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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
10 October 2010 at 5:00 am
एक घण्टा हो गया पंगा लेते हुए,
साला खत्म ही नहीं हो रहा।
तौबा तौबा, अब नो पंगा।
10 October 2010 at 7:30 am
बड्डे पंगा लेते लेते थक गया हूँ ... कुछ खुलता नै है जी. ...
10 October 2010 at 7:31 am
बड्डे पंगा लेते लेते थक गया हूँ ... कुछ खुलता नै है जी. ...
10 October 2010 at 8:31 am
ऐसे कोई नहीं छूता पर लिख 'दीजिए पेंट गीला है हाथ ना लगाएं' तो सभी छू कर देखते हैं।
अब जब कह ही दिया गया है कि ना दबाऐं तो फिर :-)
10 October 2010 at 11:47 am
किधर चले गये ... भाटिया जी ...
पहले पंगा लेने को कहते तो फिर गायब हो जाते हो ... हा हा ... बहुत खूब ...
10 October 2010 at 2:49 pm
इस से पंगा लेने वाले तो हर जगह हैं देखिये कितने जनों ने पंगा ले लिया मगर हाथ क्या आया? कुछ नही। हम ने तो छोद दिया। आभार , शुभकामनायें।
10 October 2010 at 4:00 pm
छोड़ दिया।
10 October 2010 at 8:52 pm
हाहाहा ...
12 October 2010 at 4:13 am
बचाओSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSS
12 October 2010 at 4:15 am
इसके अन्दर भूत है :))
12 October 2010 at 8:33 am
panga lene ko bhi kah rahe hai ,aur chhoone se bhi mana kar rahe hain .kya baat hai;.------
bahut khoob
poonam
12 October 2010 at 2:58 pm
ajeeb hai ye
12 October 2010 at 7:29 pm
ऊफ कहा पंगा ले बैठी यहाँ से भगाने में ही भलाई है |
13 October 2010 at 5:45 pm
स्टॉप क्लिकिंग तक पंगा लिया..अब कोई रूकने को कहे तो छोड़ देते हैं वरना..
13 October 2010 at 6:53 pm
मज़ेदार टाइम पास!
14 October 2010 at 7:25 am
आप कहते हैं तो डर किस बात की :) लेकिन अभी तो कुछ नहीं दिखा रहा, बाद में आकर लेते हैं पंगा :)
16 October 2010 at 2:51 pm
वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में
तुमने और घुमाव ला दिये गलियारे में
17 October 2010 at 7:32 pm
विजय दशमी की शुभ कामनाएँ!
18 October 2010 at 3:09 am
kamal ho gaya ye to...thaka dala
18 October 2010 at 6:48 am
पूरा एक रौंद कर लिया.. मज़ा आया
18 October 2010 at 3:28 pm
अब और कहीं पंगा नहीं लेंगे ... कान पकड़ते हैं ...
23 October 2010 at 8:30 pm
अब तो ले लिया पंगा , इज्ज़त का सवाल है, पीठ नहीं दिखा सकता....ओह नो चलो भाग चलें , कोई देख नहीं रहा...हा हा हा
26 October 2010 at 6:16 pm
bor ho gaya ji khatam hi nhi hota
ab nhi panga luga
27 October 2010 at 9:03 am
hahahaaa... where the end to it ... very refreshing ... thanks for sharing
6 November 2010 at 10:20 am
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मैंने भी पंगा लिया। प्रेस करते ही गुलाम अली की ग़ज़ल बजने लगी।
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