विचार
.
राज भाटिय़ा
.
विचार
आज का विचार....
जो सदा प्रसन्न रहता है,उस के अन्दर आलस्य नही हो सकता, आलस्य सब से बडा दुर्गुण है.
Post a Comment
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
टिप्पणी में परेशानी है तो यहां क्लिक करें..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
7 October 2009 at 6:51 pm
आलस्य मनुष्य के विकास का सबसे बड़ा बाधक है..अगर जीवन में तरक्की करनी है तो सबसे पहले आलस्य का त्याग करना होगा और प्रसन्नता तो मिलेगी ही अगर हम तरक्की करें तो..
बहुत बढ़िया विचार....धन्यवाद!!
7 October 2009 at 6:58 pm
शंभर टक्के खरी गोष्ठ केली राज साहब। एकदम बरोबर।
7 October 2009 at 7:08 pm
भैय्या कोई टाइम फिक्स कर दो. यह तो जरूरी है.
7 October 2009 at 7:16 pm
सहमत.
7 October 2009 at 7:19 pm
सत्य वचन
7 October 2009 at 7:26 pm
ये तो है जी कि आलस्य शुभ फलों में बाधक होता है। और सुबह रोज 5 बजे का अलार्म भरकर सोते है पर पता नही नींद में कब बँद कर देते है।
7 October 2009 at 7:51 pm
सच कहा आलस इंसान की उन्नति में सब से बड़ी बाधा है .......
7 October 2009 at 7:54 pm
ईश्वर की कृपा से इस मामले मे अपन थोड़ा ज्यादा तक़दीर वाले हैं।पहले तो ब्लाग तक़ दूसरे से लिखवाते थे।
7 October 2009 at 8:21 pm
sahi alasya insaan ka sabse bada shatru hai,sunder vichar.
7 October 2009 at 8:24 pm
सही है, आभार.
7 October 2009 at 9:05 pm
सदा प्रसन्न रहे भाटिया जी ।
7 October 2009 at 9:18 pm
सत्य वचन्!!
आभार्!
7 October 2009 at 9:55 pm
बहुत सुन्दर और जीवन उप्योगी
thankx....
7 October 2009 at 10:19 pm
bataiye neend hee naheen aa rahee
8 October 2009 at 12:40 am
sahi kaha hai aapne.
8 October 2009 at 4:33 am
बहुत सुंदर.
रामराम.
8 October 2009 at 5:37 am
बहुत सुन्दर और सत्य विचार
regards
8 October 2009 at 2:28 pm
आलस का सीधा सम्बन्ध ऊब से होता है
9 October 2009 at 4:28 pm
आलस्य मनुष्य का मीठा शत्रु है !
12 October 2009 at 10:17 pm
सत्य वचन्!!
आभार्!
Post a Comment