कुछ सब से जुदा
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राज भाटिय़ा
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चुटकले
मियां बीबी समुन्दर के किनारे घुम रहे हे....
बीबी, जी इसे बीच क्यो कहते हे ?
मियां, अरे तुम्हे नही पता,? बात यह हे की यह जमीन ओर आसमान के बीच मे हे ना इस लिये इसे बीच कहते हे।
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हंसी के लिये गम कुरबान....
खुशी के लिये आंसु कुरबान,
दोस्त के लिये जान कुरबान,
ओर आज के जमाने मे
अगर दोस्त की गर्ल फ़्रेन्ड मिल जाये
तो साला दोस्त भी उस पर कुरबान
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एक रिपोर्टर अच्छा सरदार जी आप बतायेगे यह सब अचानक केसे हो गया ?
सरदार जी , ओये जी होना क्या था, अचानक आंउसमेन्ट हुई की दिल्ली जाने बाली ट्रेन प्लेट फ़ार्म दो पर आ रही हे, तो सारे लोग झट से पटरियो पर कुद गये ओर तभी पटरियो पर ट्रेन आ गई ओर सब नीचे आगये,
रिपोर्टर, फ़िर आप केसे बच गये ? लगता हे आप समझ दार थे जो कुदे नही !!!!!
सरदार जी, ओये जी नही मे तो आत्महत्या करने आया था जब मेने सुना कि ट्रेन प्लेट्फ़ार्म पर रही हे तो मे झट से प्लेटफ़ार्म पर आगया था????
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
11 October 2008 at 5:31 am
वाह भाटिया जी वाह, मजा आ गया।
11 October 2008 at 5:44 am
हंसी के लिये गम कुरबान....
खुशी के लिये आंसु कुरबान,
दोस्त के लिये जान कुरबान,
ओर आज के जमाने मे
अगर दोस्त की गर्ल फ़्रेन्ड मिल जाये
तो साला दोस्त भी उस पर कुरबान
'ha ha ha ha ha haha ha hansee nahee ruk rhee ab kya krun ...'
regards
11 October 2008 at 6:37 am
बहुत धन्यवाद ! काफी दिनों बाद ५ स्टार चुटकले आए हैं आपकी दूकान में ! मजा आया !
11 October 2008 at 7:02 am
वाह, राज जी, आप ने ये बड़ा अच्छा काम किया, लबों पर मुस्कराहट लाना बड़ा ही नेक काम है और इसके लिए आपका बेहद शुक्रिया...
11 October 2008 at 7:15 am
Wah bhatiaji, gajab laye aapto. maza aa gaye. hansgulle hon to aise, wah.
11 October 2008 at 10:07 am
सर जी चुटकले पढ़ते २ तो मेरे मुंह में पानी आगया ! धन्यवाद !
11 October 2008 at 10:10 am
तो साला दोस्त भी उस पर कुरबान
है तो चुटकला ही, पर हकीकत भी है ! बहुत मजा आया !
11 October 2008 at 2:49 pm
वाह.. बहुत अच्छे चुटकुले हैं..सरदार जी वाला चुटकुला तो और भी मजेदार है। धन्यवाद।
11 October 2008 at 4:05 pm
Bahut badiya.
11 October 2008 at 5:27 pm
मज़ेदार चुटकुले हैं...
11 October 2008 at 7:53 pm
ha a ha, bahot khub sir, dhnyabad
12 October 2008 at 11:03 am
लगता है ताऊ ने ४ लट्ठ का आर्डर भेज दिया जो आपने ४ दरवाजे बताये पर खुल्या एक वो भी टाइप करकै खोलना पड्या पहले तो आप जहां टिप्पणी देते थे वहीं आपकी फोटो पै माउस धरते ही खुल जाया करता था
अब जोर लगाना पड़ता है
12 October 2008 at 10:01 pm
शुक्रिया भाटिया जी, विविधता तो जीवन की पूंजी है. आज के समय में आपने निश्छल हँसी दे दी, क्या बात है.
13 October 2008 at 10:00 am
बहुत जबरदस्त चुटकुले हैं।
आपके लिए मेरा यह कमेण्ट भी कुर्बान।
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