विचार
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राज भाटिय़ा
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विचार
आज का विचार....
मनोविकारो पर विजय प्राप्त करना ही आत्मा की सच्ची स्वतन्त्रता है.
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
10 October 2009 at 5:37 pm
उत्तम विचार
10 October 2009 at 5:38 pm
आपने शत प्रतिशत सही फरमाया भाईजी............
ये मन के विकार हमें बीमार कर देते हैं और बीमार आदमी को सारी दुनिया से चिढ सी हो जाती है.. मन स्वस्थ हो तो विकार नष्ट हो जाते हैं और विचार जन्म लेते हैं जो कि सृजन का कार्य करते हैं विध्वंस का नहीं.....
आपका अभिनन्दन ! इस अनमोल विचार के लिए.........
10 October 2009 at 6:08 pm
राज जी,
आत्मा किसी में बची हो तभी न...
जय हिंद
10 October 2009 at 6:23 pm
धन्य हुए
10 October 2009 at 6:25 pm
सुन्दर विचार।
10 October 2009 at 7:25 pm
सौ आने सच्ची बात कही आपने...ये मनोविकार ही है जो मनुष्य को अजीबोगरीब काम करने पर मजबूर कर देता है और उसे उसका एहसास बाद में होता है...मनोविकार पर विजय निश्चित रूप से मनुष्य की सबसे बड़ी विजय होती है.
बहुत सुंदर विचार..बधाई!!!
10 October 2009 at 10:49 pm
भाटिया जी.....ससुरे मन के चलते तो आत्मा कब की मर चुकी है ।
11 October 2009 at 8:12 am
भाटिया जी लगे हुयें तो है मगर मन बड़ा चंचल है।
11 October 2009 at 8:56 am
UTTAM VICHAAR HAI .... AUR ISKO POORA KARNE KE LIYE .... EKAAGRATA AUR DHYAAN LAGAANA AASAAN MAARG HAI ....
11 October 2009 at 10:41 am
aajkal manovikaron ke bojh se aatma dab gayi hai
11 October 2009 at 2:01 pm
सत्य वचन
11 October 2009 at 2:49 pm
बिल्कुल सही विचार है किन्तु मनोविकारों पर विजय प्राप्त करना बहुत ही मुश्किल कार्य है।
12 October 2009 at 7:53 am
Satya vachan
12 October 2009 at 11:00 am
बिलकुल सत्य वचन हैं धन्यवाद्
12 October 2009 at 10:21 pm
Bhatiya ji ye kaam nahi aasaan...!!
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