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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
13 September 2010 at 6:26 pm
बोल कहां रहे है स्पीक रहे है
13 September 2010 at 7:47 pm
वाह रे वाह।
13 September 2010 at 8:17 pm
ज़रूर स्पीकते हैं।
बहुत कुछ स्पीकते हैं।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
शैशव, “मनोज” पर, आचार्य परशुराम राय की कविता पढिए!
14 September 2010 at 6:55 am
जी हाँ चित्र बोलते हैं ........
और हकीकत दिखाते है।
जैसा की आपकी पोस्ट में दिख रहा है ...
इस पोस्ट के लिए आभार
14 September 2010 at 11:13 am
बिल्कुल बोल रहा है भाटिया जी .... खुल कर स्पीक रहा है ...
14 September 2010 at 1:26 pm
स्पीक रहे हैं तभी तो हम टीप रहे हैं। शुभकामनायें।
14 September 2010 at 3:22 pm
यह तो चीख रहा है :-)
16 September 2010 at 8:38 am
ये चित्र बोल नहीं रहे...चिल्ला रहे हैं और हम हंस रहे हैं...वाह जी वाह..
नीरज
20 September 2010 at 7:28 pm
bilkul bolte hai ,aur bol bhi rahe hai .
20 September 2010 at 9:50 pm
जी बिलकुल see लिया मतलब देख लिया ।
30 September 2010 at 12:00 pm
ji bahuthi sundar lage aapke bolate hue ye sbhi chitra,
poonam
1 October 2010 at 2:20 am
बोल क्या स्पीक रहे हैं जोरों से...
2 October 2010 at 7:53 pm
aapne bilkul theek kaha chitra bolte bhee hai,,,,achchhee prstuti ke liye badhai
3 October 2010 at 4:52 am
बोलिंग!
हा हा हा.....
आशीष
--
प्रायश्चित
5 October 2010 at 12:24 pm
मजेदार!
मेरे घर के पास एक नई दूकान खुली थी।
बाहर बोर्ड लगा था "Rao and sons - Inferior Decorators"
एक और घर है मेरे घर से कुछ ही दूर
गेट पर संदेश है "Beware of Coconuts"
पढकर हम हैरान रह गए
पडोसी ने समझाया
बात यह है के कुछ सप्ताह पहले पेड से एक नारियल रास्ते पर चलने वाले पर गिरने वाला ही था।
पेड घर के compound के अन्दर था तो जिम्मेदारी घरवाले की ही थी।
सो उसने यह बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ धो लिया!
बेंगळूरु में कभी Auto Rickshaw पर बोर्ड लगता है "WON USE"
मतलब ड्राइवर गाडी अपनी निजी काम के लिए उपयोग कर रहा है और गाडी किराए के लिए फ़िलहाल उबलब्ध नहीं है।
यहाँ के कन्नड ड्राइवर लोग own को "वोन" कहते हैं। उच्चारण ही ऐसी है, जैसे उत्तर भारत में station के लिए "टेसन" कहते हैं
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
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