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सुरक्षित हाथो मै

.


आप खुद ही देख ले यह सज्जन कितने सुरक्षित हाथो मै है, जुगाडिये हर देश मै मिलते है....

15 टिपण्णी:
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आलोक सिंह said...
23 February 2009 at 6:39 am  

प्रणाम
चित्र को देख कर लगता है की एक इन्सान की जान दुसरे के हाथ में है .
पर ये ऐसा क्यों कर रहे है ,इस का कारण क्या है ?

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seema gupta said...
23 February 2009 at 6:44 am  

" strange....."

Regards

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
23 February 2009 at 6:52 am  

पापी पेट जो ना कराये कम है।

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Himanshu Pandey said...
23 February 2009 at 6:54 am  

अजीब है. इस खतरे का क्या काम?

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Shikha Deepak said...
23 February 2009 at 7:09 am  

लोग जिन्दगी को इतना सस्ता क्यूँ समझते हैं?

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कुश said...
23 February 2009 at 7:10 am  

सही जुगाडिये है जी

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महेन्द्र मिश्र said...
23 February 2009 at 7:11 am  

पापी पेट का सवाल है बाबा जो न कराये सो
महाशिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामना .

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इष्ट देव सांकृत्यायन said...
23 February 2009 at 7:36 am  

राज साहब
इन महोदय को यह तकनीक कहीं आपने तो नहीं बताई. क्योंकि जुगाड टेक्नोलॉजी की ओरिजिन तो भारत में ही हुई है.

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Anonymous said...
23 February 2009 at 8:11 am  

बचा रहा है या धक्का दे रहा है..:)

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
23 February 2009 at 8:36 am  

अजी हम तो समझते थे कि जुगाडु प्रजाति सिर्फ भारत में ही पाई जाती है.

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ताऊ रामपुरिया said...
23 February 2009 at 8:56 am  

वैसे दुनियां मे असली जुगाडिये हरयाणा मे पाये जाते हैं. जैसे उन्होने ट्रेक्टर क लाजवाब जुगाड ढूंढ रखा है. पर ये भाई तो लगता है हमको भी पीछे छोडने की फ़िराक मे हैं. :)

रामराम.

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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...
23 February 2009 at 1:12 pm  

फोटू कहाँ से खड़ा होकर लिया जी...? कमाल है :)

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सुशील छौक्कर said...
23 February 2009 at 2:20 pm  
This comment has been removed by the author.
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सुशील छौक्कर said...
23 February 2009 at 2:20 pm  

जुगाड हर जगह मिलते है। अच्छी फोटो।

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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...
23 February 2009 at 4:25 pm  

सुरक्षित ..........? अगर बचा होगा तब

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