मेरी अकस्मात भारत यात्रा....
मेरी अकस्मात भारत यात्रा....
आज १८ जुलाई का दिन , मै घर पर ही था कि सुबह सुबह फ़ोन बजा, इतनी सुबह फ़ोन हमारे यहां कभी नही आते, देखा तो भारत से था, एक मिस काल, मेने झट से वापिस फ़ोन किया, तो भाई कि बीबी बोली मेने ज्यादा ध्यान नही दिया, ओर सुबह सात बजे ओफ़िस चला गया, लेकिन आज कुछ अच्छा नही लगा, तो मै तीन बजे ही घर आ गया ओर दोवारा घर फ़ोन किया इस बार भाई से बात हुयी, काफ़ी देर तक बात हुयी, फ़िर फ़ोन रख दिया, फ़िर थोडी देर बाद फ़ोन मिलाया, फ़िर काफ़ी पूछता रहा, मां के बारे, एक एक बात पुछी, फ़िर फ़ोन काटा, ओर फ़िर अपने परिवारिक ड्रा से सलाह मांगी ( यहां ड्रा से ऎसी सलाह मांगनी मना है ओर ड्रा लोग बताते भी नही) लेकिन हमारा ड्रा तीस साल से एक ही है, ओर अच्छी जान पहचान है, उस से बात कर के तस्सली नही हुयी, फ़िर भाई को बार बार फ़ोन किया,इतना परेशान तो मै कभी नही हुया,
फ़िर सोचने लगा कि किसे फ़ोन करुं... यहां तो सभी मेरे जेसे ही अंजान है, फ़िर मुझे ताऊ ( राम पुरिया जी ) की याद आई, मेने झट से उन्हे फ़ोन मिलाया, लेकिन उन का मोबाईल बन्द, दुसरे ना० पर मिलाया वो भी बन्द, फ़िर मन ही मन बुदबुदाया अरे ताऊ कहा मर गया, आज तो मुझे तेरी सख्त जरुरत है, फ़िर समय देखा, ओर ताऊ के घर का ना० मिलाया सोचा ताई उठायेगी तो पहले तो माफ़ी मांगुगां, फ़िर ताऊ के बारे पुछूंगा, लेकिन ताई को पुकारुगां किस सम्बोधंन से?? ओर मेने ताऊ के घर का न० मिलाया, अरे बिना घंटी बजे ही उधर से ताऊ की आवाज आई, तो मेने ताऊ से सारी बात चीत की ,ओर उन्हे सारी बात बताई, फ़िर भाई को फ़ोन लगाया, फ़िर ताऊ को , फ़िर भाई को फ़िर ताऊ को.... फ़िर ताऊ से मांफ़ी मांगी की आज आप को तंग कर रहा हुं, फ़िर ताऊ राम पुरिया जी ने सलाह दी कि भाटिया जी अब देर मत करो , मत सोचो.... बस जल्द से जल्द घर पहुचो....
मेने ताऊ जी को बताया कि मै तो दोपहर से सीट ढुंढ रहा हुं, लेकिन छुट्टियो कि वजह से मुझे किसी भी हवाई जहाज मै जगह नही मिल रही, ओर अगर मिलती है तो हद से ज्यादा मंहगी, लेकिन मेने अपने भाई को बोल दिया कि मै कल या परसो सुबह तक हर हालात मै पहुच जाऊगां, मेने सभी एयर लाईन ओफ़िस को फ़ोन लगाया, इन्टर्नेट मै खुब ढुंढा.... लेकिन सब ओर से निराशा, ओर अगर टिकट मिलती है तो एयर ईंडिया कि ओर वो भी हद से मंहगी.... करुं तो क्या करूं ? फ़िर थक गया, रात के करीब दस बज गये,
सब सोने चले गये, मुझे नींद नही आ रही थी, फ़िर उठा... ओर इस बार फ़िर से सब जगह गया तो एक सीट मुझे Fin Air मै मिली, दाम तो ठीक ठाक था, ओर समय भी अन्य एयर लाईन से कम लग रहा था, दुसरी सीट मिली अरब अमीरात की, लेकिन इस एयर लाईन मै मै जाना नही चाहता था, फ़िर मेने फ़िन एयर की सीट चेक कि, समय चेक किया, सब जगह अच्छी तरह से देखा, ओर टिकट बुक कर दी, साथ मै होम बेंकिग से पेसे भी दे दिये, करीब ३,४ मिंन्ट बाद ही मुझे सीट मिल गई.
२० तारेख को जाना निश्च्य हुआ, ओर २१ की सुबह ३ ओर ४ के बीच भारत पहुचना था, सोम बार सुबह बच्चे मुझे एयर पोर्ट छोड आये, कहां तो सीधी फ़लाईट ७ घंटॆ मै भारत पहुच जाता हुं, ओर कहा इस बार १८ घंटे.. चलिये पहले हम फ़िन लेंड गये हवाई जहाज से, फ़िर कुछ समय फ़िन लेंड मै बिता कर( इस बीच मै शहर घुम आया) फ़िर वहा से मास्को होते हुये भारत पहुये,हमे जहाज मै ही इस बार एक फ़ार्म एक्स्ट्रा मिला, जो स्वाईन फ़लू का था, मेने क्या सब ने उसे भर, जब हम एयर पोर्ट पर उतरे ओर देख कर हेरान रह गये कि चारो ओर लोग मास्क लग कर घुम रहे है, ओर खुब पुछ ताछ हो रही है, मुझे यह सब पाखंड लगा, ओर है भी, क्योकि यह सब सिर्फ़ भारत मै ही है, एयर पोर्ट से बाहर निकते ही गंदगी के ढेर चारो ओर स्वागत करते है,अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो...., पीने का पानी गंदा, बोतल का पानी नकली, हर चीज मे मिलाबट, फ़िर एयर पोर्ट पर यह पाखंड नही तो क्या,दुध की बनी चाय पीते डर लगता है, पता नही कही हम जहर तो नही पी रहे, साफ़ पानी पीते डर लगता है, बोतल का पानी बदबू मार रहा होता है, लेकिन स्वाई फ़लू के डर दिखा कर करोडो रुपया खर्च कर के दिखावा जरुर करेगे, जिस का कोई लाभ नही, हम लोगो ने इसे एक बहुत बडा होवा बना दिया,जब कि वापसी मै किसी भी ऎयर पोर्ट पर ऎसी कोई ढाकोसले बाजी नही दिखी, कोई फ़ार्म नही भरा,कोई मास्क लगा आदमी नही दिखा........
दिल्ली एयर पोर्ट से टेकसी ले कर सीधे ६३० तक रोहतक घर पहुच गये .
क्रमश.....
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21 August 2009 at 8:16 pm
आपकी बात सच है। स्वाईन के नाम पर हौवा तो खडा ही किया गया है। लेकिन यह भी सच है कि यदि इतना शोर शराबा न होता तो आम जनता उतनी सजग भी न होती और न ही इतना कंट्रोल लिया जाता।
दूसरी ओर स्वाईन से ज्यादा और कई ऐसी बीमारीयां है जो कि बहुत ज्यादा मौतों का कारण है। उन पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है।
21 August 2009 at 9:24 pm
पढ़ रहा हूं, भाटिया जी।
21 August 2009 at 9:26 pm
क्या कहें दूरियां और दूर हो रही हैं
21 August 2009 at 10:11 pm
आप अस्वस्थ हैं ऐसा अलबेला खत्री जी बता रहे हैं
-- आशा है आप ठीक ठाक हैं --
ना जाने भारत कब स्वच्छ देश बनेगा ?
आप ने जो लिखा है सब सच ही है
- लावण्या
21 August 2009 at 10:16 pm
aap ke aswasth hone ki khabar Albela ji ki post mein padhi..get well soon Sir.
22 August 2009 at 1:55 am
लो जी यह बहु प्रतीक्षित संस्मरण आपने शुरू भी कर दिया -मतलब तबीयत अब अच्छी है ! पर टेक केयर !
22 August 2009 at 3:39 am
अपनी अस्वस्थता को राज मत रखिए
हमें भी अपने दुख में साझीदार समझिए
22 August 2009 at 3:48 am
इंतजार है आगे रोहतक का....
22 August 2009 at 4:18 am
आपको स्वस्थ देखकर अच्छा लगा ...संस्मरण की अगली किस्त का इन्जार रहेगा ..!!
22 August 2009 at 4:55 am
किताबी बातों और हकीकत मे यही तो अन्तर होता है।
बढ़िया पोस्ट है।
बधाई।
22 August 2009 at 5:16 am
आगे बताईये..पढ़ रहे हैं..आज सुना कि अब आपकी तबीयत नासाज है. जल्द स्वस्थ हों.
22 August 2009 at 6:48 am
आज अच्छा लग रहा है आपकी पोस्ट पढ कर. अब तबियत भी लिखने के मूड मे आरही है. मतलब अब आपके दर्शन रोज होते रहेंगे. बस आप ऐसे ही लिखते रहें. आपके संस्मरण लिखने की शैली बडी जोरदार है. आगे का ईंतजार करते हैं. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
22 August 2009 at 11:58 am
चलिए आपकी ये पोस्ट देखकर मन को तसल्ली हुई कि आप अब स्वस्थ हैं! यात्रा संस्मरण आपने अच्छे तरीके से लिखा है।
टेक केयर्!!
22 August 2009 at 12:09 pm
माता जी के बारे में पढ़ा था !
22 August 2009 at 12:25 pm
स्वच्छ भारत देश की कल्पना बहुत ही उम्दा सोच है आपकी इस सोच का स्वागत है . यात्रा संस्मरण पढ़े और आगे की कड़ी की प्रतीक्षा में . काफी दिनों के बाद आपको अपनों के बीच पाकर बहुत अच्चा फील हुआ . आभार.
22 August 2009 at 12:25 pm
ये भारत देश है मेरा …
22 August 2009 at 3:52 pm
उम्मीद है आपकी तबियत अब ठीक होगी.. आगे की कड़ी का इंतजार..
शुभकामनाऐं.
22 August 2009 at 3:58 pm
आप पूरी तरह स्वस्थ हो पूरे जोशो-खरोश से हमारे बीच रहें यही कामना है।
22 August 2009 at 9:18 pm
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद
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