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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
6 March 2009 at 4:20 am
लगता है कहीं कोई अफ्रीकी देश का है या फिर जहाँ वो लोग अधिक हैं. जीप का पूरा पूरा उपयोग हो रहा है. सुन्दर. आभार.
6 March 2009 at 5:24 am
ताऊ जी की जीप को हमारे घर भेज दें जी।
6 March 2009 at 5:25 am
झाँकी सुन्दर है, इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में होना चाहिए।
6 March 2009 at 5:46 am
राम प्यारी कहाँ बैठेगी??
6 March 2009 at 5:53 am
गनिमत है इस पर परिवहन मंत्रालय की नज़र नही पड़ी वर्ना अब तक़ ये असरकारी से सरकारी हो जाती।
6 March 2009 at 5:54 am
राज भाई ये ग़ाड़ी चलती कैसे है। मैं व्रत वाले दिन इसमें बठूँगा।
6 March 2009 at 6:14 am
बहुत बढिया जी. हम तो इस जीप मे हर साल दो साल मे बैठते हैं जब हम हमारी मौसी के यहा शीलापठार (आसाम) जाते हैं. डिब्रुगढ से शीलापठार जाने मे ब्रहम्पुत्र पार करते समय उसके सूखे पाटों के बीच ऐसी ही जीपों मे भी सफ़र करना पडता है. और कोई भी चारा नही होता. इसमे सब्जी भरी है वैसे उनमे आदमी भरे रहते हैं. ड्राईवर तो कहीं दिखता ही नही है.
रामराम,
6 March 2009 at 6:18 am
भाटिया जी,ये केले क्या भाव दिए?..)
6 March 2009 at 6:33 am
अद्भुत jeep
6 March 2009 at 7:41 am
मज़ेदार है
6 March 2009 at 9:04 am
सामान की खेर हो..........ताऊ कहाँ छिप कर गाडी चला रहे हैं, और ये बाहर हाथ निकाल कर कोन बेठा है ताऊ के साथ.......
6 March 2009 at 1:32 pm
अदभुत है यह तो
6 March 2009 at 4:36 pm
पूरा कैनवास मय सारे रँगोँ के कैद कर लिया है इस चित्र मेँ
6 March 2009 at 6:59 pm
भाटियाजी! आप का चित्र चयन तो वास्तव में अद्भुत है। पता नहीं, कहां-कहां से ढूंढ कर लाते हैं आप ये चित्र।
तबीयत खुश हो जाती है।
6 March 2009 at 7:53 pm
मजा आ गया मालगाड़ी देखकर। शुक्रिया...!
6 March 2009 at 8:19 pm
baap re itane kele:)waah
7 March 2009 at 3:12 am
वाह ! लाजबाब चित्र !
14 March 2009 at 1:23 pm
सारी सब्जी मंडी ले के चल दिए ताऊ
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