8:23 am
waah jabardast mile hai:),itani badi,khich lo jitne photo khichne hai:)
15 November 2009 at 10:20 am
JORDAAR HAI BHAATIYA JI .... PAR BACHHE KI HIMMAT TO DEKHIYE ....
15 November 2009 at 11:15 am
हा.. हा.. हा...
इस बात पर किसे न हंसी आ जाए!
15 November 2009 at 1:15 pm
अब इत्ते बड़े मुंह पे मुस्कुराहट कहां दिखती भाई
15 November 2009 at 4:02 pm
अरे बाप रे! दाँत देखकर भी इसे डर नहीं लग रहा..बडा बहादुर बच्चा है :)
16 November 2009 at 3:53 am
ये मगरमच्छी हंसी है।
16 November 2009 at 5:40 am
hहा हा हा हा हा हा सुबह आज हंसी से शुरू हुई है धन्यवाद
16 November 2009 at 11:15 am
AAP PYAAR SE KAHTE RAHIYE SMILE PLEASE, HUM MUSKURATE HI RAHENGE. WAADA RAHA.
16 November 2009 at 6:23 pm
बच्चों के अंदाज निराले...स्माइल तो करनी ही पड़ेगी..बहुत बढ़िया प्रस्तुति
16 November 2009 at 9:27 pm
बच्चा है बेचारा अभी अभी तो दाँत ऊगे हैं , दिखायेगा ही ।
17 November 2009 at 5:45 pm
zabardast aur shaandar jise dekh apne aap hansi foot pade ,bahut khoob raj ji
18 November 2009 at 5:20 am
ha..ha..ha.. bahut umda!!!
19 November 2009 at 5:22 am
भाटिया साहब, देर से इस सुन्दर प्रसंग पर नजर गई इसके लिए क्षमा चाहता हूँ ! आपने बहुत सुन्दर प्रसंग उठाया था ! अक्सर क्या है कि इतने सारे विजेट लगा लेने की वजह से साईट खुलने में भी बहुत वक्त लगता है और इच्छुक व्यक्ति कुपित हो जाता है ! साथ ही कई बार कम्पूटर भी हैंग हो जाता है ! उसी तरह जिन लोगो ने टिप्पणियों पर मोद्रेसन लगा रखे है , मैं समझता हूँ कि वह भी एक बेफालतू की चीज है ! अगर कोई गलत टिपण्णी करता भी है तो आपको भी उसे डिलीट करने का ओपसन प्राप्त है आप डिलीट कर सकते है !
19 November 2009 at 4:13 pm
... क्या स्टाईल है !!!!
20 November 2009 at 11:27 am
घडि़याली आंसू तो मशहूर हैं लेकिन आपने तो घडि़याली हंसी भी दिखा दी।
22 November 2009 at 6:39 am
bahut khub....
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