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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
5 March 2009 at 5:03 am
जनाब पढ़ना नहीं नाचना चाहतें हैं!!!!!
5 March 2009 at 5:07 am
ha ha ha ha .........
5 March 2009 at 5:18 am
ओए होए-कैसा सीधा बनकर बैठा है? सही फंसा-बोल, ग से गुड़िया वरना जरा छड़ी मंगाना!!
5 March 2009 at 5:29 am
गरीब बच्चों को पढानेवाला कोई नहीं .... यहां बंदर को पढाने पर समय जाया हो रहा है।
5 March 2009 at 6:25 am
कैसा मुह फुलाए बैठा है मनो कह रहा हो तेरी पढाई अपने पास रख.
5 March 2009 at 7:11 am
भाटिया जी,ये महाराज ऎसे नहीं पढेंगे......ग से गुडिया की बजाए इन्हे ल से लट्ठ ,ख से खूंटा,ब से बीनू फिरंगी या फिर र से रामप्यारी सिखाओ तो शायद जल्दी सीख जाएं..))
5 March 2009 at 8:55 am
मामला पढ़ाई का नहीं है। ये महाराज तो रूठे हुए हैं।
घुघूती बासूती
5 March 2009 at 9:27 am
इब ये तो ताऊ खुद ही बैठा है. ताऊ के बचपन की फ़ोटो है. क्या करना लिख पढ कर? ब्लाग तो लिखना नही है जो कम्प्युटर वगैरह की पढाई करनी पडे?:)हम तो अनपढ ही अच्छे. युं ही केट स्केन करके काम चल जायेगा वैसे "वत्स" जी ने तरीका सही सुझाया है.:)
रामराम.
5 March 2009 at 9:35 am
कहा जाता है कि तस्वीर बोलती है । तस्वीर हर कहानी को बयां कर जाती है । चित्र को देखते ही सारी चीजे मालूम हो जाती है । शानदार चित्रण धन्यवाद
5 March 2009 at 10:08 am
लगता है बुरा मान गया ..................ताऊ कोई और तरीका निकालो इसे पढ़ाने का
5 March 2009 at 10:11 am
ha ha badhiya hai
5 March 2009 at 10:27 am
जोहार
बहुत सुन्दर छवि , कितना मासूम लग रहा है , कह रहा है अब तो छोड़ दो मुझे , रहम करो मेरे ऊपर .
5 March 2009 at 12:15 pm
हा हा हा क्या बात है। सुन्दर
5 March 2009 at 12:44 pm
सीख भाई सीख!
5 March 2009 at 4:20 pm
हँसी आ रही है।
8 March 2009 at 1:49 pm
बहुत मज़ेदार राज जी क्या बात है! हा हा
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