खुशी कुछ ऎसे भी
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राज भाटिय़ा
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चित्र
क्या बात है ? पागल हो गया है/गई है ? या किसी मुसिबत से दो चार हो कर जान छुडा कर आ रहा है/आ रही है ?? कुछ भी हो लगता/लगती बहुत खुश है
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
17 December 2008 at 3:43 am
बहुत लाजवाब !
धन्यवाद !
17 December 2008 at 4:39 am
बहुत किस्मत वाला है :)
17 December 2008 at 4:41 am
इनकी तो 'चित भी मेरी पट भी मेरी'. सुंदर. आभार.
17 December 2008 at 5:46 am
"ये भी खुब रही , खुशी का अनोखा अंदाज.."
Regards
17 December 2008 at 5:56 am
:)
17 December 2008 at 1:57 pm
प्रेम अंधा होता है। शादी आंखें खोल देती है।
इसकी कुछ ज्यादा ही खुल गयी लगती हैं।
17 December 2008 at 5:33 pm
Waaaaaaah
Waaaaaah
Mazaa aa gaya BHAI SAHEB
18 December 2008 at 9:38 pm
भाटिया साहब,
जिस तरह से
"निज कवित्त कही लग न नीका"
उसी तरह से
" निज कर्म केहि लागि फीका"
भी कहा और समझा जा सकता है.
शायद ये खुशी अपने उसी निज कर्म की है, जिस पर गर्व है.
चन्द्र मोहन गुप्त
19 December 2008 at 4:16 pm
क्या बात है राज साब...कहां से लाते हो आप भी चुन-चुन कर ये तस्वीरें
सच में किस्मत वाला है ये तस्वीर वाला
20 December 2008 at 3:14 am
इस चिट्ठे पर मेरी पहली टिप्पणी है । सभी फ़ोटो अदभुत व सारगर्भित है ।
20 December 2008 at 9:02 am
Bahut khub...
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