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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
27 February 2009 at 5:07 am
ये है स्टाईल्।
27 February 2009 at 5:12 am
दवा डाल रहा है या तेल भर रहा है..:)
27 February 2009 at 5:34 am
ये सिर्फ फोटो खिंचा रहा है। बीच में चश्मे का ग्लास नहीं देखा? तेल जाएगा कहाँ।
27 February 2009 at 5:54 am
क्या खूब तरिका ढूंढा है दवाई आंखों में डालनें का
27 February 2009 at 6:15 am
वैसे ये चशमा मिलता कहाँ है। वाह।
27 February 2009 at 6:29 am
कमाल के है ये जापानी लोग ।जो न करें सो थोड़ा । :)
27 February 2009 at 6:30 am
बहुत आनन्द दायक लग रहा है.
रामराम
27 February 2009 at 7:01 am
प्रणाम
मुझे तो लगता है की ये चश्मे पर कुप्पी रख कर कोई करतब दिखा रही है .
27 February 2009 at 7:39 am
कमाल :)
27 February 2009 at 7:41 am
मुझे तो कुप्पी चश्मे के साथ चिपकी लगती है.........नही तो गिर जाती
27 February 2009 at 7:45 am
हा हा... ऐसे ही जपानी जुगाड के कुछ फ़ोटो मेरे पास भी है... सोच रहा हूं एक पोस्ट बना ही डालूं
आपका ब्लोग काफ़ी देर से लोड होता है.. शायद wigits अधिक होने के कारण... स्लो कनेक्शन वाले विजिटर शायद पूरा आन्नद नहीं ले पाते होंगे
27 February 2009 at 8:29 am
कमाह है! हम तो समझते थे कि ऎसे जुगाडू लोग सिर्फ हिन्दुस्तान में ही पाए जाते हैं.
27 February 2009 at 9:01 am
श्रीमान जी क्या यह जापानियों की आँख मैं दवा डालने की कोई नई तकनीक है.
अच्छा है .
27 February 2009 at 9:26 am
" ha ha ah what a style.."
Regards
27 February 2009 at 12:26 pm
हा हा हा बहुत अच्छा दृश्य।
27 February 2009 at 1:05 pm
बहुत खूब :)
27 February 2009 at 2:52 pm
आँख के डॉ डिप्रेस हो जायेगे राज जी
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