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शुद्ध हंसी के ठाहके... अजी आप भी हँसलॊ थोडा बहुत.

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एक बार एक जाट ओर जाटनी का तलाक का केस आदलत मै गया, ओर जज भी एक महिला ही थी, जो बहुत ही अच्छी थी, सुनवाई शुरु हुयी तो जज साहिब ने उस जाट से पुछा कि तुम इस से तलाक क्यो चाहते हो ?? जाट बेचारा सीधा साधा था, बोला जी मै तो नही चाहता, मै तो इसे घर मै रखना चाहता हुं, फ़िर जज साहिब ने जाटनी से पुछा, आप क्यो नही रहना चाहती इन के संग, तो जाटनी जो पहले ही गुस्से मै थी बोली एक हफ़्ता इस के संग रह के देख ले.
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रवि ने अपने पक्के दोस्त को अस्पताल मै मरहम पट्टी करते देख कर पुछा, अरे यह कया हुआ ? आज सुबह ही तो मेने तुम्हे उस घुंघाराले बालो वाली सुंदरी के संग देखा था, दोस्त!! हां यार तुम ने अकेले नही मेरी सास ने भी देखा था.
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जज, जेबकतरे से..... वादा करो आगे से कभी जेब नही काटोगे,
जेबकतरा-जज से.......जी मै वादा करता हुं मै आगे से कभी भी जेब नही काटूंगा, बल्कि साईड से ही जेब काटूंगा.
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संता... यार बंता मै अपनी नयी कार से जा रहा था कि अचानक डाकू आ गये, फ़िर मेरी कार रोक कर, मेरा बटुवा छीन लिया, फ़िर मेरी घडी भी, यार फ़िर मेरी कार भी छीन ली.
बंता... लेकिन तुम्हारे पास तो पिस्तोल थी. हां यार भगवान का शुकर उन की नजर मेरी पिस्तोल पर नही पडी.
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तीन ताऊ गांव मै एक ही खाट (चारपाई) पर सो रहे थे, चार पाई छोटी थी,ओर तीनो तंग हो रहे थे, तो एक ताऊ चारपाई से नीचे कपडा बिछा कर लेट गया, अब ऊपर से एक ताऊ की आवाज आई भाई ऊपर आ जा अब जगह हो गई है.
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एक पठान की मंगनी हो गई, अब बाद मै पठान को पता चला कि उस की होने वाली वीवी का चक्कर किसी से नही था, तो पठान से झट से मंगनी तोड दी...
कारण ? पठान का कहना था जब किसी ओर की नही हुयी तो मेरी क्या खाक होगी.
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वीवी... सुनो जी आप को मेरी कोन सी बात बहुत अच्छी लगती है,मेरी सुंदरता या फ़िर मेरी अकल ??
पति.... मुझे तो तेरी यह मजाक करने की आदत सब से अच्छी लगती है

22 टिपण्णी:
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Udan Tashtari said...
10 June 2009 at 4:55 pm  

haa haa!! मस्त मजेदार!

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रविकांत पाण्डेय said...
10 June 2009 at 5:03 pm  

कुछ समस्या है, पता नहीं मेरे कंप्यूटर या आपके ब्लाग पर। पूरा काला स्क्रीन आ रहा है। कुछ नहीं पढ़ पा रहा हूं।

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महेन्द्र मिश्र said...
10 June 2009 at 5:45 pm  

अरे आह बहुत खूब दादा खाली पन्ना दिख रिया है वैसई खूब हंसी आ गई

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परमजीत सिहँ बाली said...
10 June 2009 at 6:30 pm  

बहुत जोरदार!!

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ताऊ रामपुरिया said...
10 June 2009 at 6:49 pm  

लाजवाब छांट के लाये हैं आज तो. तलाक वाल खूभ पसंद आया..खुद ही साथ रह के देख ले?..:)

रामराम.

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मसिजीवी said...
10 June 2009 at 7:17 pm  

:)

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दिनेशराय द्विवेदी said...
10 June 2009 at 8:10 pm  

सब से मजेदार......
तीन ताऊ गांव मै एक ही खाट (चारपाई) पर सो रहे थे, चार पाई छोटी थी,ओर तीनो तंग हो रहे थे, तो एक ताऊ चारपाई से नीचे कपडा बिछा कर लेट गया, अब ऊपर से एक ताऊ की आवाज आई भाई ऊपर आ जा अब जगह हो गई है.

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Anil Pusadkar said...
10 June 2009 at 9:04 pm  

मज़ेदार्।

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Gyan Darpan said...
11 June 2009 at 3:54 am  

मजेदार!

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गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...
11 June 2009 at 5:53 am  

रुखे से रुखे इंसान को भी मुस्कुरवादें।

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संजय बेंगाणी said...
11 June 2009 at 7:16 am  

जाटणी ने जोर का मारा....मजा आ गया.

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महेन्द्र मिश्र said...
11 June 2009 at 10:19 am  

हाँ आज पढ़ने मिला . बहुत मजेदार है . धन्यवाद.

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रंजन said...
11 June 2009 at 10:55 am  

हा हा...

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दिगम्बर नासवा said...
11 June 2009 at 11:05 am  

ताऊ, सांता और पठान तो छा गयी भाटिया जी ........ मज़ा आ गया

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Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...
11 June 2009 at 12:30 pm  

तीन ताऊ गांव मै एक ही खाट (चारपाई) पर सो रहे थे|
जरूर ये तीनों अपने वाले ताऊ ही होंगे----रामपुरिया ताऊ, भाटिया ताऊ, मौदगिल ताऊ..:)

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Murari Pareek said...
12 June 2009 at 12:33 pm  

हूँ!!! मस्त!!! मेरे कल के प्रोग्राम लाफ्टर अनलिमिटेड का जुगाड़ हो गया! प्रोग्राम का ऑडियो आपको भेज दूंगा कृपया मेरे ब्लॉग पर मेरे से contact करे और जोक्स देते रहें!!

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दीपक कुमार भानरे said...
12 June 2009 at 1:22 pm  

बहुत मजेदार है . धन्यवाद.

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सुशील छौक्कर said...
12 June 2009 at 2:11 pm  

ताऊ और जाट जाटणी पसंद आए।

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अजय कुमार झा said...
12 June 2009 at 2:28 pm  

हमने मजे में आपके झेले और खूब मुंह फाड़ के हँसे..अब आप झेलिये..

एक साहूकार घर के बाहर बैठा था..अन्दर बैल घूम घूम कर गन्ने पेरने वाली चाकरी पर घूम घोम कर गन्ने का रस निकाल रहा था..ताकि उसका गुड बनाया जा सके.
इतने में एक वकील साहब पहुंचे..अरे सेठ जी..अन्दर कोई नहीं है .बैल अपने आप घूम रहा है आपको कैसे पता.

जी वो जो उसके गले में घंटी बंधी है न वो तो बज रही है उसके घूमने से..उससे पता चल जाएगा..

मगर वो बैल यदि एक जगह पर खडा होकर मुंदी हिलाए तो ..घंटी तो फिर भी बजेगी न..

साहूकार ने घूर कर कहा...हें..हें..वकील साहब उसने ..वकालत थोड़े पढ़ राखी है...

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Sajal Ehsaas said...
12 June 2009 at 10:52 pm  

santa bantaa wala mast tha...aur chaarpai waala to bahut hiachha :)

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डॉ. मनोज मिश्र said...
13 June 2009 at 4:57 am  

मजेदार -हा-हा-हा-.

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Urmi said...
15 June 2009 at 10:13 am  

आपके ब्लॉग पर आकर मज़ा आ गया और हँसते हँसते पेट में दर्द होने लगा! शानदार!

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