कुंदन लाल सहगल भाग २
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राज भाटिय़ा
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गीत
इक बंगला बने न्यारा.....
आईये आप को कुंदन लाल सहगल जी के कुछ ओर यादगार गीत सुनाये...... बस इन के गीतो को सुन कर मस्त ना हो जाये तो कहिये.....
तो चलिये आप को अपने न्यारे बंगले मै ले चले...
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
15 November 2008 at 5:15 am
" bhut acche geet, Deewana hun maira manpasand geet hai, accha lga sun kr"
Regards
15 November 2008 at 6:44 am
बहुत आनंदम और मस्तम गाने ! बहुत धन्यवाद आपको !
15 November 2008 at 8:09 am
बहुत धन्यवाद ,मुकेश ने शुरू में उन्ही के अंदाज की कॉपी की थी
15 November 2008 at 8:50 am
ईतना पूराना गाना। वैसे मूझे हिस्ट्री बहुत बढीया लगता है।
15 November 2008 at 11:41 am
बहुत सुन्दर गीत सुनवाए हैं आपने। आनन्द आगया। आभार।
15 November 2008 at 3:45 pm
Ek bungala bane pyara ....
bahut purana gana hai sunakar aaj bhi tabiyat khush ho jati hai.
anand aa gaya . dhanyawaad. Abhaar raj ji .
16 November 2008 at 8:44 am
बहुत सुंदर भाटिया साब....
घर वाले चकित से थे,क्योंकि मेरे कमप्युटर से अक्सर रफी,किशोर,लता या फिर मेहदी,गुलाम अली और जगजीत की ही आवाज आती थी...
पिताजी खासकर विस्मृत से थे
थैंक्यु सर
16 November 2008 at 6:24 pm
purana sundar gana sunwane ke liye shukran.
17 November 2008 at 9:30 am
yeh apane jamaane ka ek prasiddh song tha!.... bhi isaka aaj bhi luft uthhaya jaata hai!....bahut achchha lagaa!
17 November 2008 at 9:41 am
कुंदन जी के फैन के लिए आपने बहुत पुण्य का काम किया है, शुक्रिया।
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