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आ जाओ माँ.....(सत्यम शिवम)

स्वर मेरा अब दबने लगा है,
कंठ से राग ना फूटे,
अंतरमन में ज्योत जला दो,
कही ये आश ना टूटे।
तु प्रकाशित ज्ञान का सूरज,
मै हूँ अज्ञानता का तिमीर,
ज्ञानप्रदाता,विद्यादेही तु,
मै बस इक तुच्छ बूँद सा नीर।

विणावादिनी,हँसवाहिनी!
तुझसे है मेरा नाता,
बिना साज,संगीत बिना भी,
हर दम मै ये गाता।

तेरा पुत्र अहम् में माता,
भूल गया है स्नेह तुम्हारा,
भूल गया है ज्ञान,विद्या,
धन लोभ से अब है हारा।

आ जाओ माँ आश ना टूटे,
दिल के तार ना रुठे,
कही तुम बिन माँ तड़प तड़प के,
प्राण का डोर ना छुटे।

9 टिपण्णी:
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प्रवीण पाण्डेय said...
7 February 2011 at 10:46 am  

माँ का आशीर्वाद सबको प्राप्त हो।

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निर्मला कपिला said...
8 February 2011 at 4:44 am  

बहुत सुन्दर रचना है। माँ का आशीर्वाद और आशा बनी रहे। सत्यम जी को बधाई।

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vandana gupta said...
8 February 2011 at 8:05 am  

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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ZEAL said...
8 February 2011 at 12:43 pm  

माँ पर लिखी गयी बेहतरीन और भावुक कर देने वाली उम्दा रचना !

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Anonymous said...
8 February 2011 at 5:41 pm  

बहुत ही भावपूर्ण रचना!
बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!

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Chaitanyaa Sharma said...
8 February 2011 at 7:09 pm  

सुंदर कविता
माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें

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राज भाटिय़ा said...
8 February 2011 at 10:00 pm  

बहुत ही सुंदर मा सरस्वती की वंदना, आप को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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वाणी गीत said...
9 February 2011 at 3:50 am  

माँ शारदे सब पर कृपा करें !

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Unknown said...
3 November 2016 at 4:09 am  



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