वसा से बचो, ज्यादा जियो...
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राज भाटिय़ा
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चित्र
अजी ड्रा साहिब कहते है कि, फ़ेट यानि घी ओर घी से बनी चीजे कम खानी चाहिये.... लेकिन इस की शुरु आत तो नाशते से ही करनी पडेगी ना.....
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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
3 March 2009 at 4:55 am
बस इतने से बटर से केसे काम चलेगा.
भूखे रहे जायेगे.........
3 March 2009 at 5:15 am
"" यानि नाश्ते में कटोती.....सेहत के लिए तो करना ही पडेगा न.."
Regards
3 March 2009 at 5:18 am
बहुत ही सुन्दर थीम चुनी है। अब यहाँ आना और भी अच्छा लग रहा है!
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
3 March 2009 at 5:35 am
जोहार
ये बटर लगाना नहीं बल्कि ब्रेड को बटर दिखाने जैसा है . जब तक ब्रेड से मक्खन टपकता नहीं, स्वाद ही नहीं आता .
3 March 2009 at 5:50 am
क्या महाराज?? घर आने का आमंत्रण दिये हो और नाश्ते में ये??
3 March 2009 at 5:56 am
नाश्ते में फैट खाएंगे, डाक्टर के पास जाएंगे, अपनी जेब कटाएंगे, ढेर दवाएं लाएंगे। लेकिन नाश्ते में फैट खाएंगे।
3 March 2009 at 5:56 am
रूखा सूखा खाईके ठड़ा पानी पिऊ । यही ठीक रहेगा ।
3 March 2009 at 6:42 am
कमाल है जी।
3 March 2009 at 6:44 am
bahut badhiya butter stick:)
3 March 2009 at 6:48 am
वाह जी ये कोई बात हुई? ये तो फ़ेवी स्टिक को बटर बता कर काम चलाने का कह रहे हैं?
अजी बटर चाहिये असली और वो भी मिट्टी की कुल्हडी में>:)
रामराम.
3 March 2009 at 6:48 am
बस इतना सा :)
3 March 2009 at 8:28 am
लेबल गलत चिपक गया क्या ?
3 March 2009 at 8:42 am
खूबसूरत तस्वीर जनाब, पर स्टिक वाला मक्खन है, चिपक तो नहीं जायेगा आंतों के साथ
3 March 2009 at 8:46 am
आईला !
3 March 2009 at 9:50 am
हम तो मक्खन और घी खा खा के मरना चाहेंगे.
3 March 2009 at 12:22 pm
बढ़िया सुझाव है।
3 March 2009 at 3:37 pm
पर कान्हा तो खुब माखान खाता ्था...:)
3 March 2009 at 4:07 pm
Very good stick ...
4 March 2009 at 4:20 pm
यह सोच के आये थे वापस की अब तक तो बटर की कुल्हडी आ गई होगी पर यहां तो अब भी फ़ेवी स्टिक ही है.
रामराम.
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