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मैं कहता हूं कि आप अपनी भाषा में बोलें, अपनी भाषा में लिखें।उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषा में कहूंगा।*जिसको गरज होगी वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञा के साथ काम करेंगे तो हिंदी भाषा का दर्जा बढ़ेगा। महात्मा गांधी
अंग्रेजी का माध्यम भारतीयों की शिक्षा में सबसे बड़ा कठिन विघ्न है।...सभ्य संसार के किसी भी जन समुदाय की
शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है।"महामना मदनमोहन मालवीय
2 March 2009 at 4:50 am
veri nice .....
2 March 2009 at 5:05 am
" ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha really interesting..'
Regards
2 March 2009 at 5:35 am
पहले क्यों नहीं बताया:)
2 March 2009 at 5:40 am
वाह !क्या आईडिया है!
2 March 2009 at 5:51 am
बहुत खूब रही ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
2 March 2009 at 6:08 am
लो जी पुरी सर्दी बीत गई और आप अब ये इलाज बता रहे हैं.:) कोई बात नही अगले साल के लिये एक भिजवा दिजिये. :)
रामराम.
2 March 2009 at 6:28 am
प्रणाम
बहुत सुन्दर इलाज़ बताया .
2 March 2009 at 8:36 am
पहले बताना था न! अब तो नवम्बर-दिसम्बर में ही काम आएगा आप्का आइडिया.
2 March 2009 at 10:05 am
भाटिया जी
अच्छा आइडिया है लगता है प्रोडक्शन चालू करना पड़ेगा...........
किसी का पेटेंट रजिस्टर तो नहीं
2 March 2009 at 12:48 pm
हा हा हा आप इतनी गज़ब की तसवीरें कहाँ से लाते हैं ?
2 March 2009 at 3:09 pm
भाटिया जी,
आपका भी जवाब नहीं।
पर एक बात कहना नहीं चाहता था क्यूंकि कुछ अभद्र ना हो जाये, पर रोक भी नहीं पाते हुए कन्या से पूछ ही लेता हूं, कि यह 'एक पंथ दो काज वाला' रोल लाई कहां से है?
2 March 2009 at 4:34 pm
क्या बात है..
2 March 2009 at 4:45 pm
किस चीज से पोछना है देख जुकाम ठीक हो गया जी अपने आप, :)
2 March 2009 at 4:47 pm
kya baat hai . accha idea hai.
2 March 2009 at 5:05 pm
2 March 2009 at 5:26 pm
Halka halka zukam ka asar chal raha tha aapke bhog pe "kya aap zukam se pareshan hain" dekha to to bhagi chli aayi ki koi dadi maa ka nuskha hoga....pr ye kya...??? aap bhi na pta nahi kahan kahan se idia nikalte hain....!!
2 March 2009 at 6:00 pm
2 March 2009 at 6:01 pm
वाह क्या नाक पौछने का तरीका है . काश उसकी सूंढ़ होती तो नाक चाट कर सर के ऊपर ले जाकर पौछ लेता हा हा
3 November 2016 at 5:18 am
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