माधुर्य का रस
.
राज भाटिय़ा
.
विचार
आज का विचार.....
जीवन के माधुर्य का रस लेने के लिये हमें बीती बातो को भुला देने की शक्ति अवश्य धारण करनी चाहिये
Post a Comment
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
टिप्पणी में परेशानी है तो यहां क्लिक करें..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
20 November 2009 at 1:42 pm
भाटिया जी बहुत सुन्दर संदेश है धन्यवाद और शुभकामनायें
20 November 2009 at 2:05 pm
सत्य वचन!!
20 November 2009 at 2:07 pm
सच्ची बात
20 November 2009 at 2:25 pm
सही है जी!
बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेय!
20 November 2009 at 2:40 pm
मगर भाटिया साहब क्या यह प्रैक्टिकली संभव हो पाता है ?
20 November 2009 at 2:57 pm
BAHYT ACHHA SANDESH HAI ......
20 November 2009 at 3:29 pm
@पी.सी.गोदियाल जनाब नही, मै कई ममलो मै ऎसा नही कर पाया,
20 November 2009 at 3:29 pm
सही बात।
बीती ताही बिसार दे, आगे की सुध ले।
20 November 2009 at 4:08 pm
very true
20 November 2009 at 4:11 pm
bahut sunder sandesh....
20 November 2009 at 4:53 pm
भाटिया जी
सादर वन्दे!
कुछ घाव भरते नहीं इसीलिए भूलते नहीं!
लेकिन अंत में बात आप की ही सही है !
विचार अच्छा है!
रत्नेश त्रिपाठी
20 November 2009 at 5:22 pm
सत्य वचन..अनुकरणीय..धन्यवाद भाटिया जी
20 November 2009 at 8:09 pm
बहुत ही सुन्दर सन्देश्!!!!!
21 November 2009 at 2:38 am
जो बीत गई सो बात गई। अच्छा सोदेश।
21 November 2009 at 11:01 am
बात तो आपकी सही है पर लोगों की गालियां कानों मे सपने मे भी गुंजती हैं उसका क्या करे?:)
22 November 2009 at 9:27 am
waah!kya baat kahi hai!jo beet gayi so beet gayi...
22 November 2009 at 2:55 pm
जो बीती यादों के सहारे ही जी रहे हैं उनका क्या होगा
और वैसे भी बहुत कठिन है बीती बातों को भुला देना
और यह भी सही है कि भुला देने पर ही व्यक्ति आनंदित रह सकता है
22 November 2009 at 3:38 pm
Sach kaha hai apane---
23 November 2009 at 11:32 am
बहुत ही सुन्दर सन्देश्!
हिन्दीकुंज
23 November 2009 at 3:40 pm
तभी जीवन का मजा है.......
सत्य कहा आपने.....
24 November 2009 at 7:08 am
सही है बीती को बिसारिये!!!
26 November 2009 at 2:46 pm
... अनुशरण प्रारम्भ !!!!!
28 November 2009 at 2:32 pm
अगर तूफ़ान में जिद है ... वह रुकेगा नही तो मुझे भी रोकने का नशा चढा है ।
Post a Comment