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एक भुला बिसरा गीत..... जिन्दगी के नाम

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आज यह गीत अचानक कही सुना, तो बचपन के वो दिन याद आ गये जब मैने यह फ़िल्म आर के पुरम मे एक टीन की टाकीज मे देखी थी, जहां नीचे पांव रखने की जगह पानी भर गया था, ओर पुरी फ़िल्म पांव ऊपर सीट अरे नही कुर्सी पर ऊपर रख के देखी थी, ओर फ़िल्म इतनी पसंद आई थी कि आज तक एक एक सीन दिल पर अकिंत हे, ओर एक एक गीत कानो को नही भुला....
तो सुनिये ओर देखिये यह सुंदर गीत

12 टिपण्णी:
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प्रवीण पाण्डेय said...
19 October 2010 at 4:24 am  

बहुत ही मधुर।

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विवेक सिंह said...
19 October 2010 at 4:23 pm  

बचपन की यादें तो अलग ही जगह बना लेती हैं ।

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Mohinder56 said...
21 October 2010 at 7:49 am  

मेरे पसन्दीदा गानों में से एक... सुनवाने के लिये आभार

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BrijmohanShrivastava said...
21 October 2010 at 4:01 pm  

शुरु में गति यू टयूव की भाति थी तो मैने सोचा इसको चलने देते है जब तक कोई और काम करलेते हैं जब पूरा चक्कर होगया तो पुन सुनना शुरु कर दिया इसमें हमारे जमाने के कलाकार अशोक और आशा होने से मुझे भी पुराने दिन याद आगये और क्लासिकल राग पर आधारित गाना । सदाबहार

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देवेन्द्र पाण्डेय said...
22 October 2010 at 5:30 am  

गीत तो अच्छा है लेकिन पहले ये बताइए कि यह विरह गीत क्यों याद आ रहा है..!

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दिगम्बर नासवा said...
25 October 2010 at 8:39 am  

तेरे बिन सूने नयन हमारे ... ग़ज़ब का गीत ... अशोक कुमार का अंदाज़ ... कौन सी दुनिया में ले गये आप भी ... ....

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Coral said...
26 October 2010 at 11:56 am  

संगीत क शौकीन हू पर ये गाना अब तक सुननेमे नहीं आया था बहुत सुन्दर है..... तेरे बिन सुने नैन हमारे....

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Dr Xitija Singh said...
27 October 2010 at 9:11 am  

wah bahut khoobsurat geet ... isi film ka ek aur geet mera pasandida hai ... 'poocho na kaise maine rain beetai raag bairvi par aadharit bahut sunder rachna ... dhanyawaad share karne ke liye..

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Girish Kumar Billore said...
30 October 2010 at 10:37 pm  

मधुरम
विरहणी का प्रेम गीत

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ZEAL said...
31 October 2010 at 8:58 am  

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तेरे बिन सूने नयन हमारे ....

You made me nostalgic. I love old Hindi classics.

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Anonymous said...
7 November 2010 at 4:19 pm  

dipawali ki aneko shubh kaamanaa

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Anonymous said...
15 December 2010 at 5:23 pm  

मेरी सूरत तेरी आँखे' फिल्म से ज्यादा फिल्म के गाने प्यारे प्यारे थे.आशा पारेख की खूबसूरत आँखे और मधुर गावाज का मालिक बदसूरत नायक -अशोक कुमार जी- दोनों की एक तरफा प्रेम कहानी थी ये.इसके दुसरे गाने भी बहुत ही मधुर थे.'ये किसने गीत छेड़ा मन मेरा नाचे थिरक थिरक' मुझे बहुत पसंद.
राज भैया! आप तो बड़े शौक़ीन निकले भई पुराने गानों के!
कभी मिलेंगे,बैठेंगे.महफिल जमायेंगे.
ऐसिच हूँ मैं भी सच्ची.-गानों की शौक़ीन नही, दीवानी-

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