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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
10 December 2008 at 9:23 am
nice messege
10 December 2008 at 10:01 am
ओह ! यह बात तो छोटी सी नहीं रह गई । बहुत भयंकर हो गई ! बेचारी बत्तख ! बेचारे बच्चे ! सीख यह मिलती है कि आँख बंद करके माँ के भी पीछे नहीं चला जा सकता ।
घुघूती बासूती
10 December 2008 at 10:31 am
Bahoot Khoob....
Tasvir ne vah kahaa jise shabd naa kah paay.
10 December 2008 at 10:48 am
बहुत दुःख और अफसोसजनक घटना हुई ये तो ! शायद घुघूती बासूती जी की बात को ही दोहराना चाहूँगा !
रामराम !
10 December 2008 at 11:59 am
"उफ़ दिल बहुत दुखी हुआ इस चित्र को देख कर... अब क्या करें इस बेचारी माँ के लिए.."
regards
10 December 2008 at 1:27 pm
चित्र तो निस्सन्देह सुन्दर है किन्तु घटना और उसकी परिणती पीडादायक है ।
10 December 2008 at 1:57 pm
बहुत अफसोसजनक घटना
10 December 2008 at 2:08 pm
कोई तरीका सोचो बचाने का इन्हे ..बुरा है यह तो .
10 December 2008 at 2:24 pm
बहुत बुरा हुआ जी बतख के साथ।
10 December 2008 at 2:55 pm
राज जी,
जिसने कैमरा थामा हुआ था उसने बचाने की कोशिश क्यूं नहीं की ?
10 December 2008 at 3:45 pm
आज कल की फेशनेबल माँ के साथ भी ऐसा हो सकता है संभल कर चलो बच्चो के साथ
10 December 2008 at 4:12 pm
क्या तस्वीरें सही हैं?..सच में कैमरे वाले ने बचाने की कोशिश की या नहीं?
10 December 2008 at 5:59 pm
तस्वीरें बहुत सुंदर हैं. दुख इस बात का है कि बच्चों के विश्वास पर आँच आ गयी.उनको क्या मालूम कि अम्मा को अकल भैंस के बराबर भी नहीं है.
10 December 2008 at 8:39 pm
मुझे पता तो नही इन बच्चो का लेकिन जब हम ने यह चित्र देखा तो सब ने यही सोचा कि इस फ़ोटो ग्राफ़र ने जरुर इन्हे बचाया होगा, क्योकि जो गटर आप देख रहे है इस के अन्दर एक जाली होती है, जो कि इन छेदो के पास ही होती है, ओर इस मे हाथ आराम से चला जाता है पानी तो काफ़ी दुर होता है,इन मे काफ़ी बार लोगो की चाभी बगेरा गिर जाती है, दुसरा अगर ना निकले तो लोग पुलिस को फ़ोन कर देते है, यह बच्चे जरुर बच गये होगे, अगली बार इन की कुछ ओर मजेदार फ़ोटो दिखऊगा,
10 December 2008 at 9:25 pm
हाँ साहब जो मैक़े पर हो उसे बचाना चाहिए, आजकल लोग तो इंसानों को सड़क पर अधमरा छोड़ जाते हैं।
11 December 2008 at 6:13 am
सुन्दर चित्रकथा।
12 December 2008 at 4:38 pm
हम क्या कहे, बच्चे बच गये होगे तो बहुत अच्छा लगेगा।
20 December 2008 at 9:11 am
अरे! मैं तो बहुत दुखी हो गई ये फोटो देखकर... काश वो बच्चे गये हों ...आज ही आपकी काफी सारी पोस्ट पढ़ीं...
3 November 2016 at 6:29 am
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