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बर्फ़ बर्फ़ ओर बर्फ़ ही बर्फ़

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पिछले सप्ताह दो दिन तक मोसम थोडा गर्म हुआ, ओर फ़िर दो दिन बाद खुब तेज आंधी आनी शुरु हो गई, सारी रात तेज हवाये चलती रही, तो हम समझ गये गी अब बर्फ़ खुब पडेगी, अब दो दिन से खुब गिर रही है यह बर्फ़... पिछले तीन साल तो बिलकुल भी नही गिरी, यह चित्र मेरे घर के आसपास से लिये है.


पहला चित्र मेरे सोने वाले कमरे की खिडकी से लिया गया है,


दुसरा चित्र ओर बाकी चित्र मेने घर के नीचे से लिये है,


मोसम विभाग के अनुसार दो दिन तक अभी ओर बर्फ़ गिरेगी, लेकिन इतनी बर्फ़बारी के बावजुद भी सभी ट्रेने सही समय पर आ जा रही है, बसे भी अपने निश्च्चित समय पर आती जाती है, यानि कोई भी काम देरी से नही होता, हम भी अपने काम पर पहले से जल्दी पहुचते है.

क्योकि सब को पता है कि फ़िसलन बगेरा हो सकती है इस लिये सभी समय से थोडा पहले निकलते है,
कल हो सका तो आप को एक फ़िल्म दिखाऊगां जिस मे बच्चे पहाडी से फ़िसल कर नीचे आते है,अभी तो सर्दी ज्यादा नही, क्योकि जब बर्फ़ गिरती है तो सर्दी कम हो जाती है, लेकिन बाद मै सर्दी बहुत बढ जाती है,
आज कभी बर्फ़ गिरती है तो कभी सुर्य देवता आ जाते है, सडको को साथ साथ साफ़ किया जाता है, लेकिन झा मै रहता हुं यह हमारी प्राईवेट सडक है इसे साफ़ हमीं ने करना होता है, लेकिन छुट्टी के कारण सभी मस्ती से पढे है, हां अगर यह रास्ता आम होता, ओर दुसरे लोग भी इस रास्ते से आते जाते तो हम लोगो को यह रास्ता सुबह सुबह ६, बजे से पहले साफ़ करना पडता, ओर सभी ने अपना अपना काम बांटा होता है.
अब वो चाहे करोड पति हो या भिखारी

सडक तो उसे सुबह सुबह ही साफ़ करनी होती है, अगर नही की, ओर उस से फ़िसल कर कोई गिर गया, तो जिस के घर के सामने जो फ़िसला है सारा हरजाना उसे ही देना पडेगा, अगर कोई बुजर्ग है, जो साफ़ नही कर सकता तो वो यह जिम्मेदारी किसी को देगा, ओर लिखत रुप मे. ओर बदले मे उसे पेसे देगा, ताकि सारी जिम्मेदारी अब दुसरे ने लेली है, ओर अब हर बात का जिम्मेदार पेसे लेने वाला ही होगा.
तो बातये केसी लगी हमारी बर्फ़, लेकिन बहार निकलने से पहले हमे अपने आप को खुब कसना पडता है, कपडे, जाकेट, मोजे, जुते, जुराबे, टोपी, ओर दास्ताने पता नही ओर क्या क्या...
इस से पहले आज ही एक पोस्ट ओर भी करी है उस मे चुटकले ही चुटकले है उसे पढना भी ना भुले..

12 टिपण्णी:
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परमजीत सिहँ बाली said...
14 February 2009 at 7:12 pm  

राज जी,बर्फ का मजा तो आप ले ही रहे हैं।अच्छा है। लेकिन आप की पोस्ट पढ कर एक बात बहुत अच्छी लगी की वहाँ सभी को अपनी जिम्मेवारी निभानें के लिए बा्ध्य होना पड़ता है। काश! भारत में भी ऐसा ही होता तो किअतना अच्छा होता।

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इष्ट देव सांकृत्यायन said...
14 February 2009 at 7:14 pm  

वाह राज साहब! बहुत ही प्यारा शब्द चित्र है. और कैमरे वाली तस्वीरें भी बहुत सुन्दर हैं. कल की फिल्म का इंतज़ार रहेगा.

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Alpana Verma said...
14 February 2009 at 8:00 pm  

bahut sundar tasweeren aur post bhi..
kisi ke ghar ke smaane padi barf se agar koi hurt hua to yahi rule canada mein bhi hai..is liye wahan barfiley rastey par namak bhi daaltey hain log..


-barf ke sundar nazarey hai !

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dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...
15 February 2009 at 2:23 am  

शायद इसी वजह से आप मेरे ब्लॉग पर नही पहुच प् रहे हो . अधुरा सा लगता है आपकी ओजस्वी टिप्पणी के बिना मेरी पोस्ट . क्रप्या सहयोग बनाये रखे

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दिनेशराय द्विवेदी said...
15 February 2009 at 3:22 am  

इस पोस्ट को पढ़ कर लगता है कि हम यहाँ भारत में सभ्यता में बरसों पीछे हैं। यहाँ तो लोग घऱ बुहार कर दरवाजे के बाहर बगल में कचरा इकट्ठा कर देते हैं या पड़ौसी के घर की तरफ सरका देते हैं। नगर निगम के कचरापात्र तक पहुँचाने की जहमत तक नहीं उठाते। हम भारतीय कब सुधरेंगे?

आप के साथ बर्फबारी का आनंद हम ने भी लिया यहाँ तो राजस्थान में पिछले दिनों ओले गिरे हैं और बहुत से किसानों के श्रम को लील गए।

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कडुवासच said...
15 February 2009 at 3:38 am  

बर्फ के नजारे बहुत सुन्दर हैं, देखकर रूबरू होने को जी चाहता है ।

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Gyan Darpan said...
15 February 2009 at 4:07 am  

बर्फ के नज़ारे के साथ साथ जिम्मेदारी वाली बहुत अच्छी लगी काश भारत में लोग ऐसी जिम्मेदारिया ले !

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रंजू भाटिया said...
15 February 2009 at 5:56 am  

हमें तो यहाँ से चित्र सुंदर लग रहे हैं ..परेशानी तो आप झेल ही रहे होंगे ..पर सब एक साथ इस समय होते हैं जान कर अच्छा लगा

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महेंद्र मिश्र.... said...
15 February 2009 at 9:25 am  

चित्र सुंदर लग रहे हैं.जान कर अच्छा लगा.

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ghughutibasuti said...
15 February 2009 at 9:31 am  

बर्फ देखे उसमें खेले तो ३४ से अधिक वर्ष हो गए। चित्र देखकर अच्छा लगा। अब जरा और अधिक चित्र पोस्ट कीजिए।
घुघूती बासूती

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Anil Pusadkar said...
15 February 2009 at 11:11 am  

वहां बर्फ़ गिर रही है और यहां गर्मियां शुरू हो रही है।

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सुशील छौक्कर said...
15 February 2009 at 3:40 pm  

राज जी हमने कभी इतनी बर्फ कभी अपनी आँखो से नही देखी। फोटो वाकई सुन्दर हैं।

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