कहते है हिन्दूस्तानी है हम....(सत्यम शिवम)
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Wednesday, September 14, 2011 | 22 Comments
स्कूल की ओर...
Sunday, May 22, 2011 | 14 Comments
नाई रे नाई तेरा काम कैसा
Thursday, May 12, 2011 | 11 Comments
आज के यह महान बाबा, जिन्हे हम भगवान से ऊपर मानते हे
Sunday, April 24, 2011 | 5 Comments
एक अति सुंदर फ़िल्म *राम चन्द्र पाकिस्तानी *
कल रात को मैने एक फ़िल्म देखी... *रामचंद पाकिस्तानी* यह फ़िल्म हे तो पाकिस्तानी, ओर पाकिस्तानी फ़िल्मे खुद पाकिस्तानी भी नही देखते, लेकिन इस फ़िल्म के बारे कई लोगो से सुना था, ओर कल ही मैने नरेश सिह राठौड़ जी के ब्लाग *मेरी शेखावाटी* पर इस फ़िल्म के बारे पढा था, आज कल समय कम ही मिलता हे , लेकिन कल रात नींद नही आ रही थी सो मैने इस फ़िल्म को नेट पर ढुढां, ओर पहली ट्राई मे यह मिल गई,बीबी ओर बच्चे तो सो गये थे, मैने अकेले ही इस फ़िल्म को देखा.

जिन्हे भी लिंक चाहिये आन लाईन देखने के लिये मुझे जरुर बतलाये, ओर लिंक पाये
Friday, April 15, 2011 | 13 Comments
आऒ इन से सीखे जिन्दगी को जीना...
Tuesday, March 29, 2011 | 11 Comments
जगत का पिता.....(सत्यम शिवम)
गले में डाल रखा भुजंग,
नीलकंठ ने गरल को पीकर,
बेरंग को भी दे दिया है रंग।
खुद की सुध की खबर नहीं है,
जहाँ को बाँटते धन दौलत,
मेवा और मिष्ठान बिना भी,
भक्तों की भक्ति में होते रत।
इक बिल्व का पत्र चढ़ाकर,
पूजा,अर्चन करते लोग,
भाँग,धतूरा और गंगा जल,
शिव के प्रिय है ये सारे भोग।
जगत का पिता,महादेव,शिव,
डम डम,डमरु वाले है,
प्रेममयी,श्रद्धा के बस भूखे,
शिव तो भोले,भाले है।
गंगा को जो धारण करते,
भक्तों के हर कष्ट वो हरते,
अपने भक्त की खातिर ये शिव,
काल के कोप से भी लड़ते।
नटराज,त्रिपुरारी,शिव,शंकर,
भक्तों पर रखना आशीष,
सुधा की धारा बरसाना जग पर,
पी जाना यूँ ही जगत के सारे विष।
Tuesday, March 01, 2011 | 10 Comments
हम भी तो.......(सत्यम शिवम)
बस ढ़ुँढ़ रहे अपना ठिकाना,
क्या है पता अगले ही पल,
किसको पड़े यहाँ से जाना।
है जिंदगानी बस यहाँ वहाँ,
कल थे कहाँ,आज है कहाँ,
न जाने कैसा हो कल का जहाँ?
हम भी तो वन के मोर से,
बरखा का बाट जोह रहे,
खुशियों से हर पल नाच कर,
दुख की गठरी को ढ़ो रहे।
बस मन ही मन में खुश हो के,
कल के सपने संजोते है,
यादों की मालाओं में,
पल पल के मोती पिरोते है।
हम भी तो रात में तारों से,
टुट के दुनिया बसाते है,
टुटते तारों से जो माँगो,
वो पल में मिल जाते है।
बस रात भर का होता है,
अपना नगर निराला सा,
हर ख्वाब होता है,
बस टिमटिमाते तारों सा।
जो दिन में खो जाते है,
बस रात में नजर आते है,
और हमको लुभाते है।
हम भी तो बगिया के फूल से,
खिलते और मुरझाते है,
खुशबु की नदियाँ बहा के,
गुलजार का गुलशन सजाते है।
ये फूल तो मुरझा जाते है,
बस खुशबु ही रह जाती है,
हमारे बाद हमारी पहचान,
हमारे सुकर्म ही तो बनाती है।
हम भी तो नदियों के जल से,
खुद अपना जल नहीं पीते है,
धरती की छाती सींच कर,
हरी भरी दुनिया उगाते है।
नदियाँ तो सागर में मिल जाती है,
बस जल ही जल रह जाती है,
अपना ठिकाना पा के वो,
बड़ी चैन की साँस पाती है।
हम भी तो वृक्ष के फल से,
खुद अपना फल नहीं खाते है,
राही की भूख शांत कर,
मँजिल का राह दिखाते है।
राही तरु की छावँ में,
थक के जो आश्रय पाता है,
कितना सुकुन तब दिल को,
बस ये सोच के आता है,
किसी को दे के ठिकाना अपना क्या जाता है।
Wednesday, February 23, 2011 | 7 Comments
तुझे पा लिया……(सत्यम शिवम)
Thursday, February 17, 2011 | 10 Comments
तुम बिन........(सत्यम शिवम)
हर खुशी पास है, पर जाने किसकी आश है।
वो तो लगता है भूला देगी मुझे,
पर मै कैसे कहूँ, कि साँस तो चल रही है,
लेकिन धडकन उनके पास है।
तुम बिन हर मोर पर तन्हाई है,
महफिल में भी जिंदगी से मिली रुसवाई है।
कमबख्त इश्क भी क्या चीज है,
बिन कहे किसी को दिल दे देता है,
और मिलती है जब प्यास राहों में,
तो दरिया के साथ समंदर भर लेता है।
हर दर्द को दिल में कैद कर,
गम का सैलाब जो बनता है,
आँखे बरसने लगती है,
तुम बिन तो वो कुछ ना करता है।
किनारे पे भी आके मौजे लौट जाती है,
मँजिल के करीब भी आके राही,
रास्ता भूल जाता है।
तुम बिन तूफान आता है, और जाता है,
सदिया आती है, और जाती है,
सब मौसम फलक पे छाती है,
पर दिल से तेरी सूरत कभी ना जाती है।
तुम बिन दिन को रात लिखते है,
अकेले में खुद से ही बात करते है,
पलकों में ख्वाबों का बसेरा होता है,
बस तुम बिन कभी भी ना,
जीवन में सवेरा होता है।
बस तुम बिन, इक तुम बिन, तुम बिन.........
Saturday, February 12, 2011 | 5 Comments
आ जाओ माँ.....(सत्यम शिवम)
कंठ से राग ना फूटे,
अंतरमन में ज्योत जला दो,
कही ये आश ना टूटे।
तु प्रकाशित ज्ञान का सूरज,
मै हूँ अज्ञानता का तिमीर,
ज्ञानप्रदाता,विद्यादेही तु,
मै बस इक तुच्छ बूँद सा नीर।
विणावादिनी,हँसवाहिनी!
तुझसे है मेरा नाता,
बिना साज,संगीत बिना भी,
हर दम मै ये गाता।
तेरा पुत्र अहम् में माता,
भूल गया है स्नेह तुम्हारा,
भूल गया है ज्ञान,विद्या,
धन लोभ से अब है हारा।
आ जाओ माँ आश ना टूटे,
दिल के तार ना रुठे,
कही तुम बिन माँ तड़प तड़प के,
प्राण का डोर ना छुटे।
Monday, February 07, 2011 | 9 Comments
आओ एक खेल खेले.... लेकिन बच्चे ,महिलाये ओर कमजोर दिल इसे ना खेले Game free
साबधान...... इसे बच्चे , नारिया ओर कमजोर दिल लोग ना खेले, यह चेतावनी के बावजूद भी कोई खेले तो खुद जिम्मेदार होगा, धन्यवाद.
Thursday, February 03, 2011 | 9 Comments
तुम हो अब भी……...(सत्यम शिवम)
जो दिया,तुमसे लिया मै।
प्यार मेरा चुप है अब भी,
क्यों किया,जो है किया मै।
तुम कही हो,मै कही हूँ,
तुम ना मेरी,मै नहीं हूँ।
पर है वैसा ही सुहाना,
प्यार का मौसम तो अब भी।
राहे मुझसे पुछती है,
है कहा तेरा वो अपना,
साथ जिसके रोज था तु,
खो गया क्यों बन के सपना।
तु गया है भूल या उसने ही दामन है चुराया,
पर मेरे जेहन में वैसी ही,
कुछ प्यारी यादें सीमटी है अब भी।
माना है मैने कि तुम हो दूर मेरे,
दूर हो के पास हो तुम साथ मेरे।
मै तुम्हे अब देखता हूँ आसमां में,
चाँद में,तारों में,
हर जगह जहा में।
सब में बस तेरी ही तस्वीर दिखती,
हर तस्वीर तुम्हारी है ये पूछती।
मै नहीं तेरी प्रिया कर ना भरोसा,
दूर रह वरना तु खायेगा फिर धोखा,
मै उन्हें बस ये ही कह के टालता हूँ,
साये से तेरा अपना वजूद निकालता हूँ।
कोई ना जाने किसी को क्या पता है?
मेरे दिल के घर में तो तुम हो अब भी।
बीती हुई हर बात में,
अपनी सभी मुलाकात में,
थे चंद सपने जो थे जोड़े तेरे मेरे साथ ने।
उन चाँदनी हर रात में,
भींगी हुई बरसात में,
मेरे आज में और कल में,
दबी दबी सी जिक्र तुम्हारी,
एहसास दिलाती तुम हो अब भी...........
Thursday, January 27, 2011 | 11 Comments
हिन्द की माया………..(सत्यम शिवम)
Tuesday, January 25, 2011 | 7 Comments
प्यार ने हम को निक्म्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के...
अरे नोजवानो समभल जाओ, कही तुम भी आज कल के प्यार मे ऎसी गलती मत कर बेठना, जेसे इस दिवाने ने की हे.... इस से सवक लो, ओर सयाने बनो....
अब सवक लेने के लिये तो यहां किल्क करना पडेगा ना
Friday, January 14, 2011 | 14 Comments
आईये एक नया खेल खेले.....
आज मे एक फ़ोरम पर भटकता भटकता पहुचां, वहां एक बहुत सुंदर आईडिया देखा... यानि एक अति सुंदर खेल, सो़चा चलिये आप सब के संग भी खेले.
यह खेल वेसे तो हम बचपन मे भी खेलते थे, लेकिन अब भुल गये थे, तो वहां जा कर याद आ गया, यह खेल ऎसा हे कि हम एक फ़िल्म का नाम आप को यहां बतायेगे, आप ने उस से मिलता जुलता ही जबाब लेकिन फ़िल्म के नाम से ही देना हे, किसी भी भरतिया फ़िल्म का, एक जबाब बार बार भी दे सकते हे, यानि एक नाम कई बार ले सकते हे, लेकिन वो जबाब मिलना चाहिये.... उदाहरण के तोर पर...
चलती का नाम गाडी...... जबाब... विकटोरिया ना० २०४....
ऎसे ही एक लम्बी कतार मे जबाब पर जबाब देते जाये, जिस का जबाब सही मेल नही खायेगा, उसे टॊक कर आप आगे जबाब दे सकते हे, लेकिन गलत टोकने वाले के भी ना० कम होते जायेगे, ओर जिस के सभी जबाब सही मेल खायेगे वो विजेता होगा.
तो शुरु करे....
डोली सजा के रखना..... जबाब,,,,,,?
Tuesday, January 11, 2011 | 11 Comments
जिन्दगी हो तो ऎसी हो...मस्त
अगर विलायत मे आना हे तो देर मत करे जी जल्दी जल्दी जाये, क्योकि अब हनुमान जी ने संजीवनी बुटी लाने से तोबा कर ली हे, अब तो वीजे लगवा रहे हे, जल्दी कही देर ना हो जाये.
कर लो बात अरे भाई हम ने इंसानो की बात की हे खोते ओर गधो के वीजे यहां नही मिलते.
जेब मे जगह बनाने के लिये यह जगह भी अच्छी लगी. धन्यवाद
ताऊ के हाल शे, ताऊ जी क्या हाल हे जी
Tuesday, January 04, 2011 | 15 Comments