संगत का असर
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राज भाटिय़ा
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चित्र
कहते है आदमी क्या सभी पर संगत का असर जरुर पडता है , सुना तो बहुत था , देखा आज ही है।
आप के क्या आप के क्या विचार है???
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
16 January 2009 at 3:11 am
बहुत अच्छा,
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
16 January 2009 at 3:12 am
bilkul theek dikhaya
16 January 2009 at 4:22 am
बहुत लाजवाब जी.
रामराम.
16 January 2009 at 4:56 am
" हा हा हा आश्चर्यजनक मगर ये नही समझ आ रहा कौन किसको follow कर रहा है.."
Regards
16 January 2009 at 5:00 am
सही कहा और सही बताया आपने ...इस पोस्ट का नाम हंसना मना है कर दीजिये..वाकई ठहाके वाली बात,....आपकी पोस्ट खुल नही रही थी...उम्मीद है अब तबियत ठीक होगी...हमारी शुभकामना
16 January 2009 at 5:23 am
वाह साहब भाटिया जी, ब्लागीवुड के दो परम मित्रों के फोटो दिख रहे हैं मुझे तो ये| :)
16 January 2009 at 6:16 am
हा हा हा। बहुत खूब।
16 January 2009 at 6:34 am
sahi men sangat ka asar dikh raha hai..
16 January 2009 at 6:37 am
सुना तो बहुत था , देखा आज ही है।
खासकर बच्चे , बंदर की तरह ही नकलची होते हैं।
16 January 2009 at 12:34 pm
bahot khub....
regards
16 January 2009 at 1:14 pm
भाटिया जी ये लग रहा है कि दोनों जार्ज डब्ल्यू वुश की नकल कर रहे हैं वो महाशय भी ऐसे ही करते रहते हैं बाकी एक कहावत है ना कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है वो यहां पर सटीक है
16 January 2009 at 6:33 pm
गीता और डार्विन दोनों कहते हैं कि मनुष्य योनि सारी योनियाँ भोगने के बाद ही जीव को मिलती है।
16 January 2009 at 7:20 pm
कबीरा संगत साधु की..
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