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कर्मो की सजा ????

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सलहा बुरी नही.....

14 टिपण्णी:
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दिगम्बर नासवा said...
26 June 2009 at 9:46 am  

मजेदार भाटिया जी.............. शुक्र है हमारे बच्चे ऐसे नहीं थे अपने बचपन में.............

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रंजन said...
26 June 2009 at 9:54 am  

बहुत बेहुदा विज्ञापन... बच्चों कि इतनी नकारात्मक छवी? क्या कहना चाहता है.. बच्चों मत पैदा करो?

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परमजीत सिहँ बाली said...
26 June 2009 at 10:09 am  

ऐसे बच्चे बेबस कर देते हैं मां बाप को।

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विनोद कुमार पांडेय said...
26 June 2009 at 10:11 am  

कितने स्वरूप बदल गये है,
आधुनिक भावी पीढ़ी का,

ऐसे विज्ञापन सही नही है.

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भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...
26 June 2009 at 10:13 am  

मैं तो देख ही नहीं पा रहा हूं.

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डॉ. मनोज मिश्र said...
26 June 2009 at 12:18 pm  

समझ में नहीं आ रहा है कि इस विज्ञापन को बनाने वाले इसके जरिये क्या दिखाना चाहते हैं , परिवार नियोजन के लिए अब और कोई सोच नहीं बची है क्या ? .

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Unknown said...
26 June 2009 at 12:44 pm  

is balak ko tau raampuriya bhi thik nahin nkar sakta, isliye raajji, aap bhi koshish na karen........

subh subh daraa diya yaar...

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राज भाटिय़ा said...
26 June 2009 at 12:47 pm  

यह विज्ञापन क्या कह रहा है ? मै भी इस बात से सहमत नही हुं,
लेकिन जो मै कहना चहाता हुं, कि अगर हम अपने बच्चो को भी इन लोगो की तरह रखेगे(जेसा कि आज कल ७५% लोग रखते है, तो परिणाम आप इस विडियो मै देख ले) बच्चो को प्यार डांट उन के अच्छॆ भविष्य के लिये दी जाती है, अब आप खुद सोचे कि आप का बच्चा ऎसा बने या फ़िर अच्छा.
यहां युरोप मै इन लोगो को परवाह नही इस लिये बच्च कुछ भी करे, क्योकि यहां बच्चे का भविष्या मां बाप नही सरकार समभालत ही, क्या हमारी सरकार हमारे बिगडे बच्चे को समभालेगी???

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राज भाटिय़ा said...
26 June 2009 at 12:49 pm  

ओर हां मेने ऎसे बच्चे अपने भारत मै भी देखे है, लेकिन इस मे बच्चो का कोई कसुर नही, कसुर मां बाप का है, अभी भी समभल जाओ

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Vinay said...
26 June 2009 at 2:07 pm  

बहुत बढ़िया

---
मिलिए अखरोट खाने वाले डायनासोर से

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Udan Tashtari said...
26 June 2009 at 2:55 pm  

हा हा!! मजेदार सजा!

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
26 June 2009 at 2:58 pm  

अपने यहां भी मैंने ऐसे आफत के परकाले देखे हैं और तुर्रा यह है कि ऐसी हरकतों पर उनके माँ-बाप खिसियानी हंसी हस कर कहेंगे, जी थोड़ा शरारती है। उस समय मन तो करता है कि छुटकू को नहीं बड़कू को ही एक.....

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Arvind Mishra said...
26 June 2009 at 4:00 pm  

uff ! ye dhamaal !

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ताऊ रामपुरिया said...
29 June 2009 at 8:02 am  

जय हो इन बालकों की.

रामराम.

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