सिर्फ़ दो शब्दो की कविता
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राज भाटिय़ा
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कविता
प्रेम, विवाह ओर उस का पारिणाम
यह कविता मुझे नेट पर घुमते फ़िरते मिल गई, मन को भायी, सोचा आप सब की नजर भी कर दुं.
कवि का नाम है **हुक्का बिजनोरी**
दो शब्दो की यह कविता, पहली दो पक्तियां प्रेम को दर्शाती है... बाकी.....
क्षमा याचना चाहुगां, जिस की भी यह रचना हो, अगर उन्हे एतराज हुआ तो एक दम से यह रचना हटा ली जायेगी, लेकिन लिखने वाले ने दो शब्दो मै कमाल कर दिया...
तो लिजिये हाजिर है..
तू
मै
तूमै
तू तू मै मै
************** :)
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
6 January 2009 at 9:46 am
हकीकत बयान करती है यह कविता.
6 January 2009 at 10:08 am
वाह राज भाई वाह ग़ागर में सागर है यह कविता, हुक्का जी को मेरी शुभकामनाएं इतनी बढ़िया कविता लिखने के लिए।
6 January 2009 at 10:40 am
बहुत बढ़िया ...बस दो लाइन में ही इसने सारा कुछ कह दिया....
6 January 2009 at 11:25 am
हा हा हा प्रेम विवाह की वास्तविक परिणिति .....
regards
6 January 2009 at 11:30 am
हा हा हा हा सही कहा.........
6 January 2009 at 11:40 am
कहाँ कहाँ से ढूढ लाते है ऐसे नायब हीरे!
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
6 January 2009 at 12:33 pm
एक कविता प्रेम न करने वालों पर
न तू
न मैं
न तू तू
न मैं मैं
बस है तो एक सन्नाटा
कम से कम वहाँ तो
जहाँ प्रेम होना चाहिए था।
घुघूती बासूती
6 January 2009 at 12:40 pm
बहुत बढिया जी,
लाजवाब.
रामराम.
6 January 2009 at 12:43 pm
मैं और मैं का अहम् तू ही दर्शाता है ..बढ़िया है यह
6 January 2009 at 1:25 pm
yahee तो haayikoo है !
6 January 2009 at 1:45 pm
अजीम शायर हुक्का बिजनौरी को हमारा सलाम!
6 January 2009 at 2:02 pm
जवाब इल्ले
6 January 2009 at 2:32 pm
प्रेम करने वालों की ऐसी खिल्ली...?
वही उड़ाते जिनके लिए रही है दूर बहुत ही दिल्ली... :)
6 January 2009 at 2:39 pm
कौन कहता है कि कम शब्दों में अफसाना बयां नहीं होता।
6 January 2009 at 2:39 pm
वाह। ...........।
6 January 2009 at 3:08 pm
वाह वाह साब तू तू मै मै ......यानि की कबड्डी का मैदान है हा हा हा
6 January 2009 at 3:26 pm
yah to bahut hi khuub hai!
micro kavita 'tu-main' mein kahaniyan kah gayee!
6 January 2009 at 4:07 pm
न तू तू
न मैं मैं
न मैं
न तू
बस---हम
6 January 2009 at 4:52 pm
वाह जी भाटिया साहब क्या बात है
कितनी अच्छी कविता
इसे कहते हैं कि कम लिखे में बहुत ही ज्यादा अर्थ एक सार्थक ज्ञानवर्धक कविता के लिए बारम्बार बधाई
6 January 2009 at 7:58 pm
वाह जी वाह...राज साहेब...वाह...
नीरज
27 October 2009 at 11:03 am
Saargarbhit Kavita hai
Gahan chintan ke liye kotshah Sadhuvad
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