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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
25 February 2009 at 7:01 am
प्रणाम
हमने तो केवल बिहार और झारखण्ड में ही ऐसा देखा था की लोग जितने गाड़ी में बैठे है उतने ऊपर बैठ के ताजी हवा ले ते है . टीवी पे पहले फेविकोल का विज्ञापन आता था उसकी याद दिला दी आप ने . बेचारी गाड़ी अपने जन्म को रो रही होगी की हाय किस के पाले पड़ गयी .
25 February 2009 at 7:37 am
" ताऊ जी की गड्डी है.....यहाँ तो first come first get वाली कहावत काम करेगी....हा हा हा हा "
Regards
25 February 2009 at 7:42 am
आपने लेनदारी पेटे मेरी गाडियां जब्त करली वहां तक तो ठीक है पर अब इनमे ओवर लॊडिंग भी क्युं कर रहे हैं?:)
रामराम.
25 February 2009 at 8:14 am
ओ गाडी वाले गाडी ज़रा धीरे हांक रे.......
25 February 2009 at 8:16 am
भाटिया जी जरा ध्यान से, आगे पुलिस का नाका लगा हुआ है.कहीं चालान न करवा लेना.
25 February 2009 at 10:30 am
ताऊ की गड्डी में बैठने को जगह ही नहीं रह गई है राज जी लगता है की अब क्यों फिक्स कर जोड़ लगाकर सवारी करना पड़ेगा. बहुत ही मजेदार है . धन्यवाद राज जी
25 February 2009 at 10:31 am
ताऊ की गड्डी में बैठने को जगह ही नहीं रह गई है राज जी लगता है की अब क्यू फिक्स का जोड़ लगाकर सवारी करना पड़ेगा. बहुत ही मजेदार है . धन्यवाद राज जी
25 February 2009 at 10:46 am
ताऊ जी की गाङी को सङक सेवा बिना रोक टोक मिल रही है जरूर भारी जेब ढीली करनी पङती होगी।
25 February 2009 at 11:05 am
आगे से तो खाली पड़ी है... परे हट ४ सवारी और बैठेगी..
25 February 2009 at 11:29 am
क्या बात है।
25 February 2009 at 11:31 am
taau ji ki gaadi ...waah!
sawariyan abhi aur aa sakti hain...driver ki seat par baitha saktey hain...:D
'khair!munaafa khub ho raha hai!
25 February 2009 at 12:02 pm
ताऊ की गाडी में तो हम भी बैठे थे पर हम है कहाँ?
25 February 2009 at 12:12 pm
ओह ले भाई.......ताऊ अफ्रीका भी पहुँच गए....इब के होगा. चलो अभी तो बोनेट खाली है बहुत जगह है
25 February 2009 at 12:54 pm
जरूर बैठेंगे। पर इन सब के उतरने के बाद!
25 February 2009 at 5:33 pm
यह तो हमारे साथ अन्याय है। हमें तो छत पर ही बैठने की आदत है और आपकी गड्डी में तो वह है ही नहीं।
(भाटियाजी! आपका ब्लाग बडी मुश्किल से खुलता और वह भी काफी देर से।)
25 February 2009 at 6:18 pm
अरे बाबा रे !! क्या भीड लदी पडी है ..
- लावण्या
25 February 2009 at 8:30 pm
विष्णु बैरागी जी यह कठिनाई कई ब्लांग पर आ रही है, मै भी इस के बारे कोशिश कर रहा हुं, लेकिन मुझे जबाब आया कि यह दो चार दिनो मे अपने आप ठीक हो जायेगा, अगर नही तो मे कुछ नया करुंगा, आप का धन्यवाद मेरा ध्यान इस ओर दिलाने के लिये.
26 February 2009 at 3:42 am
... बहुत खूब, शानदार!!!!!
26 February 2009 at 4:25 am
गज़ब तेरी गाड़ीगिरी रे सरकार्।
26 February 2009 at 7:45 am
gadi damdaar hai...badhai
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