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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
23 February 2009 at 6:39 am
प्रणाम
चित्र को देख कर लगता है की एक इन्सान की जान दुसरे के हाथ में है .
पर ये ऐसा क्यों कर रहे है ,इस का कारण क्या है ?
23 February 2009 at 6:44 am
" strange....."
Regards
23 February 2009 at 6:52 am
पापी पेट जो ना कराये कम है।
23 February 2009 at 6:54 am
अजीब है. इस खतरे का क्या काम?
23 February 2009 at 7:09 am
लोग जिन्दगी को इतना सस्ता क्यूँ समझते हैं?
23 February 2009 at 7:10 am
सही जुगाडिये है जी
23 February 2009 at 7:11 am
पापी पेट का सवाल है बाबा जो न कराये सो
महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना .
23 February 2009 at 7:36 am
राज साहब
इन महोदय को यह तकनीक कहीं आपने तो नहीं बताई. क्योंकि जुगाड टेक्नोलॉजी की ओरिजिन तो भारत में ही हुई है.
23 February 2009 at 8:11 am
बचा रहा है या धक्का दे रहा है..:)
23 February 2009 at 8:36 am
अजी हम तो समझते थे कि जुगाडु प्रजाति सिर्फ भारत में ही पाई जाती है.
23 February 2009 at 8:56 am
वैसे दुनियां मे असली जुगाडिये हरयाणा मे पाये जाते हैं. जैसे उन्होने ट्रेक्टर क लाजवाब जुगाड ढूंढ रखा है. पर ये भाई तो लगता है हमको भी पीछे छोडने की फ़िराक मे हैं. :)
रामराम.
23 February 2009 at 1:12 pm
फोटू कहाँ से खड़ा होकर लिया जी...? कमाल है :)
23 February 2009 at 2:20 pm
23 February 2009 at 2:20 pm
जुगाड हर जगह मिलते है। अच्छी फोटो।
23 February 2009 at 4:25 pm
सुरक्षित ..........? अगर बचा होगा तब
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