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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
23 February 2009 at 8:28 pm
वाह...
23 February 2009 at 10:13 pm
in kutton ke din na jane kab aayenge...........
:-)
24 February 2009 at 2:24 am
इस बिल्ली का ब्लॉग पता दिजियेगा. मुझे तो ताऊ की राम प्यारी लगती है. गजब दिलेरी है भाई.
24 February 2009 at 2:47 am
मुझे तो सलामी परेड का निरीक्षण स्मरण हो आया।
24 February 2009 at 2:57 am
मेरे चाचाजी के यहां भी एक कुत्ता और एक बिल्ली साथ साथ पले थे....कभी कुत्ते ने बिल्ली पर नहीं भौंका....
24 February 2009 at 3:38 am
इसका साहस, उनकी उदारता।
24 February 2009 at 6:05 am
मुझे मेरी बिल्लो की याद आ गयी, दुआ कीजिए वह वापस आ जाये!
24 February 2009 at 6:09 am
वाह जी वाह क्या कहने साहस के और उदारता के।
24 February 2009 at 6:25 am
man khush ho gyaa...is dileri ke saamne...shukriyaa
24 February 2009 at 6:31 am
हमारी रा्मप्यारी का ये कुछ नही बिगाड सकते. आखिर ताऊ की बिल्ली है कोई मजाक थोडी ही है.:)
रामराम.
24 February 2009 at 6:32 am
प्रणाम
हिम्मत है तो मुझे पकड़ के दिखाओ शायद ऐसा ही बिल्ली बोल रही है लेकिन बेचारे कुत्ते उसकी इस बहदुरी से दंग हो गए है और उसे पकड़ने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है .
बहुत सुंदर चित्र .
24 February 2009 at 7:38 am
अजी वाह्! क्या ठाठ हैं बिल्ली मौसी के.......
24 February 2009 at 8:15 am
my god......... so daring cat......
regards
24 February 2009 at 9:23 am
विष्णु बैरागी जी ने शब्द दे दिए जी. सुंदर और मजेदार. आभार.
24 February 2009 at 9:39 am
बहुत गज़ब की तस्वीर।
24 February 2009 at 2:05 pm
गज़ब की तस्वीर. वाकई दिलेरी है. इसकी हिम्मत की दाद देनी होगी.
24 February 2009 at 2:51 pm
लगता है बिल्ली कुत्तो को परेड करा रही है वाह वाह गजब
24 February 2009 at 4:16 pm
मन में हो जोश तो सब कुछ हो सकता है........
क्या चित्र लिया है आपने........साधू साधो
25 February 2009 at 6:17 am
तपस्वनी आनंद ने कहा इन कुत्तों के दिन न जाने कब आयेंगे ?निवेदन है इनके दिन कब नहीं रहे /ये सोचिये इन्सान की किस्मत इन जैसी कब होगी /संगीता पुरी जी -जानवर जानवर पर नहीं भौंकता किन्तु आदमी आदमी पर दिन रात भोंक रहा है /विनय जी कि बिल्लो के लिए मै दुआ करता हूँ /बहुत शानदार तस्वीर /
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