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मुस्कान

.

आज का विचार....
कभी कभी आप की एक मुस्कान, मरुस्थल में जल की बूंद जैसी लाभदायक सिद्ध हो सकती है.
कभी किसी दिन अपने गुस्से पर काबू कर के अपने किसी कर्मचारी,किसी दुखी, किसी गरीब को सिर्फ़ एक प्यारी मुस्कान दे कर दो देखॊ.....
आज यह सुंदर विचार मेरे नये लेपटाप की पहली पोस्ट बना, मेरे बच्चो ने सब से पहले इसे हिन्दी मै काम करने के लिये सेट किया

25 टिपण्णी:
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शरद कोकास said...
30 October 2009 at 12:35 am  

लेकिन यह मुस्कान दिल से होनी चाहिये वरना नकली मुस्कान दिखाई देगी । अच्छा विचार है ।

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M VERMA said...
30 October 2009 at 1:56 am  

मुस्कान निश्छ्ल् हो तो क्या कहने
लगता है नये लैपटाप का उद्घाटन किया है.

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ताऊ रामपुरिया said...
30 October 2009 at 2:58 am  

बहुत सुंदर और उपयोगी विचार.

रामराम.

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Udan Tashtari said...
30 October 2009 at 3:20 am  

सही है बिल्कुल!

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संगीता पुरी said...
30 October 2009 at 3:23 am  

बहुत बढिया विचार .. इसे पढना अच्‍छा लग रहा है !!

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वाणी गीत said...
30 October 2009 at 4:16 am  

बरबस मुस्कान आ ही गयी है ...!!

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विनोद कुमार पांडेय said...
30 October 2009 at 4:19 am  

किसी को मुस्कान देना एक बहुत सार्थक कार्य है..बहुत बढ़िया विचार..धन्यवाद!!

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Murari Pareek said...
30 October 2009 at 4:50 am  

बहुत सुन्दर विचार आज के, पर कभी कभी दफ्तर में कर्मचारी की तरफ देखकर मुस्कुराने से करम चारी गलत समझ जाता है, और दुसरे करम चारी से काना फूसी करने लगता है : लगता है आज इस खडूस की नियत में कुछ काला है , इसलिए हमेशां ही मुस्कुराना और बेहतर है!!

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डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...
30 October 2009 at 5:23 am  

bahut badhiya vichaar......... hai.........

aaapko naye laptop ki bahut bahut badhai........

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mehek said...
30 October 2009 at 5:32 am  

sahi baat ek muskan kisi ka din bana de,aur naye laptop ke liye ghani badhai.

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Unknown said...
30 October 2009 at 5:41 am  

उत्तम विचार !
केवल पठनीय नहीं
जीवन में आत्मसात करने योग्य
बधाई आपको !

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Unknown said...
30 October 2009 at 5:42 am  

बहुत सही बात कही है राज जी आपने!

किसी को मुसकान देने में कुछ खर्च नहीं होता तो भी लोग इसे देने में कंजूसी करते हैं।

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Dr. Zakir Ali Rajnish said...
30 October 2009 at 7:12 am  

आपका सुंदर विचार पढ कर मेरे चेहरे पर भी मुस्कान की लालिमा फैल गयी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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ज्योति सिंह said...
30 October 2009 at 10:10 am  

bahut sunar vichar aur uttam bhi

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
30 October 2009 at 10:29 am  

बहुत ही सुन्दर एवं आत्मसात करने योग्य विचार.....

भाटिया जी, नये लैपटाप के उदघाटन पर मुँह मीठा नहीं करवाएंगे क्या ? :)

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सुशील छौक्कर said...
30 October 2009 at 10:35 am  

सोलह आने सच्ची बात।

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मनोज कुमार said...
31 October 2009 at 3:05 am  

सही बात है।

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दिगम्बर नासवा said...
31 October 2009 at 5:42 pm  

BHATIYA JI ....... SACG LIKHA HAI .... KAI KAI BAAR KADI SE KADI MEHNAT BHI VO KAAM NAHI KAR SAKTI JO IK MUSKAAN KAR DETI HAI .....

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Aadarsh Rathore said...
1 November 2009 at 1:08 am  

धन्य हैं आप... :)

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कडुवासच said...
1 November 2009 at 1:47 pm  

... prabhaavashaali abhivyakti !!!!!

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निर्मला कपिला said...
4 November 2009 at 5:17 am  

बिलकुल सही विचार धन्यवाद्

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लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...
4 November 2009 at 4:27 pm  

पढ़ते ही मुस्कराहट दौड़ गई....

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Pawan Kumar said...
5 November 2009 at 6:48 am  

छोटी छोटी सी
बातें कभी कभी जिंदगी के मायने बदल जाती हैं....बहुत सही कहा आपने

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Reetika said...
14 November 2009 at 11:59 am  

ek choti si hansi... kya kar guzarti hai ...

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Unknown said...
3 November 2016 at 4:34 am  


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