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खुशी कुछ ऎसे भी

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क्या बात है ? पागल हो गया है/गई है ? या किसी मुसिबत से दो चार हो कर जान छुडा कर आ रहा है/आ रही है ?? कुछ भी हो लगता/लगती बहुत खुश है

11 टिपण्णी:
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ताऊ रामपुरिया said...
17 December 2008 at 3:43 am  

बहुत लाजवाब !

धन्यवाद !

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Dr Prabhat Tandon said...
17 December 2008 at 4:39 am  

बहुत किस्मत वाला है :)

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P.N. Subramanian said...
17 December 2008 at 4:41 am  

इनकी तो 'चित भी मेरी पट भी मेरी'. सुंदर. आभार.

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seema gupta said...
17 December 2008 at 5:46 am  

"ये भी खुब रही , खुशी का अनोखा अंदाज.."

Regards

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रंजू भाटिया said...
17 December 2008 at 5:56 am  

:)

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
17 December 2008 at 1:57 pm  

प्रेम अंधा होता है। शादी आंखें खोल देती है।
इसकी कुछ ज्यादा ही खुल गयी लगती हैं।

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योगेन्द्र मौदगिल said...
17 December 2008 at 5:33 pm  

Waaaaaaah

Waaaaaah

Mazaa aa gaya BHAI SAHEB

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Mumukshh Ki Rachanain said...
18 December 2008 at 9:38 pm  

भाटिया साहब,

जिस तरह से
"निज कवित्त कही लग न नीका"
उसी तरह से
" निज कर्म केहि लागि फीका"
भी कहा और समझा जा सकता है.
शायद ये खुशी अपने उसी निज कर्म की है, जिस पर गर्व है.

चन्द्र मोहन गुप्त

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गौतम राजऋषि said...
19 December 2008 at 4:16 pm  

क्या बात है राज साब...कहां से लाते हो आप भी चुन-चुन कर ये तस्वीरें

सच में किस्मत वाला है ये तस्वीर वाला

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naresh singh said...
20 December 2008 at 3:14 am  

इस चिट्ठे पर मेरी पहली टिप्पणी है । सभी फ़ोटो अदभुत व सारगर्भित है ।

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Dr.Bhawna Kunwar said...
20 December 2008 at 9:02 am  

Bahut khub...

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