ताऊ की बाते
भाईयो बात बडी पुरानी है जब ताऊ स्कुल जाया करता था तब की.
एक दिन मास्टर जी नै ताऊ से पुछा बता भाई कपडा किसे कहते है?
ताऊ भी बहुत सयाना था, झट से बोला पता नही,
मास्टर फ़िर से पुछा तो बता पेन्ट किस चीज से बनती है?
ताऊ बोला मेरे बाबु की पुरानी पेन्ट से???
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यह बात भी उस समय की है जब हमारा ताऊ गाव के सकुल मे जाया करता था, एक बार सारी रात बरसात होती रही, ओर स्कुल की छत नीचे गिर गई, अब सभी बच्चे बहुत खुश, चेहरे गुलाब के फ़ुलो की तरह से खिले हुये, ओर मन ही मन सोच रहे थे चलो अब कुछ दिन स्कुल से ओर पढाई से छुट्टी,एक तरफ़ सभी मास्टर ओर हेडमास्टर खडे सोच रही थे, तभी हेड मास्टर साहब जी की नजर ताऊ पर पडी,ताऊ खुब जोर जोर से रो रहा था, ओर चेहरे से बहुत ही दुखी लग रहा था, ताऊ को सभी पलटू कह कर बुलाते थे, तो हेडमास्टर साहब पलटू के पास गये ओर उस के सर पर हाथ रख कर बोले बेटा पलटू, तु सब बच्चो से सयाना निकला इसी लिये रो रहा है ना की स्कुल ना नुकसान हो गया, बेटा अब चुप हो जा मै जल्दी ही स्कुल की छत बनबा दुगां , ताकि तेरी पढाई का नुकसान ना हॊ, ताऊ बीच मै ही बोल पडा, ओर रोते रोते बोला हेडमास्टर जी आप इतनी जल्दी मत बनबाये, मै तो इस लिये रो रहा हू कि कितनी मुस्किल से हमारे सकुल की छत गिरी लेकिन ऎक भी मास्टर नीचे आ कर नही मरा.
*************************************************************************************मास्टर जी ने ताऊ से पुछा?? हां भाई पलटू एक सवाल का जबाब दे??
ताऊ बोला पुछो मास्टर जी कया पुछना है?
मास्टर जी ने पुछा भाई पलटू जरा सोच कर बता कि दुर्घटना ओर बदकिस्मती मै क्या फ़र्क है???
ताऊ बोलाया मास्टर जी सोचना क्या एक दम सीधा सा फ़र्क है, समझो सकुल मै आग लग गई यह दुर्घटना हुयी, ओर गाव वालो ने आप को आग से बचा लिया यह बदकिस्मती हुयी हम सब की
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22 December 2008 at 2:25 am
ताऊ के किस्से पढ़कर तो मजा आ जाता है |
22 December 2008 at 3:56 am
हमारी सारी पोलपट्टी ही बचपन की खोल दी आपने तो ! पर किस्से मजेदार हैं ! आप भी तो साथ होते थे इन कांडो मे ! :)
राम राम !
22 December 2008 at 4:18 am
ताऊ भाटिय जी आप के साथ रहे हो या नही,मगर किस्से है मज़ेदार्।
22 December 2008 at 4:35 am
मै तो इस लिये रो रहा हू कि कितनी मुस्किल से हमारे सकुल की छत गिरी लेकिन ऎक भी मास्टर नीचे आ कर नही मरा.
हा हा हा हा हा हा अब समझ आया ताऊ जी का दिमाग इतना तेज कैसे है, कैसे सबको टोपी पहनाते हैं...."
Regards
22 December 2008 at 4:59 am
बहुत अच्छे, ताऊ
22 December 2008 at 5:18 am
हा हा राज जी और ताऊ जी एक साथ और वो भी इस अन्दाज़ मैं ! हां मगर बचपन की यादें चुट्कुलों की शक्ल में भी सुनहरी ही लगती हैं.
22 December 2008 at 11:48 am
हा हा हा बहुत बढ़िया ।
22 December 2008 at 12:29 pm
majedaar chutkale .majaaaayaa padhkar
22 December 2008 at 2:04 pm
सारे के सारे अपने में गुदगुदाहट समेटे हुए।
22 December 2008 at 3:13 pm
taau ke kisse padhkar to bahut maja aa gaya!
23 December 2008 at 7:20 pm
kisse to mazedaar hain ,batayen ye alag taau hai yaa bhainswaala?
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