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सिर्फ़ दो शब्दो की कविता

.

प्रेम, विवाह ओर उस का पारिणाम
यह कविता मुझे नेट पर घुमते फ़िरते मिल गई, मन को भायी, सोचा आप सब की नजर भी कर दुं.
कवि का नाम है **हुक्का बिजनोरी**
दो शब्दो की यह कविता, पहली दो पक्तियां प्रेम को दर्शाती है... बाकी.....
क्षमा याचना चाहुगां, जिस की भी यह रचना हो, अगर उन्हे एतराज हुआ तो एक दम से यह रचना हटा ली जायेगी, लेकिन लिखने वाले ने दो शब्दो मै कमाल कर दिया...
तो लिजिये हाजिर है..

तू
मै
तूमै
तू तू मै मै
************** :)

21 टिपण्णी:
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Unknown said...
6 January 2009 at 9:46 am  

हकीकत बयान करती है यह कविता.

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Prakash Badal said...
6 January 2009 at 10:08 am  

वाह राज भाई वाह ग़ागर में सागर है यह कविता, हुक्का जी को मेरी शुभकामनाएं इतनी बढ़िया कविता लिखने के लिए।

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Unknown said...
6 January 2009 at 10:40 am  

बहुत बढ़िया ...बस दो लाइन में ही इसने सारा कुछ कह दिया....

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seema gupta said...
6 January 2009 at 11:25 am  

हा हा हा प्रेम विवाह की वास्तविक परिणिति .....
regards

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anuradha srivastav said...
6 January 2009 at 11:30 am  

हा हा हा हा सही कहा.........

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Vinay said...
6 January 2009 at 11:40 am  

कहाँ कहाँ से ढूढ लाते है ऐसे नायब हीरे!

---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

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ghughutibasuti said...
6 January 2009 at 12:33 pm  

एक कविता प्रेम न करने वालों पर
न तू
न मैं
न तू तू
न मैं मैं
बस है तो एक सन्नाटा
कम से कम वहाँ तो
जहाँ प्रेम होना चाहिए था।
घुघूती बासूती

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ताऊ रामपुरिया said...
6 January 2009 at 12:40 pm  

बहुत बढिया जी,
लाजवाब.

रामराम.

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रंजू भाटिया said...
6 January 2009 at 12:43 pm  

मैं और मैं का अहम् तू ही दर्शाता है ..बढ़िया है यह

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Arvind Mishra said...
6 January 2009 at 1:25 pm  

yahee तो haayikoo है !

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Smart Indian said...
6 January 2009 at 1:45 pm  

अजीम शायर हुक्का बिजनौरी को हमारा सलाम!

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Anonymous said...
6 January 2009 at 2:02 pm  

जवाब इल्ले

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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...
6 January 2009 at 2:32 pm  

प्रेम करने वालों की ऐसी खिल्ली...?
वही उड़ाते जिनके लिए रही है दूर बहुत ही दिल्ली... :)

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
6 January 2009 at 2:39 pm  

कौन कहता है कि कम शब्दों में अफसाना बयां नहीं होता।

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सुशील छौक्कर said...
6 January 2009 at 2:39 pm  

वाह। ...........।

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समयचक्र said...
6 January 2009 at 3:08 pm  

वाह वाह साब तू तू मै मै ......यानि की कबड्डी का मैदान है हा हा हा

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Alpana Verma said...
6 January 2009 at 3:26 pm  

yah to bahut hi khuub hai!
micro kavita 'tu-main' mein kahaniyan kah gayee!

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ब्रजेश said...
6 January 2009 at 4:07 pm  

न तू तू
न मैं मैं
न मैं
न तू
बस---हम

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मोहन वशिष्‍ठ said...
6 January 2009 at 4:52 pm  

वाह जी भाटिया साहब क्‍या बात है
कितनी अच्‍छी कविता
इसे कहते हैं कि कम लिखे में बहुत ही ज्‍यादा अर्थ एक सार्थक ज्ञानवर्धक कविता के लिए बारम्‍बार बधाई

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नीरज गोस्वामी said...
6 January 2009 at 7:58 pm  

वाह जी वाह...राज साहेब...वाह...
नीरज

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S R Bharti said...
27 October 2009 at 11:03 am  

Saargarbhit Kavita hai
Gahan chintan ke liye kotshah Sadhuvad

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