आत्महत्या???
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राज भाटिय़ा
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चित्र
यह देखो लोग केसे मोत के मुंह मे जाते है....... अरे मियां लडाई हर घर मै होती है, क्योकि छोटी सी बात पर ........ राम राम राम
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
22 January 2009 at 2:55 am
राम राम . सच मे हिम्मती है . बीबी से मुकाबला करने से आसान है अपना सर फरोश करना
22 January 2009 at 3:42 am
जाने दो भई, छोटी सी बात पर क्या झगड़ना.
22 January 2009 at 3:53 am
शायद ये महाराज समझ रहे हैं कि कोई चिडिया इनके दांतो मे फ़ंसी हड्डी निकाल रही है. जब भी इनको याद आ गया कि ये इनका लजीज लंच बन सकता है तब तक ही खैर है. :)
रामराम.
22 January 2009 at 4:38 am
मुहब्बत को आत्महत्या कहा। रामं! राम!
22 January 2009 at 5:20 am
उफ़ कितना दिल वाला है यह :)
22 January 2009 at 5:31 am
बड़ी हिम्मत है!
22 January 2009 at 5:32 am
"भगवान ही मालिक है .अब ...."
Regards
22 January 2009 at 5:37 am
मैंने गौर से देख रहा था लगा जैसे नजर का भ्रम है। जिराफ थोडा दूर है। सच क्या ऐसा है? फोटो बहुत ही जबरद्स्त है।
22 January 2009 at 5:47 am
मुझे लगता है कि वह अपने मुँह की बद-बू की जांच करवा रहा है
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
22 January 2009 at 6:28 am
मेरे ख्याल से दोनों एक दुसरे का हाल चाल पूछ रहे हैं| अब हिप्पो HI भी बोलेगा तो मुहं तो फाड़ना ही पड़ेगा!!
22 January 2009 at 7:36 am
महाश्क्ती वाला किस तो नहीं कर रहें कहीं?
22 January 2009 at 7:39 am
वाह !!!! कमाल की फोटोग्राफी है।
22 January 2009 at 3:20 pm
नहीं जी, ड़रने की कोई बात नहीं है। बस बात करते-करते उबासी (जमहाई) आगयी जरा सी।
22 January 2009 at 3:43 pm
विनय की बात में दम है राज जी !
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