किने किने जाना बिल्लो दे घर
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राज भाटिय़ा
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चित्र
किस किस ने बिल्लो के घर जाना है, वो पहले लाईन मै आये, फ़िर टिकट कटाये... ओर इस गाडी मे सवार हो जाये......
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
26 December 2008 at 3:59 am
शायद यही राज है भारतीय रेल के लाभ में चलने का ?
26 December 2008 at 6:20 am
सब बाहर फोकट में लटके है, अन्दर तो गाड़ी खाली पड़ी है..:)
26 December 2008 at 7:59 am
ये तस्वीर जरूर पाकिस्तान की होगी.
26 December 2008 at 8:29 am
लोग किसी रैली में जा रह हैं क्या ?
26 December 2008 at 11:30 am
ये लोग मौत के मुंह में जाना चाह रहे हैं. ये बात अलग है की मौत इन्हें पसंद करती है कि नहीं.
26 December 2008 at 2:40 pm
पाकिस्तानी ट्रेन है .फेविकोल का मजबूत जोड़ लगाकर ट्रेन में चिपके है . फिदादीन बनने जा रहे है लटक लटक कर .
26 December 2008 at 4:09 pm
राज साहेब किथ्थों ले के आए हो तुसी ऐ कमाल दी फोटो.....कमाल कर दित्ता जे...वा जी वा...लाजवाब.
नीरज
26 December 2008 at 6:08 pm
ऐसा नजारा तो रेलमन्त्री लालूजी के गृहराज्य में देखने को मिलता है। ...एक अन्तर जरूर है कि वहाँ टिकट नहीं कटाना पड़ता। :)
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