कल रात चांद अपनी चांदनी यही भूल गया ??
.
राज भाटिय़ा
.
चित्र
चित्रो को बडा कर के देखे ओर भी सुंदर दिखेगे. इन्हे कोई भी कापी कर सकता है. अगर कल ओर मिले तो जरुर भी चित्र खीचूंगा.
Post a Comment
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये
टिप्पणी में परेशानी है तो यहां क्लिक करें..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
17 January 2009 at 9:22 pm
सच मेँ खुबसुरत तस्वीर है, हमने तो सेव कर लिया है।
18 January 2009 at 1:45 am
प्यारी तस्वीरें. रख लिया है.
18 January 2009 at 1:55 am
सच में खूबसूरत हैं...मैंने भी सेव कर लिया।
18 January 2009 at 2:13 am
मौसम ने आपको शायराना बना दिया, गालिब!!! बहुत उम्दा तस्वीरें.
18 January 2009 at 2:30 am
वाह मैंने तो बड़ा कर के भी देखा स्निग्ध धवल रोशनी सी चारो ओर फैली हुयी है !
18 January 2009 at 4:02 am
बहुत सुंदर रूमानी हैं यह तस्वीरे
18 January 2009 at 4:23 am
बहुत सुंदर तस्वीरें हैं. लगता है सीधे स्वर्ग से उतरी हैं।
18 January 2009 at 4:35 am
भाटिया साहब, चित्र तो घणै ही सुथरे लाग रे सैं पर ये जो घर दिख रे सैं यो तो रोहतक जैसे देखाई दे रे सैं? तो क्या जर्मनी को भी आपने रोहतक बणा दिया? :)
रामराम.
18 January 2009 at 6:19 am
सच चारों तरफ चाँदनी सी बिखरी पडी है। अद्भुत नजारा है। और जी ये आपके ब्लोग पर सीधे हाथ की तरफ भारतीय तिंरगा तो चार चाँद लगा रहा है
18 January 2009 at 6:25 am
बहुत खूबसूरत तस्वीरें है और ऐसि तस्वीरोम क इन्तजार रहेगा
18 January 2009 at 8:41 am
बहुत सुंदर
18 January 2009 at 9:09 am
लगता है आप स्वर्ग में हो और हमलोग नर्क में. आभार.
18 January 2009 at 9:27 am
arrey! aap to shayar bhi hain???title bahut hi sundar hai..chaand chandani bhuul gaya...wah!
chitr aur post kareeyega..ye do bhi bahut achchey hain..Sameer ji ke yahan bhi Canada mein aisa hi haal hoga.
18 January 2009 at 9:43 am
BAhut Sundar picturs...aur usase bhi sundar headline....
Regards...
18 January 2009 at 1:14 pm
क्या बात है ये गाना याद आया
तू मेरा चाँद तू मेरी चाँदनी
... पोस्ट पढ़कर लगा कि चाँद से चाँदनी दूर कैसे चली गई ,बहुत सुंदर
बहुत बढ़िया राज जी
18 January 2009 at 1:45 pm
आप सभी का धन्यवाद, इन चित्रो को पसंद करने के लिये, आज सर्दी थोडी कम है , लेकिन धीरे धीरे हवा चल रही है, लगता है शायद बर्फ़ गिरे, अगर बर्फ़ गिरे, ओर फ़िर ऎसा हो तो बहुत सुंदर नजारा लगता है,P.N. Subramanian जी मै भी आप सब के साथ ही ही, दुख सुख यहां भी लोगो को उतने ही है जितने भारत मै, अब चाहे वो गोरा हो या काला.
फ़िर से आप सब का धन्यवाद
18 January 2009 at 2:45 pm
तस्वीरें तो वाकई मे बहुत सुन्दर हैं..........
18 January 2009 at 3:02 pm
प्रकृति को शत-शत नमन।
18 January 2009 at 6:09 pm
चांदनी में झूम...
18 January 2009 at 6:15 pm
simply beautiful ...pure white snow on trees ..looks lovely.
19 January 2009 at 7:27 am
acchi photographs hain...bahut sahi...
3 November 2016 at 6:10 am
दोस्त की बीवी
डॉली और कोचिंग टीचर
कामवाली की चुदाई
नाटक में चुदाई
स्वीटी की चुदाई
कजिन के मुहं में लंड डाला
Post a Comment