जगत का पिता.....(सत्यम शिवम)
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Er. सत्यम शिवम
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कविता
तन पे भस्म लेप रखा है,
गले में डाल रखा भुजंग,
नीलकंठ ने गरल को पीकर,
बेरंग को भी दे दिया है रंग।
खुद की सुध की खबर नहीं है,
जहाँ को बाँटते धन दौलत,
मेवा और मिष्ठान बिना भी,
भक्तों की भक्ति में होते रत।
इक बिल्व का पत्र चढ़ाकर,
पूजा,अर्चन करते लोग,
भाँग,धतूरा और गंगा जल,
शिव के प्रिय है ये सारे भोग।
जगत का पिता,महादेव,शिव,
डम डम,डमरु वाले है,
प्रेममयी,श्रद्धा के बस भूखे,
शिव तो भोले,भाले है।
गंगा को जो धारण करते,
भक्तों के हर कष्ट वो हरते,
अपने भक्त की खातिर ये शिव,
काल के कोप से भी लड़ते।
नटराज,त्रिपुरारी,शिव,शंकर,
भक्तों पर रखना आशीष,
सुधा की धारा बरसाना जग पर,
पी जाना यूँ ही जगत के सारे विष।
गले में डाल रखा भुजंग,
नीलकंठ ने गरल को पीकर,
बेरंग को भी दे दिया है रंग।
खुद की सुध की खबर नहीं है,
जहाँ को बाँटते धन दौलत,
मेवा और मिष्ठान बिना भी,
भक्तों की भक्ति में होते रत।
इक बिल्व का पत्र चढ़ाकर,
पूजा,अर्चन करते लोग,
भाँग,धतूरा और गंगा जल,
शिव के प्रिय है ये सारे भोग।
जगत का पिता,महादेव,शिव,
डम डम,डमरु वाले है,
प्रेममयी,श्रद्धा के बस भूखे,
शिव तो भोले,भाले है।
गंगा को जो धारण करते,
भक्तों के हर कष्ट वो हरते,
अपने भक्त की खातिर ये शिव,
काल के कोप से भी लड़ते।
नटराज,त्रिपुरारी,शिव,शंकर,
भक्तों पर रखना आशीष,
सुधा की धारा बरसाना जग पर,
पी जाना यूँ ही जगत के सारे विष।
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
1 March 2011 at 5:37 pm
महाशिवरात्रि पर यह अनुपम भेंट ब्लॉगजगत को।
महारात्रि की शुभकामनाएं।
1 March 2011 at 8:10 pm
बहुत सुंदर स्तुति, आप को महारात्रि की शुभकामनाएं।
2 March 2011 at 12:55 am
आपको महाशिवरात्रि ही हार्दिक शुभकामनायें
2 March 2011 at 4:28 am
इस पर्व की शुभकामनायें।
2 March 2011 at 6:10 am
महाशिवरात्रि पर इतनी सुन्दर स्तुति मन आनन्द से भार गया।
आपको महाशिवरात्रि ही हार्दिक शुभकामनायें
8 March 2011 at 11:53 am
om namah shivay .
15 March 2011 at 8:58 pm
गंगा को जो धारण करते,
भक्तों के हर कष्ट वो हरते,
अपने भक्त की खातिर ये शिव,
काल के कोप से भी लड़ते।
har har mahadev ki jai .
7 April 2011 at 5:29 am
Chidanand rupa shivohm-shivohm..naman jagatpita ko..
8 June 2011 at 7:49 am
nice post
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3 November 2016 at 4:07 am
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