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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
31 January 2009 at 2:14 am
what n idea sirji
31 January 2009 at 4:39 am
कितना रिस्क उठाते हैं. वह भी किसी शाही ट्रेन में. सुंदर फोटू. आभार.
31 January 2009 at 4:54 am
कमाल है जी.
रामराम.
31 January 2009 at 5:01 am
This is called " service with a smile " :)
क्या दीलेरी है !!
- लावण्या
31 January 2009 at 5:22 am
बहुत रिस्क उठाते हैं जी यह तो :)
31 January 2009 at 5:50 am
vah kya baat hai
31 January 2009 at 5:57 am
शानदार ।
31 January 2009 at 6:06 am
gggggazzzzzzzabbbbbb
31 January 2009 at 7:42 am
गज़ब की दिलेरी है।
31 January 2009 at 10:14 am
'इँसान परेशान उधर भी है इधर भी'
31 January 2009 at 10:34 am
बसंत पंचमी की आप को हार्दिक शुभकामना
शानदार ।
31 January 2009 at 1:50 pm
कितना ख़तरनाक है, ख़ूनी चाय-नाश्ता, बाप रे बाप!
31 January 2009 at 2:50 pm
अरे ये केवल पाकिस्तानी ट्रेन सर्विस नहीं, पूर्वोत्तर रेलवे की लम-सम हर ट्रेन में यही स्पाइडरमैन कूदते-फांदते दिख जाते हैं।
1 February 2009 at 4:49 am
...तो क्या एक प्याली चाय के लिए कुछ भी करेगा?
3 November 2016 at 5:58 am
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