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विचार

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आज का विचार....
जो सदा प्रसन्न रहता है,उस के अन्दर आलस्य नही हो सकता, आलस्य सब से बडा दुर्गुण है.

20 टिपण्णी:
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विनोद कुमार पांडेय said...
7 October 2009 at 6:51 pm  

आलस्य मनुष्य के विकास का सबसे बड़ा बाधक है..अगर जीवन में तरक्की करनी है तो सबसे पहले आलस्य का त्याग करना होगा और प्रसन्नता तो मिलेगी ही अगर हम तरक्की करें तो..

बहुत बढ़िया विचार....धन्यवाद!!

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बवाल said...
7 October 2009 at 6:58 pm  

शंभर टक्के खरी गोष्ठ केली राज साहब। एकदम बरोबर।

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P.N. Subramanian said...
7 October 2009 at 7:08 pm  

भैय्या कोई टाइम फिक्स कर दो. यह तो जरूरी है.

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Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...
7 October 2009 at 7:16 pm  

सहमत.

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राजीव तनेजा said...
7 October 2009 at 7:19 pm  

सत्य वचन

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सुशील छौक्कर said...
7 October 2009 at 7:26 pm  

ये तो है जी कि आलस्य शुभ फलों में बाधक होता है। और सुबह रोज 5 बजे का अलार्म भरकर सोते है पर पता नही नींद में कब बँद कर देते है।

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दिगम्बर नासवा said...
7 October 2009 at 7:51 pm  

सच कहा आलस इंसान की उन्नति में सब से बड़ी बाधा है .......

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Anil Pusadkar said...
7 October 2009 at 7:54 pm  

ईश्वर की कृपा से इस मामले मे अपन थोड़ा ज्यादा तक़दीर वाले हैं।पहले तो ब्लाग तक़ दूसरे से लिखवाते थे।

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mehek said...
7 October 2009 at 8:21 pm  

sahi alasya insaan ka sabse bada shatru hai,sunder vichar.

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Udan Tashtari said...
7 October 2009 at 8:24 pm  

सही है, आभार.

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शरद कोकास said...
7 October 2009 at 9:05 pm  

सदा प्रसन्न रहे भाटिया जी ।

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
7 October 2009 at 9:18 pm  

सत्य वचन्!!
आभार्!

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हें प्रभु यह तेरापंथ said...
7 October 2009 at 9:55 pm  

बहुत सुन्दर और जीवन उप्योगी
thankx....

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बाल भवन जबलपुर said...
7 October 2009 at 10:19 pm  

bataiye neend hee naheen aa rahee

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Rakesh Singh - राकेश सिंह said...
8 October 2009 at 12:40 am  

sahi kaha hai aapne.

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ताऊ रामपुरिया said...
8 October 2009 at 4:33 am  

बहुत सुंदर.

रामराम.

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seema gupta said...
8 October 2009 at 5:37 am  

बहुत सुन्दर और सत्य विचार

regards

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डॉ महेश सिन्हा said...
8 October 2009 at 2:28 pm  

आलस का सीधा सम्बन्ध ऊब से होता है

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Murari Pareek said...
9 October 2009 at 4:28 pm  

आलस्य मनुष्य का मीठा शत्रु है !

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स्वप्न मञ्जूषा said...
12 October 2009 at 10:17 pm  

सत्य वचन्!!
आभार्!

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