ताऊ ओर नोकरी
एक बार हमारे ताऊ ने अखवार मै एक विग्यापन दिया, कि मुझे आधा घंटा सुबह, ओर आधा घंटा शाम को एक आदमी की सख्त जरुरत है,पढा लिखा, अनपढ सब चलेगा, सुबह का खाना, ओर शाम का खाना भरपेट, लेकिन वेतन नही मिलेगा !!
अब ताऊ था तो उस समय नामी गरामी सेठ, ओर सारे शहर मै इज्जत भी थी, अब जिस दिन इंट्रव्यू होना था, उस दिन सुबह से ही हजारो की संख्या मै,कालेज के बच्चे, युनिवर्स्टी के बच्चे, ओर अन्य बहुत से लोग जो पढते या नोकरी करते थे, इंट्रव्यू देने यह सोच कर आ गये चलो आधा घंटा सुबह ओर आधा घंटा शाम को काम के बदले खाना तो मुफ़त मे मिलेगा. घर आ कर बनाने से जान छुटे गी.
इंट्रव्यू देते देते, जब कुन्नु भाई का नम्बर आया, तो कुन्नु जी ने पुछा ताऊ काम क्या है, ताऊ बोला काम कोई मुश्किल नही, लेकिन पहले यहां साईन करो कि अगर तुम काम छोडना चाहो तो दो महीने का नोटिस दोगे, वर्ना १० हजार रुपये नगद, ओर यही शर्त मेरे साथ भी है, अब कुन्नु भाई ने साईन कर दिये.
तो ताऊ बोला कल सुबह आठ बजे आ जाना,
दुसरे दिन सुबह कुन्नु जी ताऊ के पास काम करने गये, ताऊ ने उसे एक टिफ़िन पकडा दिया, ओर बोले आज से तुम्हारा यही काम है कि तुम सुबह-शाम सामने गुरु दुवारे से भरपेट खाना खा कर मेरे लिये टिफ़िन भरवा कर ले आया करो.
अब कुन्नु भाई क्या करते ......
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11 February 2009 at 5:23 am
ज़बरदस्त!
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ग़ज़लों के खिलते गुलाब
11 February 2009 at 5:24 am
ऐ तो हद हो गई. हा हा हा . आभार..
11 February 2009 at 5:56 am
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हद की भी हद हो गयी ये तो.....पर ताऊ जी ने सैम के खाने का इंतजाम कहाँ से किया होगा"
regards
11 February 2009 at 6:35 am
:) मजेदार
11 February 2009 at 7:16 am
जहाँ ताऊ हो और वहाँ हा हा हा ना ऐसा हो नही सकता।
11 February 2009 at 8:22 am
ha ha bahut khub,aise hi nahi kehte tauji ka dimaag computer se tej hai.:)
11 February 2009 at 8:37 am
शायद सेठ को मालूम नहीं कि लंगर बांटने वालों की नजर वडी पैनी होती है.. शक होने पर वह लंगर के सारे भांडे मंजवा लेते हैं :)
11 February 2009 at 9:30 am
बहुत बढिया!!!
11 February 2009 at 11:46 am
हा हा हा बिल्कुल ठीक सोचा है.
बहुत खूब लिखा है।
11 February 2009 at 1:54 pm
हां भाई भाटिया जी, कन्नू का हमारा टाई अप तो ऐसे ही चल रहा है.:)
मजा आगया. वैसे लंगर का खाना बडा स्वादिष्ट लगता है.
रामराम.
11 February 2009 at 3:00 pm
बड़ा जोरदार आइडिया है ताऊ जी का। कुन्नू को भी मन माफिक नौकरी मिल ही गयी। मजा आ गया। :)
11 February 2009 at 4:00 pm
कमाल है भाटिया जी.बहुत जोरदार किस्सा सुनाया.
हंसते हंसते अब तो पेट दुखने लग गया.
मजेदार.......
11 February 2009 at 5:53 pm
ताऊ की होशियारी की दाद देनी पड़ेगी ....चुटकला बड़ा मजेदार था
12 February 2009 at 2:21 am
... गजब का "रिवर्स स्वीप शाट" मारा है, छा गये।
12 February 2009 at 3:56 am
अब समझ में आया कि ताऊ ये लंबी लंबी पोस्टें लिखने का टाइम कैसे निकालता है... रोटी की तो चिन्ता ही खत्म... वाह जी भाटिया जी खूब बताया..
12 February 2009 at 11:18 am
ताऊ के दिमाग की दाद देनी होगी , घर बैठे-२ खाने का इंतजाम कर लिया और कन्नू जाएगा तो २ महीने के खाने का पैसा दे के जाएगा , वाह मज़ा आ गया .
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