तुम आज मेरे संग हंसलो..
यह बात बहुत पुरानी है, एक बार एक आदमी अपनी बहिन से मिलने जा रहा था,पुराना समय था, कोई कार, स्कुट्रर वगेरा नही थे, लोग पेदल ही एक जगह से दुसरी जगह जाते थे, तो यह आदमी भी पेदल ही घर से चल पडा, चलते चलते,शाम हो गई, ओर वो आदमी भी थक गया,उस से सोचा चलो कही किसी गांव मे किसी के घर रात गुजार लेता हूं,होटल तो होते नही थे, ओर जमाना अच्छा था, लोग मेहमान को भगवान समझ कर रखते थे,
वो आदमी रास्ते मे पडने वाले गांव मै पहुचां , देखा सामने ही एक घर है, उस ने खटखटाया, एक बुढिया मां ने दरवाजा खोला, ओर उस अजनबी को देख कर बोली बेटा कया बात है, अजनबी बोला.... मां मै फ़लां गाव से आया हुं, अपनी बहिन के गांव जा रहा हूं , वो गांव अभी दुर है , मेने सोचा जंगली जानवरो से बचने के लिये कही आसारा मिल जाता तो रात इसी गांव मै रुक जाता,बुढिया बोली बेटा, मै माफ़ी चाहुगी, मेरे घर पर इस समय कोई मर्द नही, बस मै ओर मेरी बहू ही है, मै रात तो तुझे रख लू, लेकिन....अजनबी बोला मां मै समझता हुं , कोई बात नही, ओर राम राम कर के अजनबी आगे बढ गया, एक घर से कुछ आवाजे आ रही थी, अजनबी ने वहा खटखटाया, तो एक आदमी ने दरवाजा खोला, फ़िर वही सवाल, ओर उस आदमी ने कहा बेटा, मेरे घर मे तो मेरी बहिने ओर मेरी लडकी है,ओर सभी जवान है, मै माफ़ी चाहता हुं.
अजनबी वहां से भी आगे बढा, ओर दो चार घर छोड कर फ़िर एक दरवाजा खटखटाया, इस बार एक जवान लडकी ने दरवाजा खोला, लेकिन बात शुरु होने से पहले ही एक अन्य ओरत आ गई, ओर उस ने भी कहा बेटा मेरी जबान बेटी है, ओर घर मै हम दोनो मां बेटी ही रहते है, माफ़ी चाहती हूं, अगले दो चार घरो मे भी यही समस्या आडे आई.
अन्त मै वो अजनबी ने एक घर का दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खोला एक आदमी ने, तो अजनबी बोला जी आप के घर मै कोई बहू, या जवान लडकी तो नही ?? आदमी ने पुछा क्यो ?? तो अजनबी बोला जी बात कुछ नही बस मेने रात बितानी थी......
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13 February 2009 at 3:13 am
... अदभुत, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति।
13 February 2009 at 4:28 am
पर ये रात बिताने वाला कौन था?:)
रामराम.
13 February 2009 at 4:32 am
" ha ha ha ha ha haha ha ha ha ha fantastic.."
Regards
13 February 2009 at 5:48 am
मज़ेदार्।
13 February 2009 at 10:01 am
बहुत सुंदर रचना , शायद इसी प्रकार की एक रचना राजू श्रीवास्तव ने भी लाफ्टर चैलेन्ज में सुनाई थी .
धन्यवाद .
13 February 2009 at 12:40 pm
ha ha ha ha ha majedar..
13 February 2009 at 12:45 pm
ताउ की बात का जबाव दीजिए भाटिया जी
13 February 2009 at 4:37 pm
हरी जी , ये रात बिताने वाला ताऊ तो नही था, लेकिन ताऊ का दादा हो सकता है, क्यो कि कई आदते पीढी दर पीढी चलती है, ओर ताऊ ने भी झट पहचान लिया....
धन्यवाद
13 February 2009 at 7:38 pm
purana chutkula hai magar, bahut din pahle yah chutkula suna tha aur bhul bhi gaya tha..
so shuru se ant tak khub maja aaya.. :)
14 February 2009 at 6:37 am
बहुत सुंदर रचना
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : वेलेंटाइन, पिंक चडडी, खतरनाक एनीमिया, गीत, गजल, व्यंग्य ,लंगोटान्दोलन आदि का भरपूर समावेश
14 February 2009 at 6:46 am
बात हँसने की नहीं, रोने की है.बात आदमी को आदमी पर विश्वास न होने की है.
14 February 2009 at 4:09 pm
कमाल है! ताऊ नै तो हम घणा सरीफ आदमी समझे करां थे.....ताऊ इसे ऊत्तपणे बी कर सकै.ईब बेरा पाटया.
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